चित्तौड़ी आठम पर याद किया मेवाड़ का इतिहास: कालिका माता मंदिर में चढ़ाई ध्वजा, शाम को होगा दीपदान – Chittorgarh News h3>
स्वाभिमान और शौर्य की धरती चित्तौड़गढ़ में सोमवार को चित्तौड़ी आठम के रूप में स्थापना दिवस बड़े ही उत्साह और धार्मिक भावनाओं के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन चित्तौड़ के इतिहास में गौरवशाली घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जब राणा हम्मीर ने दुर्ग को फिर से जीतक
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इतिहास में राणा हम्मीर की चित्तौड़ विजय से जुड़ा दिन
14वीं सदी में राणा हम्मीर ने मालदेव सोनगरा को पराजित कर चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर फिर से अपना अधिकार स्थापित किया था। यह विजय वैशाख शुक्ल अष्टमी के दिन ही हुई थी। माना जाता कि इसी दिन सूर्य मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर और मां कालिका की प्रतिमा की स्थापना जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य भी संपन्न हुए थे।
2008 में फिर से शुरू हुआ चित्तौड़ी आठम महोत्सव
चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के अध्यक्ष मुकेश नाहटा ने बताया कि यह परंपरा सालों तक चलने के बाद 1958 में बंद हो गई थी, लेकिन 2008 में “चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति” ने इसे फिर से शुरू किया। समिति का उद्देश्य चित्तौड़ की गौरवशाली विरासत को पुनर्जीवित करना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है। तब से हर साल इस दिन को सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
कालिका माता मंदिर में हवन पूजन किया गया।
कालिका माता मंदिर पर ध्वजारोहण और हवन
महोत्सव के तहत सोमवार सुबह चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के कार्यकर्ताओं ने भव्य ध्वजा के साथ कालिका माता मंदिर पहुंचे। वहां वैदिक विधि-विधान से ध्वजा चढ़ाई गई। मंदिर परिसर में सुख-शांति, समृद्धि और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए यज्ञ-हवन भी किया गया। इस अवसर पर RSS के विभाग संचालक हेमंत जैन, जिला प्रचारक त्रिलोक, जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष राव नरेंद्र सिंह, अमन गौड़, कुलदीप पारीक सहित कई लोग मौजूद रहे।
भारत-पाक युद्ध को लेकर की गई विशेष मनोकामना
हवन के दौरान महंत रामनारायण पुरी के सानिध्य में पंडित अरविंद भट्ट ने पूजा अर्चना करवाई। विशेष रूप से इस बात की भी कामना की गई कि यदि भविष्य में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है, तो उसमें भारत को विजय और पाकिस्तान को पराजय का सामना करना पड़े।
हवन में पूर्णाहुति देते हुए चित्तौड़ी आठम महोत्सव समिति के कार्यकर्ता और अन्य अतिथि।
शाम को दीपदान और भव्य आतिशबाजी होगी
शाम के समय सुभाष चौक पर रंगोली बनाकर दीपदान किया जाएगा। कालिका माता और महाराणा प्रताप की तस्वीरों पर पुष्प अर्पित किए जाएंगे। इसके बाद भव्य आतिशबाजी की जाएंगी और उपस्थित जनों को मिष्ठान्न वितरित कर उनका मुंह मीठा कराया जाएगा। महोत्सव में शहर के विभिन्न सामाजिक, धार्मिक, व्यापारिक और राजनीतिक संगठनों के पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद होंगे।
चित्तौड़ का गौरव बढ़ा रहे युवा और संस्थान
इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि चित्तौड़ न सिर्फ ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है, बल्कि आज भी अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर राज्य और देश में अपना नाम रोशन कर रहा है। महोत्सव समिति के संस्थापक अध्यक्ष मुकेश नाहटा ने बताया कि चित्तौड़ की परंपरा, गौरव और सांस्कृतिक मूल्यों को जीवित रखना हम सबका दायित्व है।