वफ्फ़ कानून को लेकर जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर चोट करते हुए कहा कि यह व्यक्ति (नीतीश कुमार) किसी का नहीं है। न यह भाजपा का है और न ही यह मुसलमानों का है। जब इस कालखंड का इतिहास लिखा जाएगा तो इस कानून को बनने का भाजपा से भी ज्यादा दोष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सर पर होगा। इसके साथ-साथ
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जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चोट करते हुए कहा कि वफ्फ़ की जमीन से, उसकी संपत्ति से या उसके कार्यकलाप से सरकार को कितना मतलब है यह मैं नहीं जानता हूं। सरकार को सिर्फ इससे मतलब है कि बस हिंदू और मुस्लिम होता रहे। दूसरी बात है कि लोकसभा में सरकार को बहुमत नहीं है और अगर वह कानून ला रहे हैं तो वह कानून इसलिए बना पा रहे हैं क्योंकि नीतीश कुमार जैसे लोग सरकार की मदद में खड़े हैं। क्योंकि अगर नीतीश कुमार जैसे लीडर अगर लोकसभा में इस बिल के पक्ष में वोट ना दें तो किसी भी हालत में सरकार यह कानून नहीं बना सकती है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा वाले मुसलमान को न तो अपना वोटर मानते हैं और न अपना समर्थक मानते हैं। एक तरह से खींचतान और राजनीतिक लड़ाई ही है लेकिन नीतीश कुमार जैसे लोग जो रोज मुसलमानों को यह बताते हैं कि हम आपके हितैषी हैं या फिर आज उनकी पार्टी में जो मुस्लिम है और राजनीति करते हैं, ऐसे लोगों को जरूर इस बात की चिंता करनी चाहिए कि आप जब गांधी की बात करते हैं, लोहिया की बात करते हैं, जयप्रकाश नारायण की बात करते हैं, तो क्या वफ्फ़ कानून के पक्ष में वोट देकर अपना दो मुंहा चरित्र नहीं दिखा रहे हैं। जब इस कालखंड का इतिहास लिखा जाएगा तो इस कानून को बनने का भाजपा से भी ज्यादा दोष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सर पर होगा।
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जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चोट करते हुए कहा कि नीतीश जी का यह पुराना तरीका है। यही नीतीश कुमार एनआरसी के पक्ष में वोट दिया था। उस समय मैं उनके दल में था। उस समय मैं जदयू पार्टी का सर्वेसर्वा था। पार्टी की बैठक हुई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि हम लोग इसके पक्ष में नहीं, बल्कि इसके विरोध में हैं, लेकिन पार्लियामेंट में सीएएनआरसी के पक्ष में वोट कर दिया। जब मैं नीतीश कुमार को सामने से इस बात पर चर्चा की तो उन्होंने कहा कि आप बाहर में जाकर कह दीजिए कि बिहार में यह बिल लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कह दीजिये कि हम दौरे पर थे और लोकसभा में नेता सब कैसे वोट दे दिया, यह हमको पता ही नहीं चला। उस समय मुझे लगा कि यह व्यक्ति (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार) किसी का नहीं है। यह बीजेपी का भी नहीं है और ना ही मुसलमानों का है। नीतीश कुमार पार्टी में कह रहे हैं कि मैं इसके विरोध में हूं, पार्लियामेंट में बिल के पक्ष में वोट किया और जब मैं विरोध कर रहा हूं तो मुझे कह रहे हैं कि बाहर जाकर कह दो कि हम लोग बिहार में लागू नहीं करेंगे। हर वर्ग को साधने की, उन्हें बेवकूफ बनाने की नीतीश कुमार की पुरानी रीति रही है और नीतीश कुमार का चरित्र कहीं ना कहीं जनता देख रही है और देख कर ऊब चली है अब।
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