MP के सबसे बड़े पुण्य विवाह सम्मेलन की कहानी: 2001 से शुरू हुआ, अब तक 28 हजार से अधिक कन्याओं का कराया विवाह – Sagar News h3>
एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर सम्मेलन में परिणय सूत्र में बंधें।
सागर जिले के गढ़ाकोटा कस्बे में गुरुवार को कुछ ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने खुशी और भावुक होने से हजारों लोगों की आंखें नम कर दीं। सरदार वल्लभभाई पटेल स्टेडियम में जब एक साथ तीन हजार से ज्यादा जोड़े सात फेरे ले रहे थे, तो मंच से लेकर मैदान तक सिर्फ
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यह कोई आम विवाह समारोह नहीं था, बल्कि 23वां पुण्य विवाह सम्मेलन था, जिसकी नींव कभी एक अधूरी साड़ी और अधूरी उम्र की शादी ने रखी थी। तब से लेकर अब तक रहली विधायक गोपाल भार्गव स्वयं को उनका ‘धर्मपिता’ मानते हुए इस सम्मेलन के जरिए से 28 हजार से ज्यादा बेटियों की शादियां करवा चुके हैं।
सागर के सरदार वल्लभ भाई पटेल स्टेडियम में हुए पुण्य विवाह सम्मेलन में सागर सहित संभाग के दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी और छतरपुर जिलों के जोड़े विवाह बंधन में बंधे। आयोजन की एक विशेष बात यह भी रही कि कुछ परिवारों में पहले पिता का विवाह इसी सम्मेलन में हुआ था और अब उन्हीं के बेटा-बेटियों का विवाह भी यहीं कराया गया। आयोजकों का दावा है कि यह मध्यप्रदेश का सबसे बड़े पुण्य विवाह सम्मेलन है।
अब देखिए विवाह सम्मेलन की तीन तस्वीरें…
सम्मेलन में एक साथ तीन हजार से ज्यादा जोड़ों की शादी हुई।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी वर-वधुओं को आशीर्वाद देने पहुंचे।
इस दौरान हजारों की संख्या में आसपास के लोग शामिल होने आए।
जानिए, कैसे हुई पुण्य विवाह सम्मेलन की शुरुआत रहली विधानसभा से नौ बार विधायक चुने गए गोपाल भार्गव ने बुंदेलखंड जैसे आर्थिक रूप से पिछड़े और सामाजिक रूप से रूढ़िवादी इलाके में एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत की। लगभग 27 वर्ष पहले, ग्राम छिरारी में अहिरवार समाज की कन्याओं का विवाह समारोह आयोजित हुआ था, जिसमें विधायक भार्गव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने वहां कन्याओं को आर्थिक सहायता दिलवाई।
इसी दिन ग्राम कड़ता में एक और दृश्य उनकी आंखों के सामने आया, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। वहां दो बच्चियों की शादी अधेड़ उम्र के दूल्हों से कराई जा रही थी। बच्चियों ने एक ही साड़ी के दो टुकड़े पहन रखे थे। यह दृश्य देख विधायक स्तब्ध रह गए।
उन्होंने बच्चियों के पिता को बुलाकर इसका कारण पूछा। जवाब मिला- “कर्ज लिया था, चुका नहीं पाया, इसलिए जैसे-तैसे शादी कर रहा हूं।” यह सुनकर विधायक भार्गव बेहद व्यथित हो गए। उन्होंने तुरंत वहां बेहतर व्यवस्था करवाई और बच्चियों की शादी योग्य युवकों से कराई। इसी घटना ने उनके भीतर एक संकल्प को जन्म दिया- “जब तक जीवन है, मैं किसी भी गरीब बेटी की शादी में रुकावट नहीं आने दूंगा।”
इसके बाद वर्ष 2001 से ‘पुण्य विवाह सम्मेलन’ की शुरुआत हुई। तब से लेकर अब तक यह आयोजन बिना रुके लगातार 25 वर्षों से जारी है और अब तक 28 हजार से अधिक कन्याओं का विवाह इस सम्मेलन में चुका है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम में शामिल होकर वर-वधु को दिया आशीर्वाद।
एक महीने पहले शुरू हो जाती हैं तैयारियां गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने बताया कि पुण्य विवाह सम्मेलन की तारीख तय होते ही लगभग एक महीने पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं। इसके लिए युवाओं की टीमें पंजीयन से लेकर आयोजन की हर छोटी-बड़ी व्यवस्था में सक्रिय हो जाती हैं।
सम्मेलन में वर-वधु को दिए जाने वाले उपहार विशेष रूप से बाहर से मंगवाए जाते हैं। आयोजन में करीब एक लाख लोगों के भोजन की व्यवस्था की जाती है, जिसके लिए 1,000 से अधिक युवा स्वयंसेवक अलग-अलग समितियों में बंटकर काम करते हैं। अभिषेक ने बताया कि सम्मेलन पूरी पारंपरिक विधि-विधान से होता है। जयमाला, सात फेरे, विदाई जैसी रस्में अलग-अलग मंडपों में कराई जाती हैं।
“राजनीतिक मजबूरी नहीं, संकल्प है”-गोपाल भार्गव पूर्व मंत्री और रहली विधायक गोपाल भार्गव ने कहा कि पुण्य विवाह सम्मेलन आज देशभर में एक मिसाल बन चुका है। इसकी भव्यता और सामाजिक प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब इसमें दो पीढ़ियों की नहीं, बल्कि तीसरी पीढ़ी की भी शादियां होने लगी हैं।
उन्होंने भावुक स्वर में कहा, मैंने यह व्रत लिया है कि जब तक जीवन रहेगा, गरीब कन्याओं का विवाह कराता रहूंगा। मेरे लिए यह कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं, बल्कि संकल्प है।
उन्होंने यह भी बताया कि अपने बेटे और बेटी की शादी भी उन्होंने इसी सम्मेलन के माध्यम से कराई। अगले चार साल तक कोई चुनाव नहीं है, फिर भी सम्मेलन हो रहा है। गोपाल भार्गव ने अब तक 28 हजार से अधिक बेटा-बेटियों की शादी करवाई है और रहली विधानसभा क्षेत्र में 25 हजार से अधिक कन्याओं के विवाह कराकर एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया, जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है।
गहनों से लेकर कपड़े और बर्तन तक दिए उपहार पुण्य विवाह सम्मेलन में परिणय सूत्र में बंधने वाले प्रत्येक वर-वधु को आयोजकों की ओर से लगभग 49 हजार रुपए मूल्य के उपहार भेंट किए गए। इनमें 51 बर्तनों का सेट, वर-वधु के लिए पारंपरिक शगुन के वस्त्र, बैग, दीवार घड़ी और करीब 80 ग्राम वजन के गोल्ड प्लेटेड गहनों की चूड़ियां, मंगलसूत्र, और टीका दिए गए।
इसके साथ ही सभी घरातियों और बारातियों के स्वागत के लिए पारंपरिक बुंदेली व्यंजन जैसे दाल, चावल, कढ़ी, सब्जी, पूड़ी, रसगुल्ला, रसना और जलजीरा सहित स्वादिष्ट भोजन की भव्य व्यवस्था की गई।
वर-वधु के लिए पारंपरिक शगुन के वस्त्र समेत अन्य उपहार दिए गए।
परिवार ने लिया सम्मेलन में शादी का फैसला राहतगढ़ से विवाह सम्मेलन में शामिल होने आए दूल्हे पुष्पेंद्र सिंह राजपूत ने बताया कि उनकी शादी की पारंपरिक तैयारियां पहले से चल रही थीं। इसी दौरान परिजनों ने सुझाव दिया कि गढ़ाकोटा में हर साल एक भव्य विवाह सम्मेलन होता है, जहां सारी व्यवस्थाएं घर जैसे माहौल में की जाती हैं।
उन्होंने कहा, “परिवार ने तय किया कि मेरी शादी उसी पुण्य विवाह सम्मेलन में कराई जाए। आज हम इस आयोजन का हिस्सा बने और पूरे रीति-रिवाज के साथ विवाह हुआ।”
बचपन से देखा सम्मेलन, अब खुद यहीं लिए सात फेरे रहली निवासी अंशुल यादव ने कहा, “मेरी उम्र 25 साल है और इस पुण्य विवाह सम्मेलन का आयोजन भी इतने ही वर्षों से हो रहा है। बचपन से मैं गढ़ाकोटा में होने वाले इस विवाह सम्मेलन को देखता आया हूं। हर साल जब यहां आता, तो मन में एक ही बात होती थी- जब मेरी शादी होगी, तो यहीं करूंगा।”