Architectural wonder: गर्मी में भी हमेशा ठंडा रहता राजस्थान का यह स्कूल | This school of Rajasthan is always cool even in summer | Patrika News h3>
जैसलमेर में राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल एक अनूठा वास्तुशिल्प आश्चर्य ( architectural wonder ) है, जो बिना एयर कंडीशनर की आवश्यकता के राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में ठंडा रहता है।
जयपुर
Published: February 21, 2022 11:31:39 am
जैसलमेर में राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल एक अनूठा वास्तुशिल्प आश्चर्य है, जो बिना एयर कंडीशनर की आवश्यकता के राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में ठंडा रहता है। रेगिस्तान में जहां गर्मी के दिनों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है, बालिका शिक्षा बिल्कुल नगण्य है, वहां अब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के लिहाज से राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल शुरू किया गया है। गर्मी में जब लू के थपेड़ों से आम आदमी परेशान रहता है तो स्कूल का बेहतर पर्यावरण बालिकाओं के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। स्कूल भवन को अंडाकार सरंचना के साथ बनाया गया है। स्कूल भवन में कोई एयर कंडीशनर नहीं है, लेकिन प्रचंड गर्मी में भी यहां राहत मिलती है। खूबसूरत जालीदार दीवार और हवादार छत के साथ ही सौर प्रतिष्ठान शानदार वास्तुकला का उदाहरण है। कोनाई गांव में स्थित इस स्कूल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। मिलिए आर्किटेक्ट डायना से, जिनके स्थानीय कारीगरों के सहयोग ने ‘ओएमजी!’ के अगले एपिसोड में इसे संभव बनाया। ये मेरा इंडिया’ इस सोमवार, 21 फरवरी को रात 8 बजे, केवल ॥द्बह्यह्लशह्म्4ञ्जङ्क18 पर।
एक अद्वितीय अंडाकार आकार में निर्मित, राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल की दीवारों को सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करने के लिए बलुआ पत्थर, संगमरमर और चूने के प्लास्टर की & परतों से बनाया गया है और छात्रों से सूरज को दूर रखने के लिए 6 फीट की ऊंचाई पर खिड़कियां बनाई गई हैं। स्कूल की छत पर सौर पैनल भी हैं जो हरित ऊर्जा प्रदान करते हैं और वर्षा जल का संचयन भी करते हैं। जैसलमेर से वास्तुकला के इस चमत्कार को देश भर से अन्य अविश्वसनीय कहानियों के साथ देखें, जिसमें बुलंदशहर से एक पागल 14-इन -1 फर्नीचर इकाई भी शामिल है।
माइकल ड्यूब द्वारा स्थापित स्वयंसेवी संस्था सीआईटीटीए ने इस स्कूल को वित्त पोषित किया है। जैसलमेर राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाले मानवेंद्र सिंह ने मिलकर यह स्कूल बनाया है।
स्कूल का नाम राजकुमारी रत्नावती रखने का मकसद
मानवेंद्र सिंह ने बताया कि नाम राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल रखने का मकसद छात्राओं में आत्मविश्वास और हिम्मत पैदा करना है। राजकुमारी रत्नावती के बारे में कहा जाता है कि जब उनके पिता महारावल रत्नसिंह महल को उनके भरोसे छोड़कर युद्ध में जा रहे थे तो उन्होंने कहा था कि पिता जी आप चिंता मत किजिए मैं इस महल का बाल भी बांका नहीं होने दूंगी।
Architectural wonder: गर्मी में भी हमेशा ठंडा रहता राजस्थान का यह स्कूल
अगली खबर

जैसलमेर में राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल एक अनूठा वास्तुशिल्प आश्चर्य ( architectural wonder ) है, जो बिना एयर कंडीशनर की आवश्यकता के राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में ठंडा रहता है।
जयपुर
Published: February 21, 2022 11:31:39 am
जैसलमेर में राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल एक अनूठा वास्तुशिल्प आश्चर्य है, जो बिना एयर कंडीशनर की आवश्यकता के राजस्थान की चिलचिलाती गर्मी में ठंडा रहता है। रेगिस्तान में जहां गर्मी के दिनों में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है, बालिका शिक्षा बिल्कुल नगण्य है, वहां अब लड़कियों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने के लिहाज से राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल शुरू किया गया है। गर्मी में जब लू के थपेड़ों से आम आदमी परेशान रहता है तो स्कूल का बेहतर पर्यावरण बालिकाओं के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। स्कूल भवन को अंडाकार सरंचना के साथ बनाया गया है। स्कूल भवन में कोई एयर कंडीशनर नहीं है, लेकिन प्रचंड गर्मी में भी यहां राहत मिलती है। खूबसूरत जालीदार दीवार और हवादार छत के साथ ही सौर प्रतिष्ठान शानदार वास्तुकला का उदाहरण है। कोनाई गांव में स्थित इस स्कूल को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। मिलिए आर्किटेक्ट डायना से, जिनके स्थानीय कारीगरों के सहयोग ने ‘ओएमजी!’ के अगले एपिसोड में इसे संभव बनाया। ये मेरा इंडिया’ इस सोमवार, 21 फरवरी को रात 8 बजे, केवल ॥द्बह्यह्लशह्म्4ञ्जङ्क18 पर।
एक अद्वितीय अंडाकार आकार में निर्मित, राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल की दीवारों को सूर्य की किरणों को प्रतिबिंबित करने के लिए बलुआ पत्थर, संगमरमर और चूने के प्लास्टर की & परतों से बनाया गया है और छात्रों से सूरज को दूर रखने के लिए 6 फीट की ऊंचाई पर खिड़कियां बनाई गई हैं। स्कूल की छत पर सौर पैनल भी हैं जो हरित ऊर्जा प्रदान करते हैं और वर्षा जल का संचयन भी करते हैं। जैसलमेर से वास्तुकला के इस चमत्कार को देश भर से अन्य अविश्वसनीय कहानियों के साथ देखें, जिसमें बुलंदशहर से एक पागल 14-इन -1 फर्नीचर इकाई भी शामिल है।
माइकल ड्यूब द्वारा स्थापित स्वयंसेवी संस्था सीआईटीटीए ने इस स्कूल को वित्त पोषित किया है। जैसलमेर राजपरिवार के सदस्य चैतन्य राज सिंह और बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाले मानवेंद्र सिंह ने मिलकर यह स्कूल बनाया है।
स्कूल का नाम राजकुमारी रत्नावती रखने का मकसद
मानवेंद्र सिंह ने बताया कि नाम राजकुमारी रत्नावती गल्र्स स्कूल रखने का मकसद छात्राओं में आत्मविश्वास और हिम्मत पैदा करना है। राजकुमारी रत्नावती के बारे में कहा जाता है कि जब उनके पिता महारावल रत्नसिंह महल को उनके भरोसे छोड़कर युद्ध में जा रहे थे तो उन्होंने कहा था कि पिता जी आप चिंता मत किजिए मैं इस महल का बाल भी बांका नहीं होने दूंगी।
Architectural wonder: गर्मी में भी हमेशा ठंडा रहता राजस्थान का यह स्कूल
अगली खबर