BJP vs SP : कौन रहा अधिक फायदे में… सपा के संग या बीजेपी के साथ जाने वाले छोटे दल, ऐसे समझें गुणा-गणित h3>
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (UP Election) चुनाव से ठीक पहले कई नेताओं ने पाला बदला और कुछ दल भी इधर से उधर हुए। योगी सरकार के कुछ मंत्रियों ने इस्तीफा देकर चुनाव से ठीक पहले सपा में शामिल हो गए। वहीं भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश में घेरने के लिए समाजवादी पार्टी के मुखिया (Samajwadi Party Chief ) अखिलेश यादव ने अधिक से अधिक छोटे दलों को अपने पाले में किया। इसमें कुछ दल ऐसे भी थे जो कुछ समय पहले तक बीजेपी में थे। इसका एक परिणाम यह भी हुआ कि जो दल बीजेपी के साथ थे उनका अधिक सीट पाने को लेकर दबाव और भी बढ़ गया। नेता और राजनीतिक दल (Political Parties) चुनावी माहौल भांप रहे थे और नफा-नुकसान का अनुमान लगाते हुए कुछ दल बीजेपी के साथ ही रहे और कुछ सपा के साथ। नतीजे आ गए हैं और एक बार फिर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बन रही है। जो नतीजे आए उसमें बीजेपी की ओर से रहने वाले दलों के विधायक अधिक जीत दर्ज कर पाए या सपा के साथ जाने वाले।
राजभर की पार्टी, RLD,अपना दल (कमेरावादी) क्या हुआ फायदा
विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया जिसमें राष्ट्रीय लोकदल, ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी जनता पार्टी, अपना दल कमेरावादी, गोंडवाना पार्टी, कांशीराम बहुजन मूल निवास पार्टी। इनमें से कुछ दल सपा के सिंबल पर चुनाव लड़े। समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन दलों को 55 सीटें दी। सबसे अधिक राष्ट्रीय लोकदल को 33 सीटें, सुभासपा को 18 और अपना दल कमेरावादी को चार सीटें।
सुभासपा: अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले और चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ जमकर बोलेने वाले ओम प्रकाश राजभर की पार्टी इस बार 6 सीटों पर जीतने में कामयाब हुई। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में पार्टी की दो सीटें तो बढ़ा गईं, लेकिन 2017 के मुकाबले उनका जीत का प्रतिशत घट गया। 2017 में सुभासपा ने बीजेपी के साथ मिलकर आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार सीटें जीती थीं। इस बार 18 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज छह में जीत हासिल की। ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर भी चुनाव हार गए।
RLD:पश्चिमी यूपी जिसकी काफी चर्चा थी और यह कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव और जयंत की जोड़ी और किसानों की नाराजगी के चलते बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सपा गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल आरएलडी को 33 सीटें मिलीं। चुनाव नतीजे जब सामने आए तो आरएलडी को 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशानजनक रहा और जयंत चौधरी इस चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा सके।
अपना दल (कमेरावादी): सपा गठबंधन में अपना दल कमेरावादी को चार सीटें मिली नतीजे आए तो पार्टी का खाता भी नहीं खुला। पार्टी की नेता पल्लवी पटेल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू में हराने में कामयाब रहीं लेकिन वह सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रही थीं।
बीजेपी के साथ जाने वालों को कितना फायदा
बीजेपी के साथ चुनाव में जाने वालों को इस बार फायदा अधिक हुआ है। विधायकों की संख्या तो बढ़ी ही है साथ ही साथ सरकार में भी भागीदारी बढ़ेगी। अपना दल एस को सबसे अधिक फायदा हुआ है। वह प्रदेश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। वहीं निषाद पार्टी चौथी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने का इन दलों को काफी फायदा हुआ है।
अपना दल- (एस): 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल-एस की दो सीटें थी और पार्टी ने दोनों सीटें जीतीं। इसके बाद 2017 में बीजेपी के साथ ही मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और 11 सीटें में 9 सीटों पर जीत हासिल की। इस बार पार्टी के खाते में 17 सीटें आईं और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई। केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (एस) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया है जबकि उनकी मां कृष्णा पटेल के अपना दल (कमेरावादी) ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन किया है।
निषाद पार्टी: कुछ ही साल में निषाद पार्टी और उसके अध्यक्ष संजय निषाद को यूपी की राजनीति में खास पहचान मिली है। निषादों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलवाने की मांग को लेकर हुए सहजनवा के कसरवल कांड से उन्हें पहचान मिली। इसे निखारने का काम भाजपा के साथ ने किया। भाजपा के साथ से निषाद पार्टी आठ साल में ही यूपी की चौथे नंबर की पार्टी बन गई है। पार्टी के इस चुनाव में 11 विधायक चुनकर आए हैं। इसमें से छह ने इस बार निषाद पार्टी के सिंबल पर जीत हासिल की। वहीं, पांच विधायक भाजपा के सिंबल पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने निषाद पार्टी को गठबंधन के तहत 15 सीटें दीं, जिनमें 11 सीटों पर जीत मिली।
राजभर की पार्टी, RLD,अपना दल (कमेरावादी) क्या हुआ फायदा
विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया जिसमें राष्ट्रीय लोकदल, ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, प्रगतिशील समाजवादी जनता पार्टी, अपना दल कमेरावादी, गोंडवाना पार्टी, कांशीराम बहुजन मूल निवास पार्टी। इनमें से कुछ दल सपा के सिंबल पर चुनाव लड़े। समाजवादी पार्टी अपने गठबंधन दलों को 55 सीटें दी। सबसे अधिक राष्ट्रीय लोकदल को 33 सीटें, सुभासपा को 18 और अपना दल कमेरावादी को चार सीटें।
सुभासपा: अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले और चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ जमकर बोलेने वाले ओम प्रकाश राजभर की पार्टी इस बार 6 सीटों पर जीतने में कामयाब हुई। समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में पार्टी की दो सीटें तो बढ़ा गईं, लेकिन 2017 के मुकाबले उनका जीत का प्रतिशत घट गया। 2017 में सुभासपा ने बीजेपी के साथ मिलकर आठ सीटों पर चुनाव लड़ा था और चार सीटें जीती थीं। इस बार 18 सीटों पर चुनाव लड़ा और महज छह में जीत हासिल की। ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर भी चुनाव हार गए।
RLD:पश्चिमी यूपी जिसकी काफी चर्चा थी और यह कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव और जयंत की जोड़ी और किसानों की नाराजगी के चलते बीजेपी को काफी नुकसान पहुंचेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सपा गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल आरएलडी को 33 सीटें मिलीं। चुनाव नतीजे जब सामने आए तो आरएलडी को 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशानजनक रहा और जयंत चौधरी इस चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा सके।
अपना दल (कमेरावादी): सपा गठबंधन में अपना दल कमेरावादी को चार सीटें मिली नतीजे आए तो पार्टी का खाता भी नहीं खुला। पार्टी की नेता पल्लवी पटेल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू में हराने में कामयाब रहीं लेकिन वह सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ रही थीं।
बीजेपी के साथ जाने वालों को कितना फायदा
बीजेपी के साथ चुनाव में जाने वालों को इस बार फायदा अधिक हुआ है। विधायकों की संख्या तो बढ़ी ही है साथ ही साथ सरकार में भी भागीदारी बढ़ेगी। अपना दल एस को सबसे अधिक फायदा हुआ है। वह प्रदेश में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। वहीं निषाद पार्टी चौथी सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने का इन दलों को काफी फायदा हुआ है।
अपना दल- (एस): 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल-एस की दो सीटें थी और पार्टी ने दोनों सीटें जीतीं। इसके बाद 2017 में बीजेपी के साथ ही मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और 11 सीटें में 9 सीटों पर जीत हासिल की। इस बार पार्टी के खाते में 17 सीटें आईं और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई। केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (एस) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया है जबकि उनकी मां कृष्णा पटेल के अपना दल (कमेरावादी) ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन किया है।
निषाद पार्टी: कुछ ही साल में निषाद पार्टी और उसके अध्यक्ष संजय निषाद को यूपी की राजनीति में खास पहचान मिली है। निषादों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलवाने की मांग को लेकर हुए सहजनवा के कसरवल कांड से उन्हें पहचान मिली। इसे निखारने का काम भाजपा के साथ ने किया। भाजपा के साथ से निषाद पार्टी आठ साल में ही यूपी की चौथे नंबर की पार्टी बन गई है। पार्टी के इस चुनाव में 11 विधायक चुनकर आए हैं। इसमें से छह ने इस बार निषाद पार्टी के सिंबल पर जीत हासिल की। वहीं, पांच विधायक भाजपा के सिंबल पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने निषाद पार्टी को गठबंधन के तहत 15 सीटें दीं, जिनमें 11 सीटों पर जीत मिली।