बिहार का इतिहास इतना अनूठा है, उसके बाद भी क्यों बिहार की गिनती पिछड़े राज्यों में होती है?

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बेशक आज बिहार की गिनती पिछड़े राज्यों में की जाती है लेकिन बिहार का नाम इतिहास के उन पन्नों में दर्ज है, जो इसके अनूठे इतिहास को दर्शाता है। भगवान बुद्ध की कर्मभूमि के तोर पर विख्यात बिहार में ही सबसे पहले गणराज्य के बीज बोए गए थे। जो बाद में आधुनिक लोकतंत्र के रूप में विस्तार हुई थी। बड़ी हैरत होती है कि इतिहास में भारतवर्ष का अहम अंग रहने वाला बिहार आज अपनी गरीबी , भ्रष्टाचार ,बीमारियां के लिए जाना जाता है।अगर भारत के सभी राज्यों की तुलना करें तो बिहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और गौरवगाथा सबसे समृद्ध है।

इस राज्य के पिछड़े-पन का सबसे बड़ा कारण है, भ्रष्टाचार इस राज्य से इतने घोटाले जोड़े हुए है जिनके बारे में जानकार कोई भी हैरान हो जाएगा और जो इसके समृद्धि में सबसे बड़ा काटा है, चाहे बात करे चारा घोटाला की या फिर शौचालय घोटाला, सृजन घोटाला, इंटर टॉपर्स घोटाला, गर्भाशय घोटाला, अलकतरा घोटाला की देश के नामी नेता और प्रशाशन का नाम इस घोटाले से जोड़ा हुआ है। बिहार के विकास में सबसे बड़ी बाधा गरीबी है बिहार में 57.2 प्रतिशत लोग गरीबी-रेखा से नीचे हैं। इस परिस्थितियों में प्रति व्यक्ति आय भी काफी कम है। एक अध्ययन के मुताबिक 72 प्रतिशत लोग कच्चे मकानों में गुजर कर रहे हैं।

जनसंख्या की बेलगाम वृद्धि का सीधा ताल्लुक शिक्षा तथा आर्थिक विकास से है। शिक्षा का हाल यह है कि कुल राष्ट्रीय साक्षरता 52.21 प्रतिशत में 64 प्रतिशत पुरुष तथा 39 प्रतिशत नारी साक्षरता के परिप्रेक्ष्य में बिहार में कुल 38.54 प्रतिशत साक्षरता में पुरुष साक्षरता 52 प्रतिशत तथा स्त्री साक्षरता 23 प्रतिशत है। आज भी गाँव-गवई, खासकर दलित समाज से शिक्षा कोसों दूर है। गरीब अपने बच्चों को स्कूल भेजने से अधिक उसे रोजी-रोटी से जोड़ना उपयोगी समझते हैं।आपको यह भी बता दे की बिहार के वर्त्तमान हालत का सबसे बड़ा जिम्मेदार यहाँ अभी भी लोग आपस में जाति के आधार पर भेदभाव करते है और जो बेशक तोर पर गलत है।

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