Bihar Politics: जेडीयू में मची है भगदड़…. मीना सिंह के बाद अब मोनाजिर हसन ने पार्टी को बाय बोल दिय h3>
बेगूसराय: नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने में इन दिनों इतने व्यस्त हैं कि उन्हें अपने घर की ही परवाह नहीं। नीतीश कुमार से सच में अपनी पार्टी संभल नहीं पा रही है। हर 10-15 दिनों में कोई न कोई जेडीयू छोड़ कर चला जा रहा है। इस साल उपेंद्र कुशवाहा से शुरू हुआ जेडीयू छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। कुशवाहा के बाद मीना सिंह, सुहेली मेहता, शंभुनाथ सिन्हा जैसे कई नाम दिख जाएंगे, जिन्होंने इस साल जनवरी से अब तक जेडीयू को बाय बोला है। ताजा नाम रविवार को बेगूसराय के पूर्व सांसद मोनाजिर हसन का जुड़ गया। उन्होंने जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
अब पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने जेडीयू छोड़ा
मोनाजिर हसन बेगूसराय के पूर्व सांसद हैं। उन्होंने रविवार को जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। हसन ने मीडिया को पार्टी छोड़ने वजहें भी बताईं। उपेंद्र कुशवाहा की तरह ही उन्होंने नीतीश कुमार की इस बात के लिए आलोचना की कि जेडीयू अपने लक्ष्य से अब भटक गई है। उनके जैसे 90 फीसद नेता पार्टी में अब घुटन महसूस करने लगे हैं। पार्टी में उनके जैसे नेताओं का अब कोई महत्व नहीं रह गया है। वैसे नीतीश अच्छे आदमी हैं, लेकिन अब राह से भटक गए हैं। पार्टी की कमान उन्होंने जिनको सौंपी है, वे किसी की बात तक नहीं सुनते।
जेडीयू से इस्तीफे के बाद क्या कहा मोनाजिर ने
मोनाजिर हसन को इस बात से तकलीफ है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में मंत्रियों का भी कोई वैल्यू नहीं है। पार्टी कुछ नेताओं के हाथ में गिरवी रख दी गई है। पार्टी का पहले जो लक्ष्य था, अब वह उससे भटक गई है। आरजेडी तो मुसलमानों को भाजपा के नाम पर डराता ही है। भाजपा का भय दिखा कर आरजेडी उनके वोट तो ले लेता है, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा है। हसन ने अपना इस्तीफा जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के अलावा बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी भेजा है।
आरजेडी से इस्तीफा देकर जेडीयू में गए थे हसन
मोनाजिर हसन पहले आरजेडी में ही थे। इस्तीफा देकर उन्होंने जेडीयू ज्वाइन किया था। नीतीश कुमार के कैबिनेट में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने मोनाजिर हसन को टिकट भी दिया था। बेगूसराय से वे चुनाव जीत गए थे। मोनाजिर हसन को 20,56,80 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को 16,48,43 वोट मिले थे। वर्ष 2014 में मोनाजिर हसन बीजेपी का हिस्सा बन गए थे। हालांकि वहां भी उनकी नहीं बनी और वे जेडीयू में लौट आए थे।
जानें, मोनाजिर हसन का राजनीतिक सफरनामा
मोनाजिर हसन का राजनीति में प्रवेश 1997 में हुआ। तब वे जनता दल के साथ थे। जनता दल के टिकट पर वे एमएलए निर्वाचित हुए। बाद में वे लालू खेमे में आ गए और आरजेडी के टिकट पर विधायक बने। 2004 में वे जेडीयू का हिस्सा बन गए। जेडीयू से वे दो बार विधायक बने। हर बार उनका विधानसभा क्षेत्र मुंगेर ही रहा। वे नीतीश सरकार में मंत्री भी रहे। 2009 से 2014 तक वे बेगूसराय के सांसद रहे। बाद में उनका मिजाज बदला और वे भाजपा के साथ चले गए। हसन को सर्वाधिक पीड़ा ललन सिंह को लेकर है। वे कहते हैं कि ललन सिंह ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है। नीतीश कुमार व्यक्ति तो अच्छे हैं, लेकिन अब वे राह भटक गए हैं।
हाल ही में जेडीयू के कई नेताओं ने छोड़ा है साथ
पिछले पांच महीने से जेडीयू छोड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा। अभी आरएलजेडी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से इसकी शुरुआत हुई थी। उसके बाद पूर्व सांसद मीना सिंह और प्रवक्ता सुहेली मेहता ने भी नीतीश से नाता तोड़ लिया। सबने पार्टी छोड़ने की कॉमन वजह बतायी। पार्टी अपने लक्ष्यों से भटक चुकी है। पार्टी पर कुछ लोग हावी हो गए हैं। नीतीश भी कुछ नहीं बोल रहे। जेडीयू अब आरजेडी की गोद में बैठ गया है। नीतीश तो अब नाम मात्र के सीएम हैं। नीतीश महिलाओं की राजनीति तो करते हैं, लेकिन उन्हें का मौका नहीं दिया जाता। पार्टी नेतृत्व के गलत फैसले से लव-कुश समीकरण भी अब नहीं बचा। शराबबंदी से जनता परेशान है।
पूर्व सांसद मीना सिंह ने भी छोड़ दिया था जेडीयू
पूर्व सांसद मीना सिंह ने भी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का साथ छोड़ दिया है। मोनाजिर हसन ने तो जेडीयू से इस्तीफे के बाद अभी अपने कदम का ऐलान भले नहीं किया हो, लेकिन जिस तरह वे जेडीयू और आरजेडी पर हमलावर दिखे, उससे अंदाजा यही है कि वे फिर बीजेपी क दामन थामेंगे। मीना सिंह ने पार्टी छोड़ने के साथ ही बीजेपी को अपना नया ठिकाना बना लिया है। सहरसा जिला जेडीयू महिला मोर्चा की अध्यक्ष अर्चना आनंद ने भी 2 मई को प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क
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अब पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने जेडीयू छोड़ा
मोनाजिर हसन बेगूसराय के पूर्व सांसद हैं। उन्होंने रविवार को जेडीयू की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। हसन ने मीडिया को पार्टी छोड़ने वजहें भी बताईं। उपेंद्र कुशवाहा की तरह ही उन्होंने नीतीश कुमार की इस बात के लिए आलोचना की कि जेडीयू अपने लक्ष्य से अब भटक गई है। उनके जैसे 90 फीसद नेता पार्टी में अब घुटन महसूस करने लगे हैं। पार्टी में उनके जैसे नेताओं का अब कोई महत्व नहीं रह गया है। वैसे नीतीश अच्छे आदमी हैं, लेकिन अब राह से भटक गए हैं। पार्टी की कमान उन्होंने जिनको सौंपी है, वे किसी की बात तक नहीं सुनते।
जेडीयू से इस्तीफे के बाद क्या कहा मोनाजिर ने
मोनाजिर हसन को इस बात से तकलीफ है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार में मंत्रियों का भी कोई वैल्यू नहीं है। पार्टी कुछ नेताओं के हाथ में गिरवी रख दी गई है। पार्टी का पहले जो लक्ष्य था, अब वह उससे भटक गई है। आरजेडी तो मुसलमानों को भाजपा के नाम पर डराता ही है। भाजपा का भय दिखा कर आरजेडी उनके वोट तो ले लेता है, लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा है। हसन ने अपना इस्तीफा जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के अलावा बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी भेजा है।
आरजेडी से इस्तीफा देकर जेडीयू में गए थे हसन
मोनाजिर हसन पहले आरजेडी में ही थे। इस्तीफा देकर उन्होंने जेडीयू ज्वाइन किया था। नीतीश कुमार के कैबिनेट में उन्हें मंत्री भी बनाया गया था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने मोनाजिर हसन को टिकट भी दिया था। बेगूसराय से वे चुनाव जीत गए थे। मोनाजिर हसन को 20,56,80 वोट मिले थे, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई के शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को 16,48,43 वोट मिले थे। वर्ष 2014 में मोनाजिर हसन बीजेपी का हिस्सा बन गए थे। हालांकि वहां भी उनकी नहीं बनी और वे जेडीयू में लौट आए थे।
जानें, मोनाजिर हसन का राजनीतिक सफरनामा
मोनाजिर हसन का राजनीति में प्रवेश 1997 में हुआ। तब वे जनता दल के साथ थे। जनता दल के टिकट पर वे एमएलए निर्वाचित हुए। बाद में वे लालू खेमे में आ गए और आरजेडी के टिकट पर विधायक बने। 2004 में वे जेडीयू का हिस्सा बन गए। जेडीयू से वे दो बार विधायक बने। हर बार उनका विधानसभा क्षेत्र मुंगेर ही रहा। वे नीतीश सरकार में मंत्री भी रहे। 2009 से 2014 तक वे बेगूसराय के सांसद रहे। बाद में उनका मिजाज बदला और वे भाजपा के साथ चले गए। हसन को सर्वाधिक पीड़ा ललन सिंह को लेकर है। वे कहते हैं कि ललन सिंह ने पार्टी को हाईजैक कर लिया है। नीतीश कुमार व्यक्ति तो अच्छे हैं, लेकिन अब वे राह भटक गए हैं।
हाल ही में जेडीयू के कई नेताओं ने छोड़ा है साथ
पिछले पांच महीने से जेडीयू छोड़ने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा। अभी आरएलजेडी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से इसकी शुरुआत हुई थी। उसके बाद पूर्व सांसद मीना सिंह और प्रवक्ता सुहेली मेहता ने भी नीतीश से नाता तोड़ लिया। सबने पार्टी छोड़ने की कॉमन वजह बतायी। पार्टी अपने लक्ष्यों से भटक चुकी है। पार्टी पर कुछ लोग हावी हो गए हैं। नीतीश भी कुछ नहीं बोल रहे। जेडीयू अब आरजेडी की गोद में बैठ गया है। नीतीश तो अब नाम मात्र के सीएम हैं। नीतीश महिलाओं की राजनीति तो करते हैं, लेकिन उन्हें का मौका नहीं दिया जाता। पार्टी नेतृत्व के गलत फैसले से लव-कुश समीकरण भी अब नहीं बचा। शराबबंदी से जनता परेशान है।
पूर्व सांसद मीना सिंह ने भी छोड़ दिया था जेडीयू
पूर्व सांसद मीना सिंह ने भी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का साथ छोड़ दिया है। मोनाजिर हसन ने तो जेडीयू से इस्तीफे के बाद अभी अपने कदम का ऐलान भले नहीं किया हो, लेकिन जिस तरह वे जेडीयू और आरजेडी पर हमलावर दिखे, उससे अंदाजा यही है कि वे फिर बीजेपी क दामन थामेंगे। मीना सिंह ने पार्टी छोड़ने के साथ ही बीजेपी को अपना नया ठिकाना बना लिया है। सहरसा जिला जेडीयू महिला मोर्चा की अध्यक्ष अर्चना आनंद ने भी 2 मई को प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क