Bihar News: पुलिसिया दबिश से 11 साल से फरार हार्डकोर नक्सली ने किया कोर्ट में सरेंडर, इन मामलों में थी तलाश

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Bihar News: पुलिसिया दबिश से 11 साल से फरार हार्डकोर नक्सली ने किया कोर्ट में सरेंडर, इन मामलों में थी तलाश

Bihar News: पुलिसिया दबिश से 11 साल से फरार हार्डकोर नक्सली ने किया कोर्ट में सरेंडर, इन मामलों में थी तलाश

बीते 11 साल से फरार हार्डकोर नक्सली के पीछे पुलिस जब हाथ धोकर पड़ गई, तो उसने भागते-भागते अखिरकार कोर्ट में सरेंडर कर दिया। न्यायालय में आत्मसमर्पण करने वाला हार्डकोर नक्सली बसंत पासवान औरंगाबाद के मदनपुर थाना क्षेत्र के जुड़ाही गांव का निवासी है।

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औरंगाबाद के पुलिस अधीक्षक अम्बरीष राहुल ने बताया कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का हार्डकोर नक्सली बसंत पासवान पुलिस के लिए पिछले 11 साल से मोस्ट वांटेड था। पुलिस उसे करीब आधा दर्जन मामलों में सरगर्मी से तलाश रही थी। उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस उसके पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई थी।

पुलिस विभिन्न संदिग्ध ठिकानों पर लगातार दबिश डाल रही थी। इसके बावजूद वह खुद को पुलिस से बचता-बचाता भागा फिर रहा था। अंततः पुलिस की दबिश के कारण ही हार्डकोर नक्सल नक्सली ने औरंगाबाद न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि हार्डकोर नक्सली बसंत पासवान के न्यायालय में आत्मसमर्पण करने से निश्चित रूप से पूरे क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में कमी आएगी।

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इन मामलों थी पुलिस को सरगर्मी से तलाश

एसपी ने बताया कि पुलिस को हार्डकोर नक्सली का अच्छा-खासा आपराधिक इतिहास रहा है। पुलिस को करीब आधा दर्जन मामलों में तलाश थी। उस पर मदनपुर थाना कांड में संख्या-133/14, 134/14, 135/14, 136/14 एवं 137/14 दर्ज है। ये सभी मामले पुलिस पर हमला, मुठभेड़, विस्फोट, लेवी और रंगदारी मांगने आदि से जुड़े है। इन्ही मामलों में पुलिस को हार्डकोर नक्सली की तलाश थी। इसी तलाश के लिए पुलिस द्वारा की जा रही छापेमारी और दबिश के दबाव में नक्सली ने न्यायालय में सरेंडर कर दिया।

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गौरतलब है कि औरंगाबाद पुलिस गृह मंत्रालय द्वारा मार्च 2026 तक नक्सलियों के संपूर्ण सफाए के लिए तय किए गए लक्ष्य पर निरंतर काम कर रही है। इसके तहत औरंगाबाद के अति नक्सल प्रभावित इलाकों में लगातार नक्सल विरोधी अभियान चलाए जा रहे है। अभियान में पुलिस नक्सलियों पर भारी पड़ रही है। नक्सलियों की लगातार गिरफ्तारी हो रही है और हार्डकोर नक्सली के कोर्ट में सरेंडर को भी पुलिस के नक्सल विरोधी अभियान का ही प्रतिफल माना जा रहा है।

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