Anti Satellite Weapon: एंटी सैटेलाइट मिसाइलों पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहता है अमेरिका? रूस-चीन की ताकत का असर तो नहीं

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Anti Satellite Weapon: एंटी सैटेलाइट मिसाइलों पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहता है अमेरिका? रूस-चीन की ताकत का असर तो नहीं

Anti Satellite Weapon: एंटी सैटेलाइट मिसाइलों पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहता है अमेरिका? रूस-चीन की ताकत का असर तो नहीं

वॉशिंगटन: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच अमेरिका के अचानक एंटी सैटेलाइट हथियारों की टेस्टिंग पर एकतरफा रोक का ऐलान किया है। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि अमेरिका अब अंतरिक्ष में मार करने वाले एंटी सैटेलाइट मिसाइल का परीक्षण नहीं करेगा। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका का लक्ष्य अंतरिक्ष में जिम्मेदार व्यवहार के लिए एक नया अंतरराष्ट्रीय मानदंड स्थापित करना है, जोसभी देशों को लाभान्वित करेगा। अमेरिका की तरफ से इस तरह के ऐलान की कल्पना किसी ने नहीं की थी। बताया जा रहा है कि अमेरिका दुनियाभर में अंतरिक्ष तक मार करने वाली मिसाइलों ने निर्माण को लेकर मची होड़ से परेशान है। उसे डर है कि अगर सभी देशों के पास ऐसी मिसाइलें आ जाएंगी तो अंतरिक्ष में उसके सैटेलाइटों को खतरा बढ़ जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान में अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइटों की संख्या के मामले में अमेरिका टॉप पर है।

अमेरिका को इन सैटेलाइट्स से क्या लाभ हैं?
अंतरिक्ष आधारित सैन्य शक्ति के बारे में अमेरिका पूरी दुनिया में अव्वल है। दुश्मन देशों की खुफिया जानकारी जुटाने को लेकर अमेरिका अपने सैटेलाइट्स पर बहुत हद तक निर्भर है। अमेरिका इन सैटेलाइटों का इस्तेमाल जासूसी, कम्यूनिकेशन, मिसाइल टॉरगेटिंग, नेविगेशन और खतरों की प्रारंभिक चेतावनी के लिए भी बड़े पैमाने पर करता है। अमेरिका अपनी अंतरिक्ष आधारित जासूसी क्षमताओं के कारण ही अपने दुश्मनों के परमाणु हथियारों के जखीरे, मोबाइल मिसाइल शेल्टर्स की निगरानी करता है। इतना ही नहीं, इन सैटेलाइटों के जरिए अमेरिका अपने दुश्मनों के ग्राउंड बेस्ड मिसाइल साइलो पर भी नजर रखता है। इतना ही नहीं, इन्हीं सैटेलाइटों से मिली जानकारी के आधार पर अमेरिका रक्षात्मक रणनीति भी अपनाता है।

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स्पेस कैपिबिलिटी को लेकर काफी एक्टिव रहता है अमेरिका
अमेरिका की स्पेस कैपिबिलिटी न सिर्फ न्यूक्लियर काउंटरमेजर्स, बल्कि परंपरागत युद्ध में काफी मददगार साबित होती हैं। यही कारण है कि अमेरिका की अंतरिक्ष संपत्ति को काफी तवज्जो देता है। इतना ही नहीं, अमेरिका ने तो बाकायदा स्पेस फोर्स का भी गठन किया है, जो अंतरिक्ष में अमेरिका के खिलाफ पैदा हो रहे खतरे को नेस्ताबूद कर सकता है। अमेरिका अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को बनाए रखने के लिए हर साल अरबों डॉलर का खर्च करता है। इसमें सैन्य और नागरिक प्रशासन दोनों का योगदान होता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी सरकार को सैन्य तकनीक के विकास, सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग, रखरखाव और तकनीक को लेकर सहायता करती है।

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रूस-चीन की एंटी सैटेलाइट मिसाइलों से टेंशन में है अमेरिका
अमेरिका को डर है कि एंटी सैटेलाइट हथियारों के जरिए दुश्मन देशों के पास काउंटर-स्पेस क्षमताओं का विकास उसके लिए सीधा खतरा है। दुश्मन देशों के हथियार अंतरिक्ष मे अमेरिका के मिलिट्री सैटेलाइट्स को आसानी से निशाना बना सकते हैं। ऐसा करने के लिए डॉयरेक्ट हिट करने वाली ए-सेट मिसाइल सबसे ताकतवर हथियार है। माना जा रहा है कि अगर अमेरिका अपने वादे पर कायम रहता है तो वह अपने विरोधियों पर भी एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के परीक्षण को रोकने के लिए दबाव बना सकता है। इससे अंतरिक्ष में उसकी आंख और कान माने जाने वाले सैटेलाइट्स सुरक्षित रहेंगे।

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एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के मामले में टॉप पर है अमेरिका
अमेरिका के पास पहले से ही अंतरिक्ष में सैटेलाइट को निशाना बनाने की क्षमता मौजूद है। ये मिसाइलें इतनी ताकतवर हैं कि अंतरिक्ष में काफी दूर मौजूद सैटेलाइट्स को भी निशाना बना सकती हैं। ऐसे में अगर अमेरिका एंटी सैटेलाइट मिसाइलों के परीक्षण और विकास पर रोक भी लगा दे तो उसकी क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके अलावा अमेरिका इन मिसाइलों को अपने एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के साथ भी तैनात कर सकता है। अमेरिका का दावा है कि उसकी मिसाइल रक्षा प्रणाली लंबी दूरी की मिसाइलों से बचाने के लिए है।

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अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा सैटेलाइट अमेरिका की
यूनियन ऑफ कंसर्नड साइंटिस्ट्स सैटेलाइट डेटाबेस के अनुसार, 1 जनवरी तक 4,852 ऑपरेटिंग उपग्रहों में से, अमेरिकी उपग्रहों की संख्या 2,944 है। इसके विपरीत चीन के पास 499 और रूस के पास अंतरिक्ष में 169 उपग्रह हैं। अमेरिका के उन 2,944 में से केवल 230 को सैन्य उपग्रहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यही कारण है कि अमेरिका नहीं चाहता है कि किसी दूसरे देश के पास अंतरिक्ष तक मार करने वाला हथियार आए। अभी तक अमेरिका चीन और रूस की ताकत से डरता था, लेकिन अब आशंका है कि ईरान और उत्तर कोरिया भी जल्द ही एंटी सैटेलाइट मिसाइलों का परीक्षण कर सकते हैं।

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क्या होता है एंटी सैटेलाइट वेपन
एंटी सैटेलाइट वेपन एक हथियार होता है जो किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए बनाया जाता है। आजतक किसी भी युद्ध में इस तरह के हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है। लेकिन, कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिए इस तरह की मिसाइल सिस्टम को जरुरी मानते हैं। अभी तक दुनिया के चार देशों अमेरिका, रूस, चीन और भारत के पास ही यह क्षमता मौजूद है।



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