Anarul Hussain: बीरभूम में 8 लोगों का हत्यारा कौन है अनारुल हुसैन, जानें राजमिस्त्री से रामपुरहाट के ‘बेताज बादशाह’ तक की कुंडली h3>
रामपुरहाट (पश्चिम बंगाल): पश्चिम बंगाल की बीरभूम हिंसा (Birbhum Violence) के आरोपी अनारुल हुसैन को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। इस दौरान रामपुरहाट कस्बे में अनारुल हुसैन से संबंधित एक तीन मंजिला मकान की तरफ इशारा करते हुए एक व्यक्ति ने पूछा कि उसके घर को देखो, क्या आप को लगता है कि एक राजमिस्त्री वहां तक पहुंच सकता है? बीरभूम हत्याकांड मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता अनारुल हुसैन कुछ लोगों के लिए भले ही मसीहा हो, लेकिन अधिकतर लोगों की नजर में उसका सफर एक भवन निर्माण मजदूर से इलाके का ‘बेताज बादशाह’ बनने जैसा है। हालांकि हुसैन के इस रूप में उदय का आधार संदिग्ध है। लोग दावा करते हैं कि हुसैन की ताकत इतनी अधिक थी कि स्थानीय पुलिसकर्मी तक उसे छूने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
हुसैन के बचपन के दोस्त स्वप्न मंडल ने कहा कि मैंने उसे बचपन से देखा है। वह निर्माण कार्य में अपने पिता की मदद करता था और फिर खुद राजमिस्त्री का काम करने लगा, लेकिन वह हमेशा कुछ हासिल करना चाहता था। हुसैन के घर के बगल में रामरामपुर गांव में मछली की दुकान चलाने वाले मंडल ने कहा कि जब वह कांग्रेस में शामिल हुए तो राजनीति में आ गए। रामपुरहाट -1 ब्लॉक के तत्कालीन टीएमसी अध्यक्ष हुसैन को गुरुवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर गिरफ्तार कर लिया गया था। आरोप है कि हुसैन ने पुलिस को कथित तौर पर बोगटुई गांव में प्रवेश करने से रोका, जहां आठ लोगों को जला दिया गया था।
‘फर्श से अर्श’पर पहुंचा हुसैन
इलाके में एक नर्सरी चलाने वाले कार्तिक मंडल ने कहा कि हुसैन की ‘फर्श से अर्श’पर पहुंचने की कहानी कई सालों के भ्रष्टाचार और गलत कामों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि उसके घर को देखो। क्या आप वहां एक राजमिस्त्री के पहुंचने की उम्मीद करते हैं? उसने दो दशक से भी कम समय में इतनी शक्ति और धन जमा कर लिया, आप इसे ईमानदार तरीके से नहीं कर सकते।
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मकान बनाने को कब्जा की जमीन
मंडल ने आरोप लगाया कि 55 साल की उम्र पार कर चुका हुसैन ने मकान बनाने के लिए उनकी जमीन हड़प ली। हुसैन को राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष और स्थानीय विधायक आशीष बनर्जी के ‘बहुत करीबी’ के रूप में जाना जाता है। एक जिला स्तर के पार्टी नेता ने कहा कि वह शुरुआती दिनों से तृणमूल के साथ रहा और समय के साथ खुद को एक ‘अच्छा आयोजक’ साबित किया। नाम न छापने की शर्त पर इस नेता ने आरोप लगाया कि साल 2011 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद उसका उदय अभूतपूर्व रहा है। वह स्थानीय व्यवसायियों से जबरन वसूली करने के लिए नेटवर्क चलाने समेत रेत के अवैध खनन में भी शामिल रहा।
आशीष बनर्जी से निकटता ने कुर्सी बनाए रखने में मदद की
हुसैन ने शुरू में तृणमूल के बीरभूम अध्यक्ष अनुब्रत मंडल के साथ अच्छे संबंध साझा किए, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद चीजें बदल गईं। पार्टी नेता ने कहा कि अनुब्रत नहीं चाहते थे कि अनारुल ब्लॉक अध्यक्ष बने और उन्होंने इसे हटाने की मांग की। लेकिन आशीष बनर्जी से उसकी निकटता ने कुर्सी बनाए रखने में मदद की। हालांकि हुसैन के परिवार ने दावा किया कि वह एक साजिश का शिकार था क्योंकि कई लोग उससे ईर्ष्या करते थे। हुसैन की बेटी मुमताज बेगम ने कहा कि मेरे पिता ने कुछ गलत नहीं किया। उनकी एकमात्र गलती यह थी कि उन्होंने लोगों के निर्देशों का पालन किया और वही किया जो वे चाहते थे।’
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तृणमूल के शासन में ‘बाहुबली’ बना हुसैन
बीजेपी के जिलाध्यक्ष सुभाष चौधरी ने कहा कि बीरभूम में ऐसे कई अनारुल हैं जो तृणमूल के शासन में ‘बाहुबली’ बन गए। हुसैन की गिरफ्तारी के बाद टीएमसी ब्लॉक अध्यक्ष के रूप में उनकी जगह लेने वाले सैयद सिराज जिम्मी ने कहा कि एक ही पार्टी में रहने के कारण मुझे कुछ बोलने की अनुमति नहीं है। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है। स्थानीय टीएमसी नियंत्रित पंचायत के उपप्रधान भादु शेख की हत्या को लेकर संदिग्ध प्रतिशोध की कार्रवाई में करीब एक दर्जन घरों में आग लगा दी गई। बोगतुई में मंगलवार को छह महिलाओं और दो बच्चों के जले हुए शव बरामद किए गए।
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‘फर्श से अर्श’पर पहुंचा हुसैन
इलाके में एक नर्सरी चलाने वाले कार्तिक मंडल ने कहा कि हुसैन की ‘फर्श से अर्श’पर पहुंचने की कहानी कई सालों के भ्रष्टाचार और गलत कामों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि उसके घर को देखो। क्या आप वहां एक राजमिस्त्री के पहुंचने की उम्मीद करते हैं? उसने दो दशक से भी कम समय में इतनी शक्ति और धन जमा कर लिया, आप इसे ईमानदार तरीके से नहीं कर सकते।
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मकान बनाने को कब्जा की जमीन
मंडल ने आरोप लगाया कि 55 साल की उम्र पार कर चुका हुसैन ने मकान बनाने के लिए उनकी जमीन हड़प ली। हुसैन को राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष और स्थानीय विधायक आशीष बनर्जी के ‘बहुत करीबी’ के रूप में जाना जाता है। एक जिला स्तर के पार्टी नेता ने कहा कि वह शुरुआती दिनों से तृणमूल के साथ रहा और समय के साथ खुद को एक ‘अच्छा आयोजक’ साबित किया। नाम न छापने की शर्त पर इस नेता ने आरोप लगाया कि साल 2011 में पार्टी के सत्ता में आने के बाद उसका उदय अभूतपूर्व रहा है। वह स्थानीय व्यवसायियों से जबरन वसूली करने के लिए नेटवर्क चलाने समेत रेत के अवैध खनन में भी शामिल रहा।
आशीष बनर्जी से निकटता ने कुर्सी बनाए रखने में मदद की
हुसैन ने शुरू में तृणमूल के बीरभूम अध्यक्ष अनुब्रत मंडल के साथ अच्छे संबंध साझा किए, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद चीजें बदल गईं। पार्टी नेता ने कहा कि अनुब्रत नहीं चाहते थे कि अनारुल ब्लॉक अध्यक्ष बने और उन्होंने इसे हटाने की मांग की। लेकिन आशीष बनर्जी से उसकी निकटता ने कुर्सी बनाए रखने में मदद की। हालांकि हुसैन के परिवार ने दावा किया कि वह एक साजिश का शिकार था क्योंकि कई लोग उससे ईर्ष्या करते थे। हुसैन की बेटी मुमताज बेगम ने कहा कि मेरे पिता ने कुछ गलत नहीं किया। उनकी एकमात्र गलती यह थी कि उन्होंने लोगों के निर्देशों का पालन किया और वही किया जो वे चाहते थे।’
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तृणमूल के शासन में ‘बाहुबली’ बना हुसैन
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