ACB trap : फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं रिश्वतखौर राठौड़ की कहानी, 5 करोड़ की मासिक बंधी | ACB trap, The story of Rathore is like a film script | Patrika News h3>
ACB trap : पांच लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों पकड़े गए बायोफ्यूल अथॉरिटी के सीईओ सुरेंद्र सिंह राठौड़ की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। क्योंकि सीईओ के खिलाफ जारी जांच में लगातार नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
जयपुर
Published: April 09, 2022 06:11:44 pm
ACB trap : पांच लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों पकड़े गए बायोफ्यूल अथॉरिटी के सीईओ सुरेंद्र सिंह राठौड़ की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। क्योंकि सीईओ के खिलाफ जारी जांच में लगातार नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बता दें कि सीईओ राठौड़ 5 साल पहले तक एक मिडिल क्लास आदमी की तरह सामान्य तरीके से अपना जीवन यापन कर रहा था। लेकिन करोड़ों रुपए की मासिक बंधी लेने का खेल चालू करते ही उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई और वह करोड़ों रुपए की काली कमाई का मालिक बन गया। राठौड़ की लाइफ स्टाइल पूरी तरह से बदल गई और देखते ही देखते उसने 100 करोड़ रुपए की संपत्ति गैर कानूनी तरीके से अर्जित कर ली।
राठौड़ नियम विरुद्ध बना सीईओ
सुरेंद्र सिंह राठौड़ वर्ष 2000 में एयरफोर्स से सार्जेंट के पद पर रिटायर होने के बाद पंचायती राज विभाग में एक प्रोजेक्ट के जरिए जुड़ा। उसके बाद वर्ष 2007 में पंचायती राज विभाग में भर्ती हो गया और यह भर्ती तमाम नियमों को ताक पर रखकर की गई। इसके बाद राठौड़ वर्ष 2009 में बायोफ्यूल अथॉरिटी से जुड़ गया और डिप्टी सीईओ और जॉइंट सीईओ के पद पर रहा। इसके बाद वर्ष 2019 में राठौड़ को सीईओ के पद पर पदोन्नत कर दिया गया। तब से लेकर अब तक वह बायोफ्यूल अथॉरिटी के सीईओ के पद पर लगातार बना रहा। इससे पूर्व सीईओ के पद पर आईएएस अधिकारियों को तैनात किया जाता था, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर राठौड़ को सीईओ बनाया गया। राठौड़ बायोफ्यूल की मैन्युफैक्चरिंग करने वाले और उसके डिस्ट्रीब्यूशन का काम करने वाले सप्लायर्स से हर महीने 5 करोड़ रुपए की मासिक बंधी वसूल रहा था और लगातार अपनी काली कमाई में बढ़ोतरी कर रहा था। ताज्जुब की बात यह है कि प्रदेश में बायोफ्यूल का काम करने वाली 12 फर्म कार्यरत हैं, लेकिन किसी ने भी राठौड़ के खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाई।
संविदाकर्मी निकला राठौड़ का निजी आदमी
एसीबी ने राठौड़ के साथ ही देवेश शर्मा नामक एक संविदाकर्मी को राठौड़ के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किया था। जब इस पूरे प्रकरण की पड़ताल की गई तो यह तथ्य सामने आए हैं कि देवेश शर्मा बायोफ्यूल अथॉरिटी में संविदाकर्मी के पद पर कार्यरत ही नहीं है बल्कि उसे राठौड़ ने ही बायोफ्यूल की विभिन्न फर्म से अवैध वसूली करने के लिए रखा था। यहां तक कि राठौड़ ने बायोफ्यूल अथॉरिटी के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों तक को इसकी भनक नहीं लगने दी कि देवेश शर्मा संविदाकर्मी न होकर एक प्राइवेट व्यक्ति है। राठौड़ ने बायोफ्यूल अथॉरिटी के अन्य तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को देवेश शर्मा के बारे में यही बता रखा था कि उसे संविदा पर लगाया गया है जो कि पिछले 3 वर्ष से काम कर रहा है।
दुष्कर्म का आरोपी है देवेश
प्रकरण में एसीबी की जांच लगातार जारी है, जिसमें परत दर परत कई खुलासे हो रहे हैं। राठौड़ के लिए अवैध वसूली करने वाले देवेश शर्मा का भी एक मामला सामने आया है, जिसमें उसने खुद को आरएएस अधिकारी बताकर एक युवती से दुष्कर्म किया था। एक साल का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अब तक उसे गिरफ्तार नहीं किया। ऊंची रसूख के चलते शिप्रापथ थाने में देवेश के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में जांच को पिछले एक साल से पेंडिंग रखा हुआ है। वहीं, देवेश ने राठौड़ के साथ मिलकर जांच अधिकारी तक को बदलवा दिया और मामला महिला अनुसंधान सेल साउथ में ट्रांसफर करवा लिया, जिसकी भनक पीड़िता तक को नहीं है। पिछले एक साल से देवेश लगातार पीड़िता पर राजीनामा करने का दबाव बनाता रहा और राठौड़ भी पीड़िता से देवेश का चाचा बनकर मिला। जिसमें खुद को एक बैंक अधिकारी बता कर मामले में राजीनामा करने का दबाव बनाया। फिलहाल, मामले में एसीबी की जांच-पड़ताल जारी है।
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ACB trap : पांच लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों पकड़े गए बायोफ्यूल अथॉरिटी के सीईओ सुरेंद्र सिंह राठौड़ की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। क्योंकि सीईओ के खिलाफ जारी जांच में लगातार नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
जयपुर
Published: April 09, 2022 06:11:44 pm
ACB trap : पांच लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों पकड़े गए बायोफ्यूल अथॉरिटी के सीईओ सुरेंद्र सिंह राठौड़ की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। क्योंकि सीईओ के खिलाफ जारी जांच में लगातार नए और चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। बता दें कि सीईओ राठौड़ 5 साल पहले तक एक मिडिल क्लास आदमी की तरह सामान्य तरीके से अपना जीवन यापन कर रहा था। लेकिन करोड़ों रुपए की मासिक बंधी लेने का खेल चालू करते ही उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई और वह करोड़ों रुपए की काली कमाई का मालिक बन गया। राठौड़ की लाइफ स्टाइल पूरी तरह से बदल गई और देखते ही देखते उसने 100 करोड़ रुपए की संपत्ति गैर कानूनी तरीके से अर्जित कर ली।
राठौड़ नियम विरुद्ध बना सीईओ
सुरेंद्र सिंह राठौड़ वर्ष 2000 में एयरफोर्स से सार्जेंट के पद पर रिटायर होने के बाद पंचायती राज विभाग में एक प्रोजेक्ट के जरिए जुड़ा। उसके बाद वर्ष 2007 में पंचायती राज विभाग में भर्ती हो गया और यह भर्ती तमाम नियमों को ताक पर रखकर की गई। इसके बाद राठौड़ वर्ष 2009 में बायोफ्यूल अथॉरिटी से जुड़ गया और डिप्टी सीईओ और जॉइंट सीईओ के पद पर रहा। इसके बाद वर्ष 2019 में राठौड़ को सीईओ के पद पर पदोन्नत कर दिया गया। तब से लेकर अब तक वह बायोफ्यूल अथॉरिटी के सीईओ के पद पर लगातार बना रहा। इससे पूर्व सीईओ के पद पर आईएएस अधिकारियों को तैनात किया जाता था, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर राठौड़ को सीईओ बनाया गया। राठौड़ बायोफ्यूल की मैन्युफैक्चरिंग करने वाले और उसके डिस्ट्रीब्यूशन का काम करने वाले सप्लायर्स से हर महीने 5 करोड़ रुपए की मासिक बंधी वसूल रहा था और लगातार अपनी काली कमाई में बढ़ोतरी कर रहा था। ताज्जुब की बात यह है कि प्रदेश में बायोफ्यूल का काम करने वाली 12 फर्म कार्यरत हैं, लेकिन किसी ने भी राठौड़ के खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाई।
संविदाकर्मी निकला राठौड़ का निजी आदमी
एसीबी ने राठौड़ के साथ ही देवेश शर्मा नामक एक संविदाकर्मी को राठौड़ के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत राशि लेते हुए गिरफ्तार किया था। जब इस पूरे प्रकरण की पड़ताल की गई तो यह तथ्य सामने आए हैं कि देवेश शर्मा बायोफ्यूल अथॉरिटी में संविदाकर्मी के पद पर कार्यरत ही नहीं है बल्कि उसे राठौड़ ने ही बायोफ्यूल की विभिन्न फर्म से अवैध वसूली करने के लिए रखा था। यहां तक कि राठौड़ ने बायोफ्यूल अथॉरिटी के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों तक को इसकी भनक नहीं लगने दी कि देवेश शर्मा संविदाकर्मी न होकर एक प्राइवेट व्यक्ति है। राठौड़ ने बायोफ्यूल अथॉरिटी के अन्य तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को देवेश शर्मा के बारे में यही बता रखा था कि उसे संविदा पर लगाया गया है जो कि पिछले 3 वर्ष से काम कर रहा है।
दुष्कर्म का आरोपी है देवेश
प्रकरण में एसीबी की जांच लगातार जारी है, जिसमें परत दर परत कई खुलासे हो रहे हैं। राठौड़ के लिए अवैध वसूली करने वाले देवेश शर्मा का भी एक मामला सामने आया है, जिसमें उसने खुद को आरएएस अधिकारी बताकर एक युवती से दुष्कर्म किया था। एक साल का समय बीत जाने के बाद भी पुलिस ने अब तक उसे गिरफ्तार नहीं किया। ऊंची रसूख के चलते शिप्रापथ थाने में देवेश के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म के मामले में जांच को पिछले एक साल से पेंडिंग रखा हुआ है। वहीं, देवेश ने राठौड़ के साथ मिलकर जांच अधिकारी तक को बदलवा दिया और मामला महिला अनुसंधान सेल साउथ में ट्रांसफर करवा लिया, जिसकी भनक पीड़िता तक को नहीं है। पिछले एक साल से देवेश लगातार पीड़िता पर राजीनामा करने का दबाव बनाता रहा और राठौड़ भी पीड़िता से देवेश का चाचा बनकर मिला। जिसमें खुद को एक बैंक अधिकारी बता कर मामले में राजीनामा करने का दबाव बनाया। फिलहाल, मामले में एसीबी की जांच-पड़ताल जारी है।
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