Azam Akhlesh News: आजम खान की चुप्पी क्या अखिलेश यादव को कर रही परेशान? मुस्लिम वोटों के जाने का सता रहा डर

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Azam Akhlesh News: आजम खान की चुप्पी क्या अखिलेश यादव को कर रही परेशान? मुस्लिम वोटों के जाने का सता रहा डर

Azam Akhlesh News: आजम खान की चुप्पी क्या अखिलेश यादव को कर रही परेशान? मुस्लिम वोटों के जाने का सता रहा डर

कानपुर: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) परेशान हैं और आजम खान (Azam Khan) की ओर से अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की जा रही है। नेताओं से सीतापुर जेल (Sitapur Jail) में आजम की मुलाकातों का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इन मुलाकातों के बीच जो अहम बात खुलकर सामने आई है, वह है आजम खान की नाराजगी। आजम के मीडिया एडवाइजर की ओर से उनकी नाराजगी की खबर सामने आने के बाद से ही समाजवादी पार्टी में हलचल तेज है। अल्पसंख्यक समुदाय के नेता पार्टी और पार्टी अध्यक्ष के खिलाफ हमलावर होते दिख रहे हैं। दरअसल, यूपी में लगातार दूसरी बार योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) बनने के बाद से ही इस वर्ग में उपेक्षा का भाव पैदा होने लगा है।

यूपी चुनाव 2022 (UP Election 2022) के परिणाम में एक बात तो साफ खुलकर सामने आई कि मुस्लिम वोट बैंक का सबसे बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी के पाले में गया। अखिलेश यादव के नेतृत्व पर इस वर्ग ने भरोसा जताया, लेकिन जब उनके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई हुई तो उनकी चुप्पी का मामला गहरा गया। शहजिल इस्लाम हो, नाहिद हसन हों या फिर आजम खान, तीनों ही मामलों में अखिलेश यादव रवैया लगभग एक जैसा रहा है। शिवपाल यादव ने पिछले दिनों आजम खान से मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने जो कुछ कहा, उससे आजम की नाराजगी को समझा सकता है। शिवपाल ने कहा कि अगर नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, आजम खान के खिलाफ हुई कार्रवाई के खिलाफ धरने पर बैठ जाते तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस मुद्दे पर ध्यान देना पड़ता। शिवपाल यादव ने यह बात भले ही कही हो, लेकिन शब्द आजम खान के भी हो सकते हैं। ऐसे में अखिलेश यादव की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।

सबसे बड़ा सवाल, अखिलेश के साथ कितने मुस्लिम?
अल्पसंख्यक समाज के बड़े नेताओं की नाराजगी की खबरों ने सबसे बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर अखिलेश यादव के साथ कितने मुस्लिम नेता हैं। आजम खान, अखिलेश यादव के पीछे तब खड़े हुए थे, जब पार्टी के स्तर पर 2012 में उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बना दिया गया था। चुनाव नेताजी के नाम पर लड़ा गया, लेकिन रिजल्ट के बाद अखिलेश चेहरा बने तो कई नेताओं की नाराजगी सामने आई। लेकिन, अखिलेश ने आजम खान के सबसे खराब दौर में भी साथ खड़ा हुआ नहीं दिखाया। इसको लेकर नाराजगी बढ़ने की बात कही जा रही है। आजम के प्रवक्ता ने तो मुस्लिमों के कपड़े से अखिलेश को बदबू आने की बात कहकर राजनीतिक माहौल को काफी ज्यादा गरमा दिया है।

सपा नेताओं से दूरी से दे रहे बड़ा संदेश
आजम खान से मुलाकात करने रविवार को अखिलेश यादव के दूत माने जा रहे विधायक रविदास मेहरोत्रा सीतापुर जेल पहुंचे थे। लेकिन, आजम ने उनसे मुलाकात करने से इनकार कर दिया। बाद में इसके लिए रविदास मेहरोत्रा ने जेल प्रशासन पर आरोप लगाए। हत्या की साजिश की आशंका जताई। लेकिन, इसी जेल में एक दिन बाद यानी सोमवार को कांग्रेस से संबद्ध कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम सीतापुर जेल पहुंचे और दोनों नेताओं की मुलाकात की खबरें हैं। ऐसे में सपा विधायक की ओर से लगाए गए आरोपों पर ही सवाल खड़ा हो गया है। यह भी साफ हुआ है कि आजम ने ही मुलाकात से इनकार किया। अखिलेश यादव की बेचैनी अल्पसंख्यक समुदाय के वोटरों में एक गलत संदेश न जाने देने को लेकर बढ़ी है। अगर ऐसा होता है तो उनकी 2024 की राह में भी मुश्किलें खड़ी होंगी।

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