विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि भ्रूण को आज शरीर के बाहर भी विकसित किया जा सकता है… वहीं प्राचीन समय में तकनीकी प्रगति न होने के कारण पारंपरिक तरीकों और पूर्व प्रचलित मान्यताओं पर आधारित रीति-रिवाजों के द्वारा ही इन समस्याओं का समाधान किया जाता था. हालांकि इसमें कई प्रकार की कमियां भी थीं, पर तब इसके सिवा कोई अन्य रास्ता भी तो नहीं था। आजकल की महिलाएं दवाइयों का सहारा लेती हैं।
ऐसी बहुत सारी दवाइयां आज मैडीकल शॉप पर मौजूद हैं लेकिन क्या कभी सोचा है कि पुराने जमाने में बच्चे की चाहत नहीं रखने वाली महिलाएं क्या उपाय करती थीं। जी हां आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर यकीनन आपके होश उड़ जाएंगे।चलिए जानते हैं गर्भ निरोध के लिए उनके अजीबोगरीब नुस्खे।।
इस कड़ी में सबसे पहले स्थान पर है मगरमच्छ का मल। 1850 बीसी के मिस्र के कई दस्तावेज बताते हैं महिला योनि में शुक्राणुओं का प्रवेश रोकने के लिए योनि को मगरमच्छ के मल, हनी और सोडियम बाइकारबोनेट के कड़े घोल को भर दिया जाता था। मान्यता था कि इसमें शुक्राणुओं को के अंदर जाने और उसे बढ़ने से रोकने की ताकत है।
गर्भधारण रोकने के लिए सबसे खतरनाक उपायों में शामिल है लेड और मरकरी से बना घोल जिसे महिलाओं को पिलाया जाता था। इस घोल को चीन में इस्तेमाल किया गया। इस घोल में गर्भाशय क्या, किडनी से लेकर दिमाग तक खराब कर देने और जान ले लेने की शक्ति होती है।
मध्यकाल में कुछ ऐसी मान्यता थी कि अगर महिला की जांघों पर वीजल नाम के जानवर का अंडाशय और एक हड्डी बांध दी जाए तो महिला गर्भवती नहीं होगी।4,000 साल पहले चीन में महिलाएं गर्भावस्था को रोकने के लिए पारा पीती थीं. वहीं माना जाता है कि पारा एक जहरीला रासायनिक तत्व है. कहा जाता है कि महिलाएं प्रेगनेंट होने से बचने के लिए पुराने जमाने में लेड (शीशा) मिला हुआ पानी पीती थीं. महिलाओं को खाली पेट तेल और पारे का घोल पिलाया जाता था. दरअसल पारा शरीर के लिए ज़हर समान है।
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असल में इसके अधिक सेवन से इनफर्टिलिटी हो जाती है. इसी मान्यता पर लेड का सहारा गर्भनिरोध के तौर पर लिया जाता था. सबसे ज्यादा चीन में इस डरावनी पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था. लेड के इस्तेमाल का एक साइड इफेक्ट फर्टिलिटी घटना भी थी। यकीनन पुराने जमाने के गर्भनिरोध के ये तरीके जानकर आप हैरान हो गए होंगे. हालांकि हम इस तरह के किसी भी रीति-रिवाजों और वस्तुओं या तत्व के इस्तेमाल का समर्थन नहीं करते. वहीं आज के आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत दौर में इन बातों पर लोग विश्वास नहीं करते।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है. यह खबर इंटरनेट से ली गयी है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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