BJP का यूपी-झारखंड वाला प्लान, अमित शाह ने कैसे एक इशारे में दे दिया नीतीश को सीधा मैसेज

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BJP का यूपी-झारखंड वाला प्लान, अमित शाह ने कैसे एक इशारे में दे दिया नीतीश को सीधा मैसेज

BJP का यूपी-झारखंड वाला प्लान, अमित शाह ने कैसे एक इशारे में दे दिया नीतीश को सीधा मैसेज


नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री और सीनियर बीजेपी नेता अमित शाह ने रविवार को बिहार में एक रैली (Amit Shah Bihar Rally) को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नीतीश के साथ भविष्य में किसी प्रकार के गठबंधन की संभावना को लेकर जो बयान दिया वह बीजेपी (Bihar BJP) की एक सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। दरअसल, बीजेपी ने अब बिहार में अकेले ही आगे सियासी संघर्ष करने का लक्ष्य बनाया है। इसके पीछे रणनीति के अलावा राज्य इकाई का दबाव भी है। पार्टी को लगता है कि गठबंधन के साए में बिहार में बीजेपी अकेले दम उतना मजबूती नहीं पा सकी जैसा बगल के राज्य उत्तर प्रदेश या झारखंड में हुआ।

‘बिहार में अकेले ही बढ़ना होगा आगे’

अमित शाह ने रविवार को आयोजित रैली में कहा कि चुनाव के परिणामों के बाद नीतीश बाबू और लल्लन बाबू को BJP में वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने यह बात ऐसे समय कही जब बीच-बीच में कुछ ऐसे सियासी बयान या घटनाएं हुईं, जिससे राज्य में बीजेपी-नीतीश कुमार के बीच संबंधों के बीच चर्चा का दौर उठ रहा था। हाल के समय में यह पहला मौका नहीं है जब अमित शाह ने नीतीश कुमार के साथ भविष्य में किसी प्रकार की गठबंधन की संभावना पर ऐसा कहा है। राज्य की 40 लोकसभा सीट के आम चुनाव के लिहाज से अहम मानी जाती है।

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‘एकला चलो’ की नीति पर बीजेपी

2019 में BJP-JDU साथ लड़ी थी। इसमें रामविलास पासवान की LJP भी साथ थी। तब राज्य की 40 में 39 सीट अकेले गठबंधन ने जीती और बीजेपी अपने कोटे की सभी 17 सीट जीतने में सफल रही थी। लेकिन अब नीतीश-तेजस्वी-कांग्रेस गठबंधन के सामने बीजेपी की चुनौती बेहद कठिन मानी जा रही है। लेकिन अमित शाह ने रविवार को संकेत दे दिया कि अब वह इस चुनौती को स्वीकारने को तैयार हैं और एकला चलो रे की नीति पर आगे बढ़ेंगे।

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बिहार में बिना नीतीश आगे बढ़ेगी BJP

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी की राज्य इकाई किसी भी सूरत में नीतीश से दोबरा गठबंधन की संभावना को टटोलने के खिलाफ हैं। बीते हफ्ते ही बीजेपी ने राज्य में सम्राट चौधरी को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया और संकेत दिया कि अब नई टीम राज्य में आगे बढ़ेगी। मालूम हो कि JDU, BJP की सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी रही है।

BJP और नीतीश कुमार ने पहली बार 1990 के दशक में गठबंधन किया था, जब समता पार्टी हुआ करती थी। यह गठबंधन 2013 तक चला। फिर 2017 तक RJD के साथ रहे नीतीश लेकिन उसी साल दोबारा सरकार BJP के साथ बना ली। फिर 2020 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। लेकिन 2021 में नीतीश ने BJP से फिर गठबंधन तोड़ RJD-कांग्रेस के साथ हाथ मिला लिया।

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