महिलाओं का सम्मान हर हाल में करना चाहिए, फिर चाहे वो अपने घर की औरतें हो या घर के बाहर कोई अनजान महिला. ये बात हमे कोई सिखा नहीं सकता है बल्कि हमारी परवरिश और शिक्षा ये तय करती है कि हम महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करेंगे. हमे समाज की सभी महिलाओं के लिए इज़्ज़त और आदर की भावना रखनी चाहिए। यही हमारे संस्कारों की परिचायक होती हैं.
तुलसी दास द्वारा लिखे गए हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामचरितमानस में माना गया है कि औरतों की इज्ज़त हमेशा और हर स्थिति में करनी चाहिए. रामचरितमानस में ये भी लिखा है कि अगर आप ख़ुद से जुड़ी महिलाओं का अपमान करेंगे तो वो आपके भविष्य के लिए हानिकारक हो सकता है. अपने घर की महिलाओं या किसी भी औरत पर बुरी नज़र डालने वाला मनुष्य महापाप का भागीदारी बन जाता है. इस तरह के लोगों से भगवान नराज हो जाते हैं और उन्हें इस पाप की सज़ा जीवनभर भुगतनी पड़ती है.
रामचरिचमानस के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अपने छोटे भाई की पत्नी पर कभी भी बुरी नज़र नहीं डालनी चाहिए. वो आपकी बहू के समान मानी जाती है। ऐसा करने वाले लोगों के जीवन में उनके कर्मों का बुरा परिणाम ही होता है। इस तरह के पापों का प्रायश्चित कभी भी किया नहीं जा सकता है. इसके अलावा पुत्र की पत्नी या बहू आपकी खुद की पुत्री के समान होती है इसलिए उसकी रक्षा करना सिर्फ कर्म ही नहीं बल्कि मनुष्य का धर्म माना जाता है। किसी को भी भूल से अपनी बहू का अपमान नहीं करना चाहिए और कभी भी उसके अपमान के वक़्त पर चुप नहीं रहना चाहिए, स्थिति चाहे जैसी भी हो हमेशा अपनी पुत्रवधु का समर्थन करना चाहिए.