खगड़िया नगर परिषद पर सरकारी धन को बंदरबांट करने का आरोप लगा है। इतना ही नहीं आरोप यह भी लगा है कि यहां कमीशन के चक्कर में करीब एक करोड़ रुपये की सफाई सामग्री की खरीद ली गई। यह काम बीते दो वर्ष में हुआ। लेकिन, कमीशन की चाह में नगर परिषद प्रशासन ने जरूरत से ज्यादा सामग्री की खरीददारी कर ली। इसमें से 75 लाख के सामानों को उपयोग में बता तो दिया। लेकिन, 25 लाख की सफाई सामग्री को खुले में फेंक दिया। यह सामान अब बर्बादी की कगार पर हैं। ऐसे में अब नगर परिषद पर कई सवाल उठ रहे हैं। वार्ड 27 की पार्षद सुजाता देवी पासवान ने नगर कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखकर कई आरोप लगाए हैं।
इधर, दूसरी तरफ नगर परिषद के 39 वार्ड में 34 वार्ड में साफ सफाई का जिम्मा नगर परिषद के द्वारा दो एनजीओ को सौंपा गया है। इसके लिए दोनो एनजीओ को करीब 55 लाख रुपये प्रति माह का भुगतान किया जा रहा है। जबकि दो एनजीओ में 305 सफाई कर्मियों को सैलरी के रुप में सिर्फ 22 लाख रुपये बांटे जा रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि एनजीओ की आड़ में रुपये का खेल कैसे खेला जा रहा है? आज ‘अमर उजाला’ आपको खगड़िया नगर परिषद की वो हकीकत बताने जा रहा है जिसे देखकर यहां के अधिकारियों के माथे से पसीने निकल जाएंगे…
एक करोड़ के उपस्कर की हुई खरीदारी, 25 लाख बर्बाद
नगर परिषद के कार्यों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो वर्ष में नगर परिषद ने सफाई उपस्कर में एक करोड़ रुपये खर्ज कर दिये। इसमें 1200 पीस डस्टबिन, 300 पीस हाथ ठेला, छह पीस मैजिक ट्रीपर और तीन पीस सेक्शन मशीन शामिल हैं। यह सभी खरीदारी नगर परिषद ने जरुरत से ज्यादा कर ली। ताकि अधिकारियों से लेकर जन प्रतिनिधियों को कमीशन का लाभ मिल सके। अब आलम ये है कि इन खरीद किये गए उपस्कर में 25 लाख कीमत की सामग्री बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है। इसे नगर परिषद ने गुपचुप तरीके से टाउन हॉल में फेंक दिया है।
कर्मियों कर्मी को एनजीओ दे रहा 22 लाख की सैलरी, मिल रहे हैं 55 लाख
आरोप है कि नगर परिषद खगड़िया ने 39 वार्ड में से 34 वार्ड के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी को सफाई का जिम्मा दिया है। इसके तहत शिव शक्ति मेन पावर सॉल्यूशन को नगर प्रशासन द्वारा 22 वार्ड की साफ साफाई के लिए प्रति माह 33 लाख का भुगतान किया जाता है। जबकि इस एजेंसी के द्वारा सफाई के लिए 150 सफाई कर्मी और सुपरवाइजर को रखा गया है। इन्हें इस एजेंसी द्वारा सैलरी के रूप में प्रतिमाह करीब 11 लाख 50 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। यानी करीब 21 लाख 50 हजार रुपये एजेंसी के माध्यम से कमीशन खाया जा रहा है। वहीं समन्वय नाम के एजेंसी को नगर परिषद ने दो लाख प्रति वार्ड के रुप में 12 वार्ड में सफाई के लिए हायर किया है। इसमें करीब 123 सफाई कर्मी और 4 सुपरवाइजर के लिए इस एनजीओ द्वारा नौ लाख व्यय हो रहा है। यानी यहां भी करीब 15 लाख का बंदरबांट हो रहा है।
सफाई कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान भी नहीं
नगर परिषद के 34 वार्ड में दो एनजीओ को सफाई के नाम पर 55 लाख रुपये प्रतिमाह दिये जा रहे हैं। इन दोनो एनजीओ में कुल 305 सफाई कर्मी कार्यरत हैं। जिनको एनजीओ के द्वारा सरकार द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है। एनजीओ के द्वारा सफाई कर्मी के लिए सात हजार और सुपरवाइजर के लिए 12 हजार भुगतान प्रति माह किया जाता है। जबकि नगर परिषद इन दोनो एनजीओ को दो गुणा से ज्यादा की राशि महीने का भुगतान कर रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर उपस्कर क्रय के नाम पर और सफाई के लिए एनजीओ हायर करने के नाम पर लाखों रुपये किसके जेब में जा रहा है।
कार्यपालक अधिकारी बोले- मेरे योगदान से पहले खरीद हुए उपस्कर
वहीं इस मामले में NEWS4SOCIALके सवाल से नगर कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार टाल महटोल करने की कोशिश करते देखे गए। NEWS4SOCIALने उनसे जब सभी आंकड़ों को दिखाकर सवाल किया तो पसीने से लथपथ होते हुए उन्होंने कहा कि सफाई उपस्कर की खरीदारी उनके योगदान से पहले की गई है। जिसके लिए वे जिम्मेवार नहीं हैं। जबकि एनजीओ को भुगतान के मामले में उन्होंने बताया कि उनके द्वारा निर्देश दिया गया है कि सफाई कर्मियों को तय मानक के आधार पर भुगतान करना है। अगर निर्देश का पालन नहीं हो रहा है तो फिर दोनो एनजीओ से स्पष्टीकरण पूछा जाएगा।
वार्ड सदस्य ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
इस मामले में नगर परिषद के वार्ड 27 की पार्षद सुजाता देवी पासवान ने नगर कार्यपालक अधिकारी को पत्र सौंपा है। जिसमें उनके द्वारा नगर सभापति सहित एनजीओ और सामग्री उपलब्ध कराने वाले एजेंसियों के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। वहीं पार्षद ने सशक्त स्थायी समिति के पद से त्याग पत्र दे दिया है।
राजद ने कहा- सरकारी अधिकारी, डिप्टी सीएम और मंत्री के वेटर बने, चाटुकारिता की सीमाएं लांघने के भी आरोप