AIIMS से लेकर सफदरगंज में दिखा जी 20 समिट का असर, कम हुई मरीजों की संख्या h3>
एम्स में दिखी ज्यादा सख्ती
एम्स में जी20 को लेकर रिस्ट्रिक्शन ज्यादा देखा गया। गेट नंबर एक से केवल एंबुलेंस और इमरजेंसी मरीज के वाहन को ही अंदर आने दिया जा रहा था। यहां पर दो गेट बने हैं, जिसमें एक से एंट्री और दूसरी से एग्जिट की जाती है। लेकिन एंट्री गेट को बंद कर दिया गया है। गेट नंबर तीन से मरीज, स्टाफ और फैकल्टी के वाहन की एंट्री दी गई है। यहां तक की परिक्रमा सेवा जो आम मरीजों को गेट नंबर एक से लेकर नई ओपीडी बिल्डिंग तक लेकर जाती है और छोड़ती है, उसका भी रूट बदला गया है। एम्स के सिक्यूरिटी ऑफिसर की तरफ से जारी आदेश बैरिकेट पर चिपकाए गए हैं।
सफदरजंग में सिर्फ 3505 मरीज
सफदरजंग अस्पताल में रोजाना औसतन 10 से 12 हजार मरीज ओपीडी में पहुंचते हैं, लेकिन शुक्रवार को यहां पर केवल 3505 मरीज ही इलाज के लिए पहुंचे। आम दिनों की तुलना में यहां पर इमरजेंसी में भी कम मरीज आए। हालांकि अस्पताल में ओपीडी को जी20 की तैयारियों से अलग रखा गया है। अस्पताल के अंदर जरूर सुरक्षा गार्ड तैनात थे। एंट्री गेट से अतिक्रमण पूरी तरह से हटा दिया गया है। फूटपाथ और मेट्रो स्टेशन के बाहर एक भी दुकान या स्टॉल नहीं है। अस्पताल के अंदर मरीजों को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं दिखा। मरीज को जहां जाना था, वहां पर जा रहे थे। कोई रोक टोक नहीं थी।
जी 20 के कारण कम पहुंच रहे मरीज
एलएनजेपी में केवल 2044 मरीज
दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी में औसतन रोजाना ओपीडी में 7000 मरीज पहुंचते हैं, लेकिन शुक्रवार को केवल 2044 मरीज ही इलाज के लिए पहुंचे। वहीं, इमरजेंसी में भी इसका असर दिखा और औसतन रोजाना 800 से 900 मरीज की तुलना में सिर्फ 390 मरीज ही पहुंचे। सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में बहुत सारे मरीज दिल्ली एनसीआर से आते हैं। जिस प्रकार जी20 को लेकर सख्ती की बात कही जा रही है, उसे देखते हुए दिल्ली के बाहर से लोग कम निकले। इसी प्रकार शहर में भी लोगों ने बाहर निकलना जरूरी नहीं समझा। जिन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही थी, वही अस्पताल तक पहुंचे।
केमिकल बर्न के लिए डीकंटामिनेशन जोन
सफदरजंग अस्पताल में एशिया का सबसे बड़ा बर्न सेंटर है। लगभग 100 बेड्स हैं। लेकिन इस ग्लोबल इवेंट के लिए सीबीआरएन डिजास्टर को लेकर तैयारी की गई है। इसके तहत सफदरजंग अस्पताल के बर्न विभाग के पास आर्मी की मेडिकल टीम ने डीकंटामिनेशन जोन बनाया है। जहां पर अगर कोई केमिकल शिकार मरीज आता है तो उसे डीकंटामिनेट करने और फिर उसे बर्न आईसीयू में शिफ्ट करने की पूरी तैयारी की गई है। इसके लिए आर्मी के मेडिकल टीम के 20 से 22 लोग अपना सेटअप बनाकर डयूटी कर रहे हैं।