AI Usage: लोकसभा महासचिव बोले- AI से जुड़ी नैतिक चिंता, मजबूत सुरक्षा उपाय जरूरी; विधायी काम में लाने की वकालत h3>
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लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह – फोटो : एएनआई
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लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने रविवार को विधायी निकायों के कामकाज में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को अपनाने की जोरदार वकालत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत के पास यह दिखाने का अनूठा अवसर है कि प्रौद्योगिकी किस प्रकार लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत कर सकती है।
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सिंह ने पटना में विधायी निकायों के सचिवों के 61वें सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि एआई से जुड़ी नैतिक चिंताओं, जैसे कि एल्गोरिदम पूर्वाग्रह, गलत सूचना और गोपनीयता जोखिम के लिए मजबूत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है। उन्होंने एआई प्रणालियों को सही, संदर्भ के अनुसार और समावेशी बनाने की जरूरत पर जोर दिया।
लोकसभा महासचिव ने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एआई का उपयोग पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनता की भागीदारी को प्राथमिकता दे, साथ ही नवाचार और सहयोग की संस्कृति को बढ़ावा दे।’
शासन में पारदर्शिता और समावेशिता बढ़ाने में एआई की भूमिका महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि शासन में दक्षता, पारदर्शिता और समावेशिता बढ़ाने में एआई की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता है। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने के लिए इसका लाभ उठाने की जोरदार वकालत की। सिंह ने कहा कि भारत का डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम और एआई विनियमन पर सलाहकार समूह इन नैतिक चिंताओं को दूर करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है।
भारत ने अपनाई कई महत्वपूर्ण तकनीकी पहलें
उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के मार्गदर्शन में भारत ने कई महत्वपूर्ण तकनीकी पहलें अपनाई हैं, जैसे राष्ट्रीय ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा), डिजिटल संसद, एआई-संचालित बहुभाषी सेवाएं जैसे- ‘प्रबंधक’ और मेटाडेटा टैगिंग, ताकि विधायी प्रक्रियाओं को और अधिक समावेशी और कुशल बनाया जा सके।
बहसों का तुरंत अनुवाद करने में मदद कर सकता है एआई
सिंह ने यह भी कहा कि एआई नियमित कार्यों को स्वचालित करने, बहसों का तुरंत अनुवाद करने और सूचित निर्णय लेने में मदद कर सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वभर में संसदें सुरक्षित मतदान के लिए मेटाडेटा-संचालित खोज इंजन और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग कर रही हैं।
आईपीयू ने जनरेटिव एआई को अपनाने की सिफारिश की
सिंह ने कहा कि अंतर-संसदीय संघ (आईपीयू) ने संसदों में जनरेटिव एआई को एकीकृत करने के लिए चरण-दर-चरण, जोखिम-आधारित दृष्टिकोण के तहत अपनाने की सिफारिश की है। उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्राजील जैसे देश विधायी प्रथाओं में नए एआई उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं, जो भारत और अन्य लोकतंत्रों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं।
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