Bhilwara News : खून से खत लिखकर अपना हक मांग रहा टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा h3>
भीलवाड़ा : सालाना 100 करोड़ मीटर कपड़ा बनाकर देश के मैनचेस्टर कहलाने वाले टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा ( Textile City Bhilwara ) को राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के प्रस्तावित मेघा टेक्सटाइल पार्क ( Megha Textile Park ) के लिए उपयुक्त नहीं मानकर जोधपुर का प्रस्ताव केंद्र को भिजवाए जाने के विरोध में अब जहां उद्यमी एकजुट हो गए हैं। वहीं राजस्थानी जन मंच के बैनर तले लोगों ने अपने खून से लिखे खत (पोस्ट कार्ड ) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Pm Narendra Modi ) और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( CM Ashok Gehlot ) को भेज अनूठा विरोध दर्ज करवाते हुए टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा का हक मांगा है।
राजस्थानी जनमंच के अध्यक्ष कैलाश सोनी की अगुवाई में भीलवाड़ा के सूचना केंद्र चौराहे पर अपने खून से मोरपंख की सहायता से खत (पोस्टकार्ड) लिखकर एक मार्मिक अपील की गई है कि जब भीलवाड़ा में सालाना 100 करोड़ मीटर कपड़ा बन रहा है और जोधपुर में केवल हैंडीक्राफ्ट का काम होता है तो फिर भीलवाड़ा को केंद्र सरकार के मेघा टेक्सटाइल पार्क से क्यों वंचित किया जा रहा है। इन लोगों ने खून से लिखे खत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कपड़ा मंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भीलवाड़ा के सांसद सुभाष बहेड़िया को भेजे हैं।
भीलवाड़ा से और कोई बेहतर विकल्प नहीं
राजस्थानी जनमंच के अध्यक्ष कैलाश सोनी ने बताया कि टेक्सटाइल पार्क के लिए राजस्थान में भीलवाड़ा से और कोई बेहतर विकल्प नहीं है। देश के टेक्सटाइल उद्योग में भीलवाड़ा अपने आप में ब्रांड है। टेक्सटाइल सेक्टर में स्पिनिंग,वीविंग और प्रोसेसिंग में भीलवाड़ा आगे है। इन सब के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह क्षेत्र जोधपुर होने से राज्य सरकार केंद्र का यह मेघा टेक्सटाइल पार्क जोधपुर में लगाने को आतुर हैं।
टेक्सटाइल में भीलवाड़ा एक ब्रांड है
मेवाड़ चेबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव आरके जैन कहते हैं कि जहां टेक्सटाइल में भीलवाड़ा एक ब्रांड है। इसकी तुलना जोधपुर से नहीं की जा सकती है। हैंडीक्राफ्ट के लिए पहचान रखने वाले जोधपुर के साथ ही टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा का प्रस्ताव भी भेजा जाता तो बेहतर होता। भीलवाड़ा से कपड़ा 65 से अधिक देशों को निर्यात होता है। 85 करोड़ मीटर सिंथेटिक कपड़ा और 25 करोड़ मीटर डेनिम का उत्पादन होता है। जबकि जोधपुर में सिर्फ महाराजा उम्मेद मिल है, जिसमें सालाना 3 करोड 16 लाख मीटर कपड़ा ही बनता है। जहां भीलवाड़ा में 16000 से अधिक लूम है, वहीं जोधपुर में लूम ही नहीं है। जबकि पड़ोसी पाली में सिर्फ 237 लूम है।
आरके जैन यह भी कहते हैं कि भीलवाड़ा में 18 स्पिनिंग मिल है, जिसमें 1200000 स्पिंडल है। यह प्रदेश का 55% हिस्सा है। जोधपुर में एक भी स्पिंडल नहीं है। पाली में सिर्फ 1 मील है, जिसमें 96 हजार स्पिंडल है। प्रोसेसिंग के हिसाब से भीलवाड़ा में 18 प्रोसेस हाउस है, जबकि जोधपुर पाली बालोतरा जसोल में केवल पोपलींन और वायल सूती कपड़ा रंगने के लिए 15 सौ से अधिक सेमी मेकेनिकल कारखाने हैं। भीलवाड़ा में 5000 करोड़ रुपये का यार्न 8000 करोड़ रुपये का कपड़ा और ढाई हजार करोड़ रुपये का डेनिम निर्यात होता है।
गौरतलब है कि भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने भी साल 2008 में टर्न ऑफ एक्सपोर्ट ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा भीलवाड़ा को टेक्सटाइल श्रेणी में दिया है जबकि जोधपुर को यह दर्जा हैंडीक्राफ्ट श्रेणी में मिला है।
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राजस्थानी जनमंच के अध्यक्ष कैलाश सोनी की अगुवाई में भीलवाड़ा के सूचना केंद्र चौराहे पर अपने खून से मोरपंख की सहायता से खत (पोस्टकार्ड) लिखकर एक मार्मिक अपील की गई है कि जब भीलवाड़ा में सालाना 100 करोड़ मीटर कपड़ा बन रहा है और जोधपुर में केवल हैंडीक्राफ्ट का काम होता है तो फिर भीलवाड़ा को केंद्र सरकार के मेघा टेक्सटाइल पार्क से क्यों वंचित किया जा रहा है। इन लोगों ने खून से लिखे खत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कपड़ा मंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भीलवाड़ा के सांसद सुभाष बहेड़िया को भेजे हैं।
भीलवाड़ा से और कोई बेहतर विकल्प नहीं
राजस्थानी जनमंच के अध्यक्ष कैलाश सोनी ने बताया कि टेक्सटाइल पार्क के लिए राजस्थान में भीलवाड़ा से और कोई बेहतर विकल्प नहीं है। देश के टेक्सटाइल उद्योग में भीलवाड़ा अपने आप में ब्रांड है। टेक्सटाइल सेक्टर में स्पिनिंग,वीविंग और प्रोसेसिंग में भीलवाड़ा आगे है। इन सब के बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह क्षेत्र जोधपुर होने से राज्य सरकार केंद्र का यह मेघा टेक्सटाइल पार्क जोधपुर में लगाने को आतुर हैं।
टेक्सटाइल में भीलवाड़ा एक ब्रांड है
मेवाड़ चेबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव आरके जैन कहते हैं कि जहां टेक्सटाइल में भीलवाड़ा एक ब्रांड है। इसकी तुलना जोधपुर से नहीं की जा सकती है। हैंडीक्राफ्ट के लिए पहचान रखने वाले जोधपुर के साथ ही टेक्सटाइल सिटी भीलवाड़ा का प्रस्ताव भी भेजा जाता तो बेहतर होता। भीलवाड़ा से कपड़ा 65 से अधिक देशों को निर्यात होता है। 85 करोड़ मीटर सिंथेटिक कपड़ा और 25 करोड़ मीटर डेनिम का उत्पादन होता है। जबकि जोधपुर में सिर्फ महाराजा उम्मेद मिल है, जिसमें सालाना 3 करोड 16 लाख मीटर कपड़ा ही बनता है। जहां भीलवाड़ा में 16000 से अधिक लूम है, वहीं जोधपुर में लूम ही नहीं है। जबकि पड़ोसी पाली में सिर्फ 237 लूम है।
आरके जैन यह भी कहते हैं कि भीलवाड़ा में 18 स्पिनिंग मिल है, जिसमें 1200000 स्पिंडल है। यह प्रदेश का 55% हिस्सा है। जोधपुर में एक भी स्पिंडल नहीं है। पाली में सिर्फ 1 मील है, जिसमें 96 हजार स्पिंडल है। प्रोसेसिंग के हिसाब से भीलवाड़ा में 18 प्रोसेस हाउस है, जबकि जोधपुर पाली बालोतरा जसोल में केवल पोपलींन और वायल सूती कपड़ा रंगने के लिए 15 सौ से अधिक सेमी मेकेनिकल कारखाने हैं। भीलवाड़ा में 5000 करोड़ रुपये का यार्न 8000 करोड़ रुपये का कपड़ा और ढाई हजार करोड़ रुपये का डेनिम निर्यात होता है।
गौरतलब है कि भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने भी साल 2008 में टर्न ऑफ एक्सपोर्ट ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा भीलवाड़ा को टेक्सटाइल श्रेणी में दिया है जबकि जोधपुर को यह दर्जा हैंडीक्राफ्ट श्रेणी में मिला है।