बिहार में नितीश कुमार और अमित शाह की सीक्रेट मीटिंग, सीटों की शेयरिंग पर हो सकता है बड़ा फैसला

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पटना: साल 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और जेडीयू आए दिन अखबारों की सुर्ख़ियां में बने हुए है. दोनों दलों के बीच काफी समय से मनमुटाव की स्थिति बनी हुई है. बेशक कितनी बार दोनों पार्टियों सब कुछ सही होने का दावा करती आई हो पर असल में दोनों पार्टियों के बीच तकरार देखने को मिली है. इससे लगता है कि बीजेपी को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बिहार से काफी दिक्कतों का सामना कर सकती है. वहीं सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच विवाद कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना जाएंगे

भाजपा और जेडीयू के बीच इस विवाद को थमने के लिए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना जा रहे है. जानकारी के अनुसार, इस दौरे के दौरान शाह बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मुलाकात करेंगे. यह मीटिंग बीजेपी के लिए काफी अहम है. इस बैठक में लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सीट शेयरिंग को लेकर दोनों नेताओं की बीच वार्ता हो सकती है. इस दौरन शाह दोनों दलों की बिगड़ी बात बनाने की कोशिश करेंगे.

बता दें कि बिहार में एनडीए के नेता सीटों के बंटवारे को लेकर लगातार कोई न कोई बयान देते नजर आते है. जेडीयू के नेता 2015 विधानसभा चुनाव के आधार पर सीटों के बंटवारे की बात कर रहे है. वहीं भाजपा सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने को सोचा रही है. जिससे बिहार की सियासत गरमाई हुई है. दोनों दलों के इस तकरार के बीच अब सभी कि निगाहें अमित शाह के पटना दौरे पर है. शाह 12 जुलाई को रांची से पटना के लिए रवाना होंगे.

जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह का बयान

बीते दिन यानी मंगलवार को जेडीयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा था कि बीजेपी पार्टी के नेता जो हमेशा सुर्ख़ियां में बनाए रहना चाहते है, उन्हें नियन्त्रण में रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के चुनावों में काफी अंतर है. संजय सिंह ने आगे कहा कि भाजपा यह समझती है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नितीश के बिना बिहार मेंजीत का परचम लहरा नही सकती है.

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वहीं इस लड़ाई में मुंगेर लोकसभा से सांसद और एलजेपी के नेत्री वीणा देवी ने सीट के बंटवारे को लेकर खुल कर बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एलजेपी को सबसे अधिक सीट मिलेगी. वहीं जेडीयू को लेकर कहा कि उनके सिर्फ दो सांसद है तो उन्हें केवल दो सीट मिलनी चाहिए. बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टियों में एलजेपी के पास सबसे अधिक सांसद हैं.