Bihar News : बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में अनोखी पहल, बच्चों और शिक्षकों को मुख्य सचिव दे रहे टिप्स

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Bihar News : बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में अनोखी पहल, बच्चों और शिक्षकों को मुख्य सचिव दे रहे टिप्स

Bihar News : बिहार में शिक्षा सुधार की दिशा में अनोखी पहल, बच्चों और शिक्षकों को मुख्य सचिव दे रहे टिप्स

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ एक कार्यक्रम के तहत छात्रों और शिक्षकों से रुबरु हो रहे हैं। कार्यक्रम का नाम है- “शिक्षा की बात हर शनिवार।” शिक्षा विभाग का कहना है कि इस कार्यक्रम की शुरुआत बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त और समावेशी बनाने के लिए की गई है। इस कार्यक्रम के 11वें एपिसोड में डॉ. एस. सिद्धार्थ आज छात्रों और शिक्षकों के सवालों का जवाब दिया। 

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इस कार्यक्रम के तहत शिवहर जिले की छात्रा ज्योति कुमारी ने अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ से पूछा कि कैसे आप रात में 11 बजे तक सक्षमता परीक्षा की फाइल पर हस्ताक्षर करते हैं। फिर  अगले दिन सुबह 8 बजे फ्लाइट उड़ाते हैं। इस तरह आप कैसे सबकुछ कर लेते हैं? उन सवालों का जवाब देते हुए अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बताया कि वह एक दिन पहले ही अगले दिन की रूपरेखा तैयार कर लेते हैं और फिर वह उनका पालन करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे शुरू होती है, अख़बार पढ़ने के बाद वह सुबह 8 से 9 बजे तक फ्लाइट उड़ाते हैं और फिर सवा 9 बजे तक अपने कार्यालय आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब कार्य और हॉबी के लिए समय का सही विभाजन होता है, तब सभी जिम्मेदारियों को संतुलन के साथ निभाना संभव होता है।

डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बेगूसराय की रसायन विज्ञान की शिक्षिका प्रभा कुमारी के सवाल पर बताया कि चेतना सत्र का उद्देश्य बच्चों में मानवीय गुण, नेतृत्व क्षमता और राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित करना है। उन्होंने कहा कि यह सत्र पाठ्यपुस्तक से हटकर बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए है और इसे केवल औपचारिकता नहीं बल्कि गंभीर जिम्मेदारी की तरह लिया जाना चाहिए।

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पटना जिला के बिक्रम निवासी शिक्षक राकेश कुमार के सवाल पर एस सिद्धार्थ ने कहा कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे जबतक अपनी मातृभाषा में नहीं सीखेंगे, तबतक उनके सीखने की शक्ति विकसित नहीं होगी। एस सिद्धार्थ ने कहा कि हां यह समस्या जरूर है कि हमने इंग्लिश की किताब में भोजपुरी, मगही, मैथिली शब्दों को अंकित नहीं किया है और हिन्दी भाषा की किताबों में भी ये बातें नहीं है लेकिन मैं यह उम्मीद करता हूं कि जब भी शिक्षक अपनी कक्षा में पढ़ाएं तो अपनी मातृभाषा में ही छात्रों को बताने की कोशिश करें। 

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