Big Breaking : सेनारी नरसंहार पर पटना HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी बिहार सरकार, एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने NBT से फोन पर की पुष्टि h3>
हाइलाइट्स:
- सेनारी नरसंहार पर बिहार सरकार का बड़ा फैसला
- पटना उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी चुनौती
- सोमवार से शुरू हो सकती है अपील की कार्रवाई- ललित किशोर
- निचली अदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट को बरकरार रखना चाहिए था- ललित किशोर
पटना:
सेनारी नरसंहारी के दोषियों को पटना हाईकोर्ट से बरी करने के बाद बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ने बड़ी सिफारिश कर दी है। उन्होंने सरकार से इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की राय दी है।
एडवोकेट जनरल ने NBT बिहार को की पुष्टि
बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने NBT बिहार ऑनलाइन से फोन पर इस बात की पुष्टि कर दी है कि सेनारी नरसंहार पर पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। ललित किशोर ने कहा कि इस बाबत उन्होंने बिहार सरकार को अपनी राय दे दी है। उन्होंने NBT बिहार से फोन पर बातचीत में कहा कि शनिवार और रविवार के चलते सोमवार से इसकी प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
हाईकोर्ट के फैसले पर एडवोकेट जनरल की राय
बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने NBT बिहार से फोन पर कहा कि ‘मेरी धारणा है कि सेनारी नरसंहार के केस में जो साक्ष्य थे उसके आधार पर निचली अदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट को बरकरार रखना चाहिए था। इन्वेस्टिगेशन में कुछ खामियां जरूर थीं लेकिन जो साक्ष्य जांच के दौरान सामने आए थे उनमें पटना हाईकोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था।’
सेनारी नरसंहार के सभी आरोपी बरी
पटना हाइकोर्ट ने सेनारी नरसंहार पर शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया था। कोर्ट ने इस नरसंहार के 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था और सभी दोषियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है।
Patna High Court On Senari : पटना हाई कोर्ट के फैसले पर छलका सेनारी नरसंहार के पीड़ित का दर्द, कहा- हमें न्याय नहीं मिला
सेनारी नरसंहार की बर्बर कहानी
18 मार्च 1999 को अरवल जिले के सेनारी गांव में यह नरसंहार हुआ था, जिसमें 34 लोगों की हत्या हुई थी। घटना में 10 को फांसी और तीन लोगों को उम्रकैद की सजा निचली अदालत ने सुनायी थी। 15 नवंबर 2016 को जहानाबाद जिला अदालत ने अपना फैसला सुनाया था। आज पटना हाइकोर्ट के जज अश्विनी कुमार सिंह और अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए ये जजमेंट दिया है।
क्या था निचली अदालत का फैसला
2016 में बिहार में जहानाबाद के सेनारी नरसंहार कांड की सुनवाई करते हुए जिला अदालत ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए 10 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। 34 लोगों के इस बहुचर्चित नरसंहार कांड के तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई थी और उन पर एक-एक लाख रुपए जुर्माना लगाया गया था।
उस फैसले के वक्त इस केस में दो दोषी फरार भी थे। तब निचली अदाल ने फैसले में इस नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था। इस केस के कुल 70 आरोपियों में से 4 की मौत हो चुकी है। 2016 में निचली अदालत पहले ही 20 आरोपियों को बरी कर चुकी थी।
हाइलाइट्स:
- सेनारी नरसंहार पर बिहार सरकार का बड़ा फैसला
- पटना उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी चुनौती
- सोमवार से शुरू हो सकती है अपील की कार्रवाई- ललित किशोर
- निचली अदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट को बरकरार रखना चाहिए था- ललित किशोर
सेनारी नरसंहारी के दोषियों को पटना हाईकोर्ट से बरी करने के बाद बिहार सरकार के एडवोकेट जनरल ने बड़ी सिफारिश कर दी है। उन्होंने सरकार से इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की राय दी है।
एडवोकेट जनरल ने NBT बिहार को की पुष्टि
बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने NBT बिहार ऑनलाइन से फोन पर इस बात की पुष्टि कर दी है कि सेनारी नरसंहार पर पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। ललित किशोर ने कहा कि इस बाबत उन्होंने बिहार सरकार को अपनी राय दे दी है। उन्होंने NBT बिहार से फोन पर बातचीत में कहा कि शनिवार और रविवार के चलते सोमवार से इसकी प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है।
हाईकोर्ट के फैसले पर एडवोकेट जनरल की राय
बिहार के एडवोकेट जनरल ललित किशोर ने NBT बिहार से फोन पर कहा कि ‘मेरी धारणा है कि सेनारी नरसंहार के केस में जो साक्ष्य थे उसके आधार पर निचली अदालत के फैसले को पटना हाईकोर्ट को बरकरार रखना चाहिए था। इन्वेस्टिगेशन में कुछ खामियां जरूर थीं लेकिन जो साक्ष्य जांच के दौरान सामने आए थे उनमें पटना हाईकोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था।’
सेनारी नरसंहार के सभी आरोपी बरी
पटना हाइकोर्ट ने सेनारी नरसंहार पर शुक्रवार को बड़ा फैसला दिया था। कोर्ट ने इस नरसंहार के 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। हाइकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया था और सभी दोषियों को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है।
Patna High Court On Senari : पटना हाई कोर्ट के फैसले पर छलका सेनारी नरसंहार के पीड़ित का दर्द, कहा- हमें न्याय नहीं मिला
सेनारी नरसंहार की बर्बर कहानी
18 मार्च 1999 को अरवल जिले के सेनारी गांव में यह नरसंहार हुआ था, जिसमें 34 लोगों की हत्या हुई थी। घटना में 10 को फांसी और तीन लोगों को उम्रकैद की सजा निचली अदालत ने सुनायी थी। 15 नवंबर 2016 को जहानाबाद जिला अदालत ने अपना फैसला सुनाया था। आज पटना हाइकोर्ट के जज अश्विनी कुमार सिंह और अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए ये जजमेंट दिया है।
क्या था निचली अदालत का फैसला
2016 में बिहार में जहानाबाद के सेनारी नरसंहार कांड की सुनवाई करते हुए जिला अदालत ने 17 साल बाद फैसला सुनाते हुए 10 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। 34 लोगों के इस बहुचर्चित नरसंहार कांड के तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई थी और उन पर एक-एक लाख रुपए जुर्माना लगाया गया था।
उस फैसले के वक्त इस केस में दो दोषी फरार भी थे। तब निचली अदाल ने फैसले में इस नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया था। इस केस के कुल 70 आरोपियों में से 4 की मौत हो चुकी है। 2016 में निचली अदालत पहले ही 20 आरोपियों को बरी कर चुकी थी।