सहरसा जिले के सलखुआ थाना क्षेत्र के गोरदह पंचायत से एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है। जहां लोन की किस्त समय पर न चुका पाने और फाइनेंस कंपनी कर्मी द्वारा बेइज्जती किए जाने से आहत एक किसान ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली।
किस्त भरने में असमर्थता बनी मौत की वजह
जानकारी के मुताबिक, मृतक की पहचान गोरदह पंचायत के मुसहरणीया वार्ड-दो निवासी देवानंद पासवान (55) के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक, उन्होंने अपनी पत्नी विभा देवी के नाम से एक निजी फाइनेंस कंपनी से 75 हजार रुपये का लोन लिया था, जिसकी हर महीने 4200 रुपए किस्त जमा करनी होती थी। मार्च महीने की किस्त 25 तारीख को जमा करनी थी, लेकिन देवानंद पासवान सिर्फ 2100 रुपए ही जुटा पाए। एक अप्रैल को जब फाइनेंस कंपनी का एजेंट पैसे लेने आया, तो उन्होंने उसे आधी राशि दी और शेष रकम जल्द ही चुकाने का वादा किया। लेकिन फाइनेंस कर्मी इस पर भड़क उठा और गाली-गलौज करने लगा।
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मृतक की पत्नी विभा देवी ने बताया कि फाइनेंस एजेंट ने उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया। उसने कहा कि मर जाओ, लेकिन किस्त चाहिए! इस अपमान और तनाव से आहत होकर देवानंद पासवान ने मंगलवार को जहर खा लिया। परिजनों ने उन्हें तुरंत सहरसा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। लेकिन बुधवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
घटना की खबर मिलते ही पूरे गांव में मातम पसर गया। मृतक की पत्नी का कहना है कि वह अब तक छह किस्त चुका चुके थे और यह सातवीं किस्त थी, जिसे जमा करने में देर हो गई थी।
वहीं, गांववालों ने बताया कि देवानंद पासवान एक छोटे किसान थे, जिनके पास केवल तीन-चार कट्ठा जमीन थी। उनकी तीन बेटियां और तीन बेटे हैं। एक बेटी की शादी हो चुकी है, जबकि दो की शादी अभी बाकी थी। देवानंद पासवान स्वच्छता अभियान के तहत गांव में झाड़ू लगाने का भी काम करते थे।

घटना के बाद सलखुआ थाना अध्यक्ष विशाल कुमार ने कहा कि अब तक ऐसी कोई सूचना औपचारिक रूप से नहीं मिली है। वहीं, सदर थाना अध्यक्ष सुबोध कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम कराया गया है और परिजनों ने कर्ज से परेशान होने की बात कही है। फाइनेंस कंपनी के एजेंट पर लगे आरोपों की भी जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि अब तक परिजनों ने कोई लिखित आवेदन नहीं दिया है, आवेदन मिलने के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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फाइनेंस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग
घटना के बाद गांव में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि फाइनेंस कंपनियों के एजेंट अक्सर गरीब किसानों और छोटे कर्जदारों के साथ दुर्व्यवहार करते हैं। परिजनों और ग्रामीणों ने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच कर दोषी एजेंट के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।