Bihar Politics : रामनवमी के जरिए हिंदू वोट साध रहे नीतीश? आखिर क्यों याद दिला रहे लालू राज के दौर का ‘झंझट’ h3>
पटना : रामनवमी के मौके पर बिहार में और देश के विभिन्न हिस्सों में जुलूसों और झंडों का विरोध देखने को मिला है। कई जगह दो धर्मिक आस्था के लोग आमने-सामने होते नजर आए लेकिन बिहार में कहीं कोई बड़ी घटना देखने को नहीं मिली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब इस पर सवाल पूछ गया तो उन्होंने कहा ‘बिहार में सब कुछ ठीक है, यहां हम अलर्ट हैं।’ उन्होंने कहा, ऐसे मौकों पर प्रशासन को अलर्ट रखा जाता है। वहीं नीतीश कुमार ने बातों ही बातों में पिछले शासन का भी जिक्र कर दिया। जाहिर सी बात है उनके इस जिक्र पर सवाल उठने लाजमी हैं। नीतीश कुमार को जानने वाले ये जानते हैं कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के वो खिलाड़ी हैं, जिन्हें लगभग 16 सालों के दौरान बीजेपी का पूरा कुनबा मिलकर भी उन्हें नहीं हिला पाया है। ऐसे में उनके हर बयान का दूरगामी अर्थ निकलना लाजमी है।
2006-07 की रामनवमी का जिक्र 2022 की राम नवमी में!
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले रामनवमी पर पहले काफी विवाद होते थे। उन्होंने कहा, साल 2006-07 के आंकड़े देखने की देखिए। आंकड़ा देखने की बात के राजनीतिक तौर पर बड़े मायने निकाले जा सकते हैं। नीतीश कुमार का सीधा निशाना लालू यादव का शासन काल था। जिसमें एक खास धर्म के लोगों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ था। नीतीश कुमार ने इशारों में यह बताया कि इस संरक्षण की वजह से ही बिहार में पहले रामनवमी के दौरान जुुलूसों में बड़ी घटनाएं सामने आती थीं। बताते चलें कि लालू यादव के शासन के दौरान एक जात और एक खास धर्मिक मान्यता के लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। जिसका नतीजा जुलूसों और झंडा यात्रा के दौरान झंझट के रूप में देखने को मिलता था। धार्मिक भावनाएं जान बूझकर भड़कायी जातीं थीं और विवाद होते थे। नीतीश कुमार की बात को ही माना जाए तो उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि उनसे पहले एक खास समुदाय के लोगों को झंझट और विवाद की छूट मिली हुई थी। जिसका नतीजा था कि विवाद होते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। नीतीश कुमार ने कहा कि हम पूरी तरह अलर्ट रहते हैं प्रशासन को भी अलर्ट रखा जाता है।
जब से हमें काम करने का मौका मिला है तब से इस बात की कोशिश की है कि कोई झंझट न हो। हालांकि अब ‘वो’ शासन में नहीं लेकिन देखिए कितना झंझट होता था। पहले कितना होता था, आज कल भले शासन के बाहर हैं लेकिन शासन में थे तो झंझट होता था। हमारे यहां तो बिल्कुल कम होता है, जब भी कुछ होता है पूरे प्रशासन को अलर्ट रखा जाता है। किसी भी धर्म का किसी भी समुदाय का पर्व होता है उस वक्त प्रशासन को अलर्ट रखा जाता है। एक-एक चीज पर निगाह रखी जाती है। आप 2006-07 की ही स्थिति देखिए। उस बार से इस बार स्थिति ठीक है। इस पर क्या प्रतिक्रिया दें, जिसको जो मन में आता है बोलता रहता है। लेकिन हम तो मानते हैं सबको आपस मे प्रेम रखना चाहिए। सभी को अपने-अपने धर्म का मजहब का पालन करने का हक है। चाहे कोई भी धर्म का मानने वाला हो लेकिन आपस में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कोई भी किसी कम्यूनिटी का हो और वो इस तरह की चीज करता है तो मान लीजिए उसका धर्म से कोई मतलब नहीं है। यहां अलर्टनेस है, लेकिन कहीं -कहीं कुछ-कुछ होता रहता है।
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार, जनता दरबार के बाद
नीतीश ने साधे एक तीर से कई निशाने
दरअसल, नीतीश कुमार ने यहां एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। उन्होंने एक तरफ यह बताया कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति अच्छी है, उनकी निगाह हर चीज पर है, वहीं इशारों-इशारों में ही यह साफ तौर पर समझा दिया कि जिस ‘खास’ को पिछले शासन काल के दौरान खुला राजनीतिक संरक्षण दिया गया था उन पर अब नियंत्रण है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बता कि इसी वजह से जुलूसों और झंडों के दौरान झंझट ज्यादा थे। अब उनके इशारे को समझना कोई मुश्किल बात नहीं कि साल 2006-07 में किसकी सत्ता थी और यह सरकार किस समीकरण पर चल रही थी।
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नीतीश ने याद दिलाया लालू राज का MY समीकरण
एक तरफ नीतीश कुमार ने अपने गुड गवर्नेंस की तारीफ की तो वहीं रामनवमी निकालने वालों समूहों को यह भी समझाने की कोशिश की कि अब झंझट इस लिए नहीं होते कि क्योंकि अब 2006-07 का लालू राज नहीं है। इस लालू राज के जरिए उन्होंने लालू के MY समीकरण को भी सामने रख दिया। उन्होंने इशारों में यह बताया कि एक खास वर्ग को इस दौरान खुला राजनीतिक समर्थन था। वहीं उन्होंने बिहार की जनता को एक बार फिर आरजेडी के शासन काल की याद भी दिलाई है। जिस दौरान रामनवमी पर जुजूसों पर हमलों और धार्मिक झंंझट ज्यादा थे। उन्होंने कहा कि ‘हालांकि अब ‘वो’ शासन में नहीं लेकिन याद कीजिए तब की स्थिति।’
टोपी पहन कर मुसलिम तो हाथ जोड़कर हिंंदुओं को साध रहे नीतीश
रामनवमी और रमजान के दौरान नीतीश कुमार हाथ जोड़कर हिंदुओं को साधते नजर आते हैं तो टोपी पहनकर मुसलमानों को साधते हैं, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने जो कहा उसके आधार पर ये कहा जा सकता है कहीं न कही अब उनकी कोशिश उन कट्टर हिंदू वोटों को अपनी ओर खींचने की है। जाहिर सी बात है उनके इस बयान का मतलब साफ है कि रामनवमी पर जुलूसों को निकालने के दौरान उत्पात मचाने वालों को नियंत्रित किया गया है जिसकी वजह से रामनवमी पर झंझट नहीं हो रहे।
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आस्था पर विवाद करने वाले का धर्म से कोई मतलब नहीं : नीतीश
वहीं नीतीश कुमार ने इतना सब कुछ कहने के बाद अपनी बात को वाइंडअप करते नजर आए। उन्होंने दोनों समुदायों को एक साधते हुए कहा कि ‘सभी को अपने-अपने धर्म को मानने की, उसमें आस्था रखने की आजादी है। उन्होंने कहा कि -‘हम तो मानते हैं सबको आपस मे प्रेम रखना चाहिए। सभी को अपने-अपने धर्म का मजहब का पालन करने का हक है। चाहे कोई भी धर्म का मानने वाला हो लेकिन आपस में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कोई भी किसी कम्यूनिटी का हो और वो इस तरह की चीज करता है तो मान लीजिए उसका धर्म से कोई मतलब नहीं है।’
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मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले रामनवमी पर पहले काफी विवाद होते थे। उन्होंने कहा, साल 2006-07 के आंकड़े देखने की देखिए। आंकड़ा देखने की बात के राजनीतिक तौर पर बड़े मायने निकाले जा सकते हैं। नीतीश कुमार का सीधा निशाना लालू यादव का शासन काल था। जिसमें एक खास धर्म के लोगों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ था। नीतीश कुमार ने इशारों में यह बताया कि इस संरक्षण की वजह से ही बिहार में पहले रामनवमी के दौरान जुुलूसों में बड़ी घटनाएं सामने आती थीं। बताते चलें कि लालू यादव के शासन के दौरान एक जात और एक खास धर्मिक मान्यता के लोगों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। जिसका नतीजा जुलूसों और झंडा यात्रा के दौरान झंझट के रूप में देखने को मिलता था। धार्मिक भावनाएं जान बूझकर भड़कायी जातीं थीं और विवाद होते थे। नीतीश कुमार की बात को ही माना जाए तो उन्होंने इस बात की ओर इशारा किया कि उनसे पहले एक खास समुदाय के लोगों को झंझट और विवाद की छूट मिली हुई थी। जिसका नतीजा था कि विवाद होते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। नीतीश कुमार ने कहा कि हम पूरी तरह अलर्ट रहते हैं प्रशासन को भी अलर्ट रखा जाता है।
जब से हमें काम करने का मौका मिला है तब से इस बात की कोशिश की है कि कोई झंझट न हो। हालांकि अब ‘वो’ शासन में नहीं लेकिन देखिए कितना झंझट होता था। पहले कितना होता था, आज कल भले शासन के बाहर हैं लेकिन शासन में थे तो झंझट होता था। हमारे यहां तो बिल्कुल कम होता है, जब भी कुछ होता है पूरे प्रशासन को अलर्ट रखा जाता है। किसी भी धर्म का किसी भी समुदाय का पर्व होता है उस वक्त प्रशासन को अलर्ट रखा जाता है। एक-एक चीज पर निगाह रखी जाती है। आप 2006-07 की ही स्थिति देखिए। उस बार से इस बार स्थिति ठीक है। इस पर क्या प्रतिक्रिया दें, जिसको जो मन में आता है बोलता रहता है। लेकिन हम तो मानते हैं सबको आपस मे प्रेम रखना चाहिए। सभी को अपने-अपने धर्म का मजहब का पालन करने का हक है। चाहे कोई भी धर्म का मानने वाला हो लेकिन आपस में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कोई भी किसी कम्यूनिटी का हो और वो इस तरह की चीज करता है तो मान लीजिए उसका धर्म से कोई मतलब नहीं है। यहां अलर्टनेस है, लेकिन कहीं -कहीं कुछ-कुछ होता रहता है।
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार, जनता दरबार के बाद
नीतीश ने साधे एक तीर से कई निशाने
दरअसल, नीतीश कुमार ने यहां एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं। उन्होंने एक तरफ यह बताया कि बिहार में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति अच्छी है, उनकी निगाह हर चीज पर है, वहीं इशारों-इशारों में ही यह साफ तौर पर समझा दिया कि जिस ‘खास’ को पिछले शासन काल के दौरान खुला राजनीतिक संरक्षण दिया गया था उन पर अब नियंत्रण है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बता कि इसी वजह से जुलूसों और झंडों के दौरान झंझट ज्यादा थे। अब उनके इशारे को समझना कोई मुश्किल बात नहीं कि साल 2006-07 में किसकी सत्ता थी और यह सरकार किस समीकरण पर चल रही थी।
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नीतीश ने याद दिलाया लालू राज का MY समीकरण
एक तरफ नीतीश कुमार ने अपने गुड गवर्नेंस की तारीफ की तो वहीं रामनवमी निकालने वालों समूहों को यह भी समझाने की कोशिश की कि अब झंझट इस लिए नहीं होते कि क्योंकि अब 2006-07 का लालू राज नहीं है। इस लालू राज के जरिए उन्होंने लालू के MY समीकरण को भी सामने रख दिया। उन्होंने इशारों में यह बताया कि एक खास वर्ग को इस दौरान खुला राजनीतिक समर्थन था। वहीं उन्होंने बिहार की जनता को एक बार फिर आरजेडी के शासन काल की याद भी दिलाई है। जिस दौरान रामनवमी पर जुजूसों पर हमलों और धार्मिक झंंझट ज्यादा थे। उन्होंने कहा कि ‘हालांकि अब ‘वो’ शासन में नहीं लेकिन याद कीजिए तब की स्थिति।’
टोपी पहन कर मुसलिम तो हाथ जोड़कर हिंंदुओं को साध रहे नीतीश
रामनवमी और रमजान के दौरान नीतीश कुमार हाथ जोड़कर हिंदुओं को साधते नजर आते हैं तो टोपी पहनकर मुसलमानों को साधते हैं, लेकिन इस बार नीतीश कुमार ने जो कहा उसके आधार पर ये कहा जा सकता है कहीं न कही अब उनकी कोशिश उन कट्टर हिंदू वोटों को अपनी ओर खींचने की है। जाहिर सी बात है उनके इस बयान का मतलब साफ है कि रामनवमी पर जुलूसों को निकालने के दौरान उत्पात मचाने वालों को नियंत्रित किया गया है जिसकी वजह से रामनवमी पर झंझट नहीं हो रहे।
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आस्था पर विवाद करने वाले का धर्म से कोई मतलब नहीं : नीतीश
वहीं नीतीश कुमार ने इतना सब कुछ कहने के बाद अपनी बात को वाइंडअप करते नजर आए। उन्होंने दोनों समुदायों को एक साधते हुए कहा कि ‘सभी को अपने-अपने धर्म को मानने की, उसमें आस्था रखने की आजादी है। उन्होंने कहा कि -‘हम तो मानते हैं सबको आपस मे प्रेम रखना चाहिए। सभी को अपने-अपने धर्म का मजहब का पालन करने का हक है। चाहे कोई भी धर्म का मानने वाला हो लेकिन आपस में कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कोई भी किसी कम्यूनिटी का हो और वो इस तरह की चीज करता है तो मान लीजिए उसका धर्म से कोई मतलब नहीं है।’