Bhopal News: अब गांव वाले भी जान सकते हैं कब होगा जलवायु परिवर्तन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद ने टूल बनाकर रचा कीर्तिमान h3>
भोपाल: मध्य प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) ने नया कीर्तिमान रचा है। मेपकास्ट ने जलवायु सूचना सेवा (CIS) टूल ‘क्लाइमेट रिजिल्यन्स इंफार्मेशन सिस्टम एंड प्लानिंग टूल फॉर मनरेगा’ (CRISP-M) का निर्माण किया है। यह टूल जलवायु परिवर्तन (climate change) की संभावित चुनौतियों का सामना करने में ग्रामीण समुदायों को आवश्यक सहयोग प्रदान करेगा।
इस टूल और रिसोर्स सेंटर का लोकार्पण शुक्रवार को ब्रिटिश उप उच्चायुक्त एवं मंत्री क्रिस्टीना स्कॉट ने किया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे भी मौजूद रहे।
मेपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि यह टूल ग्रामीण परिवारों को स्थानीय जलवायु जानकारी प्राप्त करने और साझा करने की सुविधा प्रदान करने के साथ ही जलवायु संकट का सामना करने में मदद करेगा। ग्रामीणों की आजीविका की सुरक्षा के लिए संसाधनों तक पहुंचने की सुविधा भी यह टूल करेगा। यह टूल समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है।
डॉ. कोठारी ने बताया कि भविष्य के जलवायु परिदृश्य के तहत भूमि की भूजल की स्थिति, सतही वर्षा जल प्रवाह, वर्षा पैटर्न आदि, जिसके द्वारा जल संरक्षण की दीर्घ कालीन योजना निर्माण में आवश्यक सहायता मिलेगी। इस टूल का विकास इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट के सहयोग से किया गया है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मनरेगा कार्यक्रमों के लिए एक जलवायु सूचना सेवा के रूप में कार्य करेगा।
टूल से यह फायदा होगा
डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि यह टूल अक्टूबर 2021 में लांच किया गया था। मध्य प्रदेश प्रथम राज्य है जहां इस टूल का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सीहोर एवं रायसेन जिलों में किया गया है। इस टूल के विस्तार से ग्रामीण समुदाय को जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद मिल सकती है। क्योंकि राज्य अब अधिक बार तीव्र सूखे और जल की कमी का सामना कर रहा है।
क्या है क्रिस्प-एम (CRISP-M) टूल
क्लाइमेट चेंज समूह, आईआईईडी लन्दन की टीम लीडर एवं प्रधान अन्वेषक रितु भारद्वाज ने बताया कि क्रिस्प-एम (CRISP-M) एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) पर आधारित वेब और मोबाईल फोन एप्लीकेशन टूल है। जिसका उपयोग मानचित्र, प्रबंधन और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। यह टूल मनरेगा की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए डेटा प्रदान करता है। टूल भौगोलिक जानकारी प्रणाली (जीआईएस) के दस भौगोलिक लेयर का उपयोग करता है।
जो विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण डेटा और विश्लेषण प्रदान करने में मदद करते हैं। टूल के तीन मुख्य घटक हैं, जो मृदा, जल संरक्षण और भूमि विकास कार्यों में समुदाय आधारित, जलवायु जोखिम सूचित योजना निर्माण की सुविधा प्रदान करते हैं। यह सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी टूल को मनरेगा के तहत जलवायु सहनशील योजना को सुविधाजनक बनाने के लिए विकसित किया गया है और यह समय के साथ वन विभाग से लेकर कृषि तक के क्षेत्रों में विस्तारित हो चुका है।
यूनिवर्सल टूल का निर्माण
मैपकास्ट के प्रधान वैज्ञानिक विकास शेन्डे ने बताया कि इस टूल का विकास ग्रामीण विकास मंत्रालय और फॉरेन कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमें आफिस यूनाइटेड किंगडम के अंतर्गत विशेष सहयोग से हुआ है। आवश्यकता को देखते हुए यूनिवर्सल टूल अन्य देशों में भी सम्पादित किया जायेगा।
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इस टूल और रिसोर्स सेंटर का लोकार्पण शुक्रवार को ब्रिटिश उप उच्चायुक्त एवं मंत्री क्रिस्टीना स्कॉट ने किया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, युवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे भी मौजूद रहे।
मेपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि यह टूल ग्रामीण परिवारों को स्थानीय जलवायु जानकारी प्राप्त करने और साझा करने की सुविधा प्रदान करने के साथ ही जलवायु संकट का सामना करने में मदद करेगा। ग्रामीणों की आजीविका की सुरक्षा के लिए संसाधनों तक पहुंचने की सुविधा भी यह टूल करेगा। यह टूल समुदायों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में जानकारी भी प्रदान करता है।
डॉ. कोठारी ने बताया कि भविष्य के जलवायु परिदृश्य के तहत भूमि की भूजल की स्थिति, सतही वर्षा जल प्रवाह, वर्षा पैटर्न आदि, जिसके द्वारा जल संरक्षण की दीर्घ कालीन योजना निर्माण में आवश्यक सहायता मिलेगी। इस टूल का विकास इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर एनवायरनमेंट एंड डेवलपमेंट के सहयोग से किया गया है। भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मनरेगा कार्यक्रमों के लिए एक जलवायु सूचना सेवा के रूप में कार्य करेगा।
टूल से यह फायदा होगा
डॉ. अनिल कोठारी ने बताया कि यह टूल अक्टूबर 2021 में लांच किया गया था। मध्य प्रदेश प्रथम राज्य है जहां इस टूल का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सीहोर एवं रायसेन जिलों में किया गया है। इस टूल के विस्तार से ग्रामीण समुदाय को जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद मिल सकती है। क्योंकि राज्य अब अधिक बार तीव्र सूखे और जल की कमी का सामना कर रहा है।
क्या है क्रिस्प-एम (CRISP-M) टूल
क्लाइमेट चेंज समूह, आईआईईडी लन्दन की टीम लीडर एवं प्रधान अन्वेषक रितु भारद्वाज ने बताया कि क्रिस्प-एम (CRISP-M) एक भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) पर आधारित वेब और मोबाईल फोन एप्लीकेशन टूल है। जिसका उपयोग मानचित्र, प्रबंधन और विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। यह टूल मनरेगा की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए डेटा प्रदान करता है। टूल भौगोलिक जानकारी प्रणाली (जीआईएस) के दस भौगोलिक लेयर का उपयोग करता है।
जो विभिन्न परियोजनाओं और योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण डेटा और विश्लेषण प्रदान करने में मदद करते हैं। टूल के तीन मुख्य घटक हैं, जो मृदा, जल संरक्षण और भूमि विकास कार्यों में समुदाय आधारित, जलवायु जोखिम सूचित योजना निर्माण की सुविधा प्रदान करते हैं। यह सरल लेकिन अत्यधिक प्रभावी टूल को मनरेगा के तहत जलवायु सहनशील योजना को सुविधाजनक बनाने के लिए विकसित किया गया है और यह समय के साथ वन विभाग से लेकर कृषि तक के क्षेत्रों में विस्तारित हो चुका है।
यूनिवर्सल टूल का निर्माण
मैपकास्ट के प्रधान वैज्ञानिक विकास शेन्डे ने बताया कि इस टूल का विकास ग्रामीण विकास मंत्रालय और फॉरेन कॉमनवेल्थ एंड डेवलपमें आफिस यूनाइटेड किंगडम के अंतर्गत विशेष सहयोग से हुआ है। आवश्यकता को देखते हुए यूनिवर्सल टूल अन्य देशों में भी सम्पादित किया जायेगा।