Bihar Caste Census: बिहार में 7 जनवरी से जातीय गणना शुरू, सबसे पहले इस इलाके की होगी गिनती

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Bihar Caste Census: बिहार में 7 जनवरी से जातीय गणना शुरू, सबसे पहले इस इलाके की होगी गिनती

Bihar Caste Census: बिहार में 7 जनवरी से जातीय गणना शुरू, सबसे पहले इस इलाके की होगी गिनती


बिहार में 7 जनवरी से जातीय गणना शुरू होगी। जनगणना के पहले चरण में आवासीय मकानों की गिनती होनी है। इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से होगी। इसके प्रारूप में प्रश्नों का एक सेट होगा, जिसमें स्थान, जाति, परिवार में लोगों की संख्या, उनका पेशा और वार्षिक आय आदि का उल्लेख होगा।

 

बिहार में 7 जनवरी से होगी जातीय जनगणना

हाइलाइट्स

  • बिहार में 7 जनवरी से शुरू होगी जातीय गणना
  • पहले चरण में आवासीय मकानों की होगी गिनती
  • पटना के वीआईपी इलाकों से होगी इसकी शुरुआत
पटना: बिहार में नए वर्ष की शुरुआत में ही जातीय गणना की शुरुआत होगी। पहले चरण में आवासीय मकानों की गिनती होनी है। इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से होनी है, जहां अधिकारियों और विधायकों, मंत्रियों के आवास हैं। 7 जनवरी से प्रारंभ होने वाले जातीय गणना के पहले चरण में प्रत्येक मकान में नंबर डाला जाएगा। इसके आलावा घर के मुखिया का नाम और घर के सदस्यों का नाम लिखा जाएगा। 21 जनवरी तक आवासीय मकानों की गिनती होगी। बताया जाता है कि पटना जिले में कुल 45 प्रक्षेत्र बने हुए हैं। छह गणक खंड पर एक पर्यवेक्षक तैनात किए गए हैं, यानी 2116 पर्यवेक्षक प्रतिनियुक्ति किए गए हैं। सभी गणना कर्मियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया है।

26 कॉलम का भरा जाएगा फॉर्म

पहले चरण में मकानों की गिनती पूरी होने के बाद दूसरे चरण में अप्रैल महीने में प्रत्येक मकानों में रहने वाले लोगों की सम्पूर्ण जानकारी भरी जाएगी। इसके तहत जाति, पेशा सहित 26 कॉलम का फॉर्म भरा जाएगा। जातीय गणना के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। पटना के बाद पूर्वी चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर जिले में गणना होगी। इसके लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, सरकार को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया दो या तीन महीने में पूरी हो जाएगी।

अपने खर्च पर जातीय गणना करा रही राज्य सरकार

बता दें, पिछले साल जातीय गणना को लेकर बिहार की सियासत कुछ महीने तक गर्म रही थी। बिहार में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर देश में जातीय गणना कराने की मांग की थी। केंद्र ने तब कहा था कि फिलहाल जातीय गणना संभव नहीं है। इसके बाद राज्य सरकार ने अपने खर्च पर जातीय गणना कराने का निर्णय लिया।

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