क्या किसानों के वेश में असामाजिक तत्व आंदोलन कर रहे हैं

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किसान
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देश में कई दिनों से बड़े स्तर पर किसान आंदोलन चल रहा है. जिसमें किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित जो तीन कानून बनाए हैं, वो पहले से ही बुरे हालातों में जी रहे किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर देंगें. जिसके विरोध में कई किसान संगठन इन कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं.

केंद्र सरकार के कई मंत्री भी ये आरोप लगा चुके हैं कि आंदोलन किसानों के हाथों से निकल गया है. पंजाब से भी खबरे आ रही हैं कि किसानों की तरफ से आंदोलन द्वारा किसानों की मांग ना मानने के कारण जियों कंपनी के टावरों को नुकसान पहुँचाना शरू कर दिया है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार टिकरी बार्डर पर किसानों के एक संगठन के मंच पर दिल्ली दंगों और भीमा कोरेगांव हिंसा के आरोपितों की रिहाई की मांग के बैनर लगे हैं.

किसान आंदोलन

हालांकि भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का कहना है कि किसान आंदोलन का इस तरह के आयोजन या घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है. किसान संगठनों की तरफ से कभी भी आतंकी संगठन के लोगों को रिहा करने की मांग नहीं की गई है. यह किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश भी हो सकती है. जिसमें कुछ असामाजिक तत्व किसान आंदोलन का सहारा लेकर अपने गलत मनसूबों को पूरा करना चाहते हों.

किसान आंदोलन

लेकिन जहां तक इतने बड़े स्तर पर आंदोलन चल रहा है, यह आंदोलन किसान संगठनों द्वारा ही चलाया जा रहा है. जिस तरह से लगातार वार्ताओं का दौर चल रहा है, साफ तौर से दिखाई दे रहा है कि यह आंदोलन किसान नेताओं के हाथ से निकला नहीं हैं. अगर इन कुछ घटनाओं को छोड़ दे तो किसान आंदोलन शांतिपूर्ण ही चल रहा है.

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जहां तक इस सवाल का जवाब है कि क्या किसानों के भेष में असामाजिक तत्व आंदोलन कर रहे हैं, तो यह कहना बिल्कुल गलत होगा. हर आंदोलन का फायदा असामाजिक तत्वों द्वारा उठाया जाता है. हो सकता है किसान आंदोलन में भी कुछ असामाजिक तत्व माहौल खराब करने की कोशिस कर रहे हों. लेकिन लगभग डेढ महिने से जिस संयम के साथ आंदोलन किया जा रहा है. इस पूरे आंदोलन को असमाजिक तत्वों को बताना अलत होगा.