अखिलेश यादव ने साफ़ की स्थिती, अगले चुनाव में और ज़्यादा मजबूती के साथ उतरेगी सपा-बसपा

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उत्तर प्रदेश में हाल में लोकसभा की दो सीटों के लिए हुए उपचुनावों में बसपा ने चुनावी गठजोड़ के तहत समाजवादी पार्टी (सपा) का साथ दिया था. नए राजनीतिक समीकरण के कारण दोनों सीटें सपा के खाते में गई थीं. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती उपचुनावों के लिए हुए गठजोड़ को भविष्य में जारी रखने की बात कह चुके हैं. इस दिशा में अखिलेश यादव ने महत्वपूर्ण घोषणा की है. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं होगी.

अखिलेश ने स्पष्ट किया कि सपा-बसपा गठजोड़ को प्रभावी और मज़बूत बनाने के लिए वह बसपा को कुछ अतिरिक्त सीटें देने के लिए तैयार हैं. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी फेडरल फ्रंट को आकार देने की रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना का दौरा करने की तैयारी में हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ममता दिल्ली यात्रा के दौरान विपक्षी दलों के रुख से काफी उत्साहित हैं.

बता दें कि लोकसभा की 80 सीटों के कारण भारत की चुनावी राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्व काफी ज़्यादा है. वर्ष 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में देश के सबसे बड़े राज्य में भाजपा को जबरदस्त सफलता मिली थी.

ये दोस्ती हम नही तोड़ेंगे

वहीं उपचुनावों में जीत के बाद अखिलेश यादव और मायावती के राजनीतिक रिश्तों में गर्मजोशी आई है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री का बयान इस बात की पुष्टि करता है. अखिलेश ने कहा, ‘मेरे शब्दों को जेहन में डाल लीजिए…यह गठजोड़ (सपा-बसपा) भाजपा को न केवल उत्तर प्रदेश से बल्कि राष्ट्रीय राजनीति से भी बाहर कर देगा.’ दरअसल, सपा और बसपा गठजोड़ के लंबे समय तक जारी रहने को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं. दोनों दलों के बीच हुए समझौते को संदेह की नजर से भी देखा जा रहा है. अखिलेश यादव के बयान को इस तरह की अटकलबाजी को खत्म करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है.

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सपा प्रमुख ने कहा, ‘यह पार्टी से जुड़ा सवाल नहीं है. यह देश को बचाने का सवाल है. हमलोग ऐसी पार्टी के खिलाफ संघर्ष में हैं जो धर्म और जाति के नाम पर उन्माद पैदा कर रही है. वे सबका साथ, सबका विकास की बात करती है, लेकिन ऐसे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया जाता है जो खुलेआम दावा करता है कि वह ईद नहीं मनाता है. वह संविधान नहीं बल्कि ईश्वर के नाम पर शपथ लेते हैं.’

ममता ने शुरू की एकजुट होने की कवायद

लोकसभा चुनाव से पहले विरोधी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश में जुटीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आने वाले कुछ दिनो में उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना का दौरा करेंगी. ‘इकोनोमिक टाइम्स’ के अनुसार, ममता फेडरल फ्रंट को आकार देने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात कर चुनाव पूर्व गठबंधन पर चर्चा करेंगी. चेन्नई यात्रा के दौरान वह द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि से वार्ता करेंगी. ममता हैदराबाद भी जाएंगी जहां वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव से मुलाकात करेंगी. दिलचस्प है कि इस दौरान कांग्रेस पार्टी के नेताओं से मिलने का कोई कार्यक्रम नहीं है.