Barricading in Delhi: दिल्ली में अगर अब नजर आएं लावारिस बैरिकेड, तो कॉल करें या पुलिस को यहां करें टैग h3>
बिना कारण सड़कों पर जगह-जगह नहीं लगेंगे बैरिकेड
दिल्ली पुलिस के वकील ने जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच को यह भी बताया कि पुलिस की ओर से जारी नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी जिले के डीसीपी पीक आवर्स के दौरान सड़कों पर तब तक कोई बैरिकेड लगाने का आदेश नहीं देंगे, जब तक कि कानून और व्यवस्था या अपराध के बारे में खास इनपुट या जानकारी न हो। बेंच ने कहा कि वह इस बारे में कोई अतिरिक्त आदेश नहीं दे रही है और केवल पुलिस को अपने स्थायी आदेश का पालन करने के लिए ही कह रही है। हाई कोर्ट एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें कोर्ट ने प्रधानमंत्री को लिखे गए एक लेटर पर खुद से संज्ञान लिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने लेटर हाई कोर्ट में भिजवा दिया था। इसमें साउथ दिल्ली में कई सड़कों पर मानवरहित बैरिकेड्स लगाने के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई गई।
112 या ट्विटर पर दे सकते हैं सूचना
दिल्ली पुलिस के स्थाई वकील संतोष कुमार त्रिपाठी और वकील अरुण पंवार ने कोर्ट को बताया कि इलाके के ट्रैफिक इंस्पेक्टर अपने कर्मचारियों को बताएंगे कि सभी मानवरहित या उनके काम में बाधा डालने वाले बैरिकेड को तुरंत सड़क/फुटपाथ से हटाने की जरूरत है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीनियर पुलिस अधिकारी भी अपने इलाके के दौरे के दौरान बैरिकेड्स लगाने पर खास ध्यान देंगे। सोशल मीडिया के जरिए से यह सूचना दी जाएगी कि अगर किसी को सड़क पर कोई लावारिस बैरिकेड मिलता है, तो वह तुरंत 112 पर इसकी सूचना दे सकता है या ट्विटर @dtptraffic और @DelhiPolice पर ट्रैफिक पुलिस को टैग कर सकता हैं। उस पर इलाके के एसएचओ को ध्यान देते हुए तत्काल कार्रवाई करवानी होगी। सुनवाई के दौरान स्पेशल पुलिस कमिश्नर (लॉ एंड ऑर्डर) भी मौजूद थे।
पीक आवर्स में या ट्रैफिक वाली जगहों पर नहीं होगी परेशानी
अपनी अनुपालन रिपोर्ट में, पुलिस ने कहा कि हाल के दिनों में सड़क पर बैरिकेड्स छोड़ने के लिए 6 दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है। विजिलेंस अधिकारियों को सलाह दी गई है कि वे इस तरह की चूक के बारे में उदार दृष्टिकोण न अपनाएं। पुलिस ने अपने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया है कि बैरिकेडिंग चेकिंग को मंजूरी देते हुए, जिले के डीसीपी इस बात पर विचार करेंगे कि केवल बेहद जरूरी स्थिति में ही पीक आवर्स के दौरान चेकिंग की अनुमति दी जाए। इसके अलावा, चौराहों, जंक्शनों, मोड़ों और बस स्टॉप, लूप और ऐसी दूसरी जगहों पर जहां ट्रैफिक बढ़ने की संभावना अधिक होती है, वहां पर बैरिकेडिंग से बचना चाहिए। हाई कोर्ट ने यह भी गौर किया कि पुलिस बिना गेट वाले रिहायशी इलाकों में बैरिकेड्स लगाने के उपाय भी कर रही है।