BJP को हराने के लिए BJP जैसी ही बनेगी कांग्रेस: ‘पन्ना प्रमुख’ मॉडल कॉपी करेगी, भितरघातियों का सफाया होगा; माइक्रोमैनेजमेंट पर फोकस h3>
‘हम जिलाध्यक्षों को और ज्यादा पॉलिटिकल पावर देना चाहते हैं। उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही दोनों तय करेंगे। जिलाध्यक्षों को पावरफुल बनाकर हम ब्लॉक, मंडल, गांव, देहात और बूथ स्तर तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं।‘
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कांग्रेस लीडर सचिन पायलट ने दो लाइन में पार्टी का माइक्रोमैनेजमेंट का फॉर्मूला समझा दिया। अहमदाबाद में दो दिन चले कांग्रेस अधिवेशन में तय हुआ है कि यही पार्टी की स्ट्रैटजी भी होगी। पायलट के बयान से साफ है कि पार्टी BJP के सबसे सफल चुनावी हथियार ‘पन्ना प्रमुख’ मॉडल से ही उसे टक्कर देने तैयारी कर रही है।
अधिवेशन में ये भी तय हुआ है कि पार्टी अपने रिवाइवल पर काम करेगी। राहुल गांधी ने इसके संकेत एक महीने पहले ही दे दिए थे। 8 मार्च को अहमदाबाद में राहुल गांधी की पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच सार्वजनिक मंच पर नाराजगी दिखी।
राहुल ने कहा था कि गुजरात कांग्रेस में दो तरह के लीडर्स हैं। एक वो हैं, जो जनता के साथ खड़े हैं। दूसरे वो हैं, जो जनता से कटे हुए हैं और उनमें से कुछ BJP से मिले हैं। कांग्रेस रेस का घोड़ा बारात में भेज देती है और बारात का घोड़ा रेस में भेज देती है। पार्टी में नेताओं की कमी नहीं है। अगर सख्त कार्रवाई में 30 से 40 लोगों को निकालना पड़े, तो निकाल देना चाहिए।
कांग्रेस के अधिवेशन में भी इस पर मंथन हुआ। इसे मिशन गुजरात’ का शंखनाद माना जा रहा है। पार्टी भितरघातियों यानी ‘स्लीपर सेल’ पर नकेल कसकर जमीनी नेताओं को पावर देने की तैयारी में है। इसके जरिए पार्टी की न सिर्फ गुजरात जीतने की तैयारी है। बल्कि इसका इम्पैक्ट बिहार और बाकी राज्यों में होने वाले चुनावों में भी देखने को मिलेगा।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी की ये तस्वीर अहमदाबाद में हुए कांग्रेस अधिवेशन की है, जिसमें कांग्रेस की आगे की स्ट्रैटजी और रिवाइवल को लेकर मंथन हुआ।
माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस, रिवाइवल से उभरेगी नई गुजरात कांग्रेस कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी CWC की बैठक में देशभर से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी AICC के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें पार्टी को मजबूत करने और आगे ले जाने की जिस स्ट्रैटजी पर चर्चा हुई। पार्टी लीडर्स के बयानों से इस पर मुहर भी लगती है।
BJP की तरह ‘पन्ना प्रमुख’ जैसी व्यवस्था पर पूर्व कांग्रेस विधायक गयासुदीन शेख कहते हैं, ‘रणनीति ये है कि पार्टी माइक्रो मैनेजमेंट की तैयारी में हैं। इसे तालुका और ग्राम स्तर तक ले जाया जाए।’ वे आगे कहते हैं,
राहुल गांधी ने संसद में कहा- ‘‘लिखकर ले लो, गुजरात जीत के दिखाएंगे।‘’ वो जानते हैं कि ये आसान नहीं है। इसके लिए संघर्ष और मेहनत करनी पड़ेगी।
‘यही वजह है कि उन्होंने गुजरात आकर शादी के घोड़े और रेस के घोड़े (काम करने वाले और सिर्फ पद पर बैठे रहने वाले) को अलग करने और पार्टी में रहकर BJP के लिए ‘स्लीपर सेल’ का काम करने वालों को बाहर निकालने की बात कही। राहुल जी ने गुजरात की स्थिति को बारीकी से समझ लिया है। गुजरात में आज भी BJP से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ता हैं, लेकिन 30 साल से सत्ता से बाहर रहने और कुछ गलतियों के कारण निष्क्रिय हो गए हैं।‘
‘राहुल गांधी का रिवाइवल प्लान ऐसे लोगों को आगे लाने का है, जिन पर जनता विश्वास करती हो। दिल्ली में उन्होंने सभी जिला अध्यक्षों को बुलाकर उन्हें ज्यादा अधिकार देने की बात कही है, ताकि वो किसी के कंट्रोल में न रहें और अपने तरीके से काम कर सकें। कोई एक नेता सिर्फ अपने ही लोगों को आगे न बढ़ा पाए। ये एक लंबा संघर्ष है और इसके लिए मेहनत करनी होगी।‘
गुजरात में 64 साल बाद अधिवेशन होने पर शेख ईमानदारी से मानते हैं, ‘कांग्रेस यहां 30 साल से सत्ता में नहीं हैं। हमारी नीति, रणनीति और रणनीतिकार सब फेल रहे हैं। जिन्हें नेतृत्व मिला, वे भी नाकाम रहे। यही वजह है कि राहुल गांधी अब नई योजना और नई सोच के साथ आगे आ रहे हैं। हमारा पहला टारगेट दिसंबर में होने वाले जिला, तालुका और म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव होंगे। इसी के जरिए हम 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करेंगे।‘
शेख का मानना है, ‘अधिवेशन के बाद एक नई गुजरात कांग्रेस उभरकर सामने आएगी। राहुल गांधी ने वैसे ही सार्वजनिक मंच पर पार्टी की कमियां गिनाईं हैं, जैसे- मां अपने बच्चों को डांटती है। इससे उनका मिशन साफ दिखता है। अधिवेशन के कारण शायद अब तक कोई बड़ा एक्शन नहीं हुआ, लेकिन उम्मीद है कि अधिवेशन पूरा होते ही ‘मिशन गुजरात’ शुरू होगा।‘
बूथ लेवल पर कांग्रेस को करेंगे मजबूत, यही हमारी स्ट्रैटजी CWC बैठक का मैनेजमेंट देख रहे अहमदाबाद कांग्रेस के नेता मनीष दोषी बताते हैं, ‘गुजरात में पार्टी के रिवाइवल को लेकर फैसला लिया गया है। तय हुआ है कि पार्टी अपनी कमियां दूर करेगी। जहां भी जरूरत होगी, बदलाव किए जाएंगे। राहुल गांधी ने पार्टी में रहकर दूसरों के लिए काम कर रहे वर्कर का मुद्दा उठाया, ये लोकतांत्रिक कदम है। ये भक्ति वाली राजनीति नहीं है कि सभी आंख बंद करके अपने नेता की बात मान लें।‘
कांग्रेस बूथ लेवल पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और यही हमारी स्टैट्रजी है, क्योंकि इसके बिना हम सफल नहीं हो सकते। इससे पंचायत और गांव के लेवल पर पार्टी को मजबूती मिलेगी।
‘इससे सत्ता एक जगह केंद्रित न होकर अलग-अलग क्षेत्रों और स्तर पर बंट जाएगी। राहुल गांधी और राजीव गांधी ने हमेशा इसी को अहमियत भी दी है।‘
कांग्रेस के पन्ना प्रमुख का मॉडल अपनाने की तैयारी पर मनीष कहते हैं, ‘हम उनकी नकल नहीं कर रहे। उनका मॉडल ‘लूट का पन्ना प्रमुख’ है, जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। आप देख सकते हैं कैसे उनके लोग रातोंरात अमीर हो जाते हैं। हम उनके इस ‘लूट मॉडल’ के खिलाफ महात्मा गांधी-सरदार पटेल के सत्य, अहिंसा और मूल्यों के साथ गांव-गांव तक जाएंगे।‘
‘आने वाले दिनों में कांग्रेस नए जोश के साथ जनता की लड़ाई लड़ेगी। पार्टी का हर सिपाही इस लड़ाई में शामिल होगा। इसके साथ ही हम वोटर लिस्ट की बड़ी गड़बड़ियों और फर्जी वोटों पर भी ध्यान देंगे। हम ‘एक व्यक्ति एक वोट’ का अधिकार तय करना चाहते हैं।‘
माइक्रो मैनेजमेंट के लिए ब्लॉक, मंडल, गांव, देहात और बूथ पर काम करेंगे इस माइक्रो मैनेजमेंट के फॉर्मूले को कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अधिवेशन के दौरान ही कन्फर्म कर दिया था। सचिन ने कहा, ‘इतना तय है कि जिलाध्यक्षों की भूमिका पहले से कहीं ज्यादा अहम होने जा रही है। संसद में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का इरादा जिला इकाई को पावरफुल बनाने का है।‘
‘हमारा टारगेट पार्टी वर्कर्स को मजबूत करना और पार्टी की विचारधारा का विस्तार करना है। हम ये तय करना चाहते है कि कांग्रेस जनसंपर्क प्रोग्राम, पदयात्राओं, आउटरीच प्रोग्राम और घर-घर अभियानों के जरिए जनता तक पहुंचे और देशभर में पार्टी वर्कर्स में उत्साह भरे।‘
‘हम उदयपुर घोषणापत्र को हर स्तर पर लागू कर रहे हैं। इसके साथ ही, हमने लोकसभा चुनाव 2024 के जनादेश को भी ध्यान में रखा है। पार्टी जनता के बीच जाएगी और बड़े लेवल पर जनसंपर्क प्रोग्राम चलाएगी। छोटे-बड़े सभी नेता कंधे से कंधा मिलाकर जनता के बीच जाएंगे, लोगों का भरोसा हासिल करेंगे।‘
कांग्रेस का संघर्ष और सड़कों पर उतरने का संकल्प उत्तराखंड के सीनियर लीडर हरीश रावत पूरी स्ट्रैटजी को ‘संघर्ष’ के फ्रेमवर्क में रखते हैं। वे कहते हैं, ‘देश, लोकतंत्र और संविधान की जरूरत है कि संघर्ष हो। हम न्याय के उन मुद्दों पर संघर्ष करेंगे, जहां सत्ता अन्याय करती हुई दिखाई देगी। आने वाले चुनाव के साथ सभी पॉलिटिकल मूवमेंट इसी संघर्ष के इर्द-गिर्द केंद्रित होंगे।‘
इस ‘संघर्ष’ को जमीन पर उतारने की बात जिग्नेश मेवाणी भी करते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारे रिवाइवल का एक ही सीधा फॉर्मूला है- सड़क पर उतरना! अब याचना का वक्त खत्म हो गया है। अब रण होगा। हम पूरी शिद्दत से सड़क पर उतरेंगे और जनता की लड़ाई लड़ेंगे। हम उनका दर्द समझने के लिए उनके बीच खड़े होंगे।‘
एक्सपर्ट: कांग्रेस की कमजोर हालत के पीछे BJP की सोची-समझी स्ट्रैटजी कांग्रेस गुजरात में करीब तीन दशकों से सत्ता से बाहर है। पार्टी की इस कमजोर हालत के पीछे क्या वजहें हैं? क्या कांग्रेस की वापसी मुमकिन है? इन सवालों को समझने के लिए हमने पिछले 20 साल से कांग्रेस को कवर कर रहे सीनियर जर्नलिस्ट दिनेश जोशी से बात की।
दिनेश बताते हैं, ‘कांग्रेस के कमजोर होने की मेन वजह BJP की सोची-समझी स्ट्रैटजी रही है। BJP ने कांग्रेस के प्रभावशाली और जनाधार वाले नेताओं को धीरे-धीरे अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। शंकरसिंह वाघेला जैसे कद्दावर नेताओं का जाना इसका बड़ा उदाहरण है।‘
वे आगे कहते हैं, ‘BJP की रणनीति थी कि ऐसे कांग्रेसी नेताओं को तोड़ो जो अपनी ताकत पर चुनाव जीतते थे, न कि सिर्फ पार्टी के नाम पर। इससे कांग्रेस कमजोर होती गई।‘
दिनेश कांग्रेस की आंतरिक कमजोरियों को भी उजागर करते हैं। वे कहते हैं, ‘कांग्रेस आलाकमान ने गुजरात कांग्रेस को सिर्फ कुछ लोकल नेताओं के भरोसे छोड़ दिया था। यहां गुटबाजी भी बहुत हावी रही। आलाकमान ने सिर्फ उन्हीं कुछ नेताओं की सुनी, जिसके कारण पार्टी की ये हालत हुई। 2017 में पार्टी मजबूती से लड़ी और सत्ता के करीब पहुंची, लेकिन बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह गई। इसके बाद बिखराव देखने को मिला।‘
क्या BJP आज भी कांग्रेस को अंदर से कमजोर करने की रणनीति पर चल रही है? जोशी इस बात से सहमत हैं। वे बताते हैं, ‘ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस में कुछ नेता ऐसे हैं जो पार्टी में रहते हुए भी BJP से मिले हुए हैं। इन्हीं लोगों की वजह से कांग्रेस की आज ये हालत हुई है।’ अहम बात ये है कि राहुल गांधी ने भी गुजरात दौरे पर इस समस्या को माना और ऐसे लोगों की पहचान कर साइडलाइन करने का मैसेज दिया।‘
जोशी का मानना है कि हालिया CWC बैठक और मंथन के बाद गुजरात कांग्रेस में, खासकर वहां के शीर्ष नेतृत्व में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।‘
क्या कांग्रेस अपनाएगी BJP का ‘पन्ना प्रमुख’ मॉडल? कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए अब BJP के सफल चुनावी मॉडल को अपनाने पर विचार कर रही है। जोशी बताते हैं, ‘CWC बैठकों से ये संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस अब BJP की तरह माइक्रो मैनेजमेंट पर ध्यान देगी। वे शायद सीधे तौर पर ‘पन्ना प्रमुख’ नाम की नकल न करें, लेकिन वे बूथ मैनेजमेंट पर जोर देंगे। तरीका BJP जैसा ही हो सकता है, लेकिन उसे अलग नाम दिया जाएगा ताकि नकल न लगे।‘
जोशी मानते हैं कि BJP को हराने के लिए कांग्रेस के पास इसके अलावा शायद कोई विकल्प नहीं है। यही फॉर्मूला (हर पेज के वोटरों तक पहुंचना) BJP के लिए बेहद कारगर साबित हुआ है, जिसने उन्हें गुजरात में 2022 के विधानसभा चुनाव में 156 सीटें दिलाईं।’
क्या गुजरात में कांग्रेस की वापसी मुमकिन है?
तमाम चुनौतियों और कमजोरियों के बावजूद दिनेश ये मानते हैं। वे कहते हैं, ‘मौजूदा हालात में कांग्रेस के लिए वापसी बेहद मुश्किल है, लेकिन राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। 2017 में युवा नेता हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश के उभार ने कांग्रेस को सत्ता के करीब पहुंचाया था। हालांकि पार्टी उस लय को बरकरार नहीं रख पाई। फिर भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए, राजनीति में कुछ भी संभव है।‘
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64 साल बाद आज यानी 8 अप्रैल को अहमदाबाद में फिर से कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। ‘गुजरात मॉडल’ को तोड़कर कांग्रेस वापसी की कोशिश कर रही है। क्या कांग्रेस गुजरात अधिवेशन से मोदी मॉडल को तोड़ पाएगी, कांग्रेस ने 64 साल बाद अधिवेशन के लिए गुजरात क्यों चुना और इससे कांग्रेस को कैसे फायदा होगा। पढ़िए ये रिपोर्ट…