पूर्व मंत्री महेश जोशी आज रात जेल में बिताएंगे: पत्नी के अंतिम संस्कार से जुड़े रीति रिवाज निभाने के लिए 9 दिन की राहत मांगी, कल आएगा फैसला – Jaipur News

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पूर्व मंत्री महेश जोशी आज रात जेल में बिताएंगे:  पत्नी के अंतिम संस्कार से जुड़े रीति रिवाज निभाने के लिए 9 दिन की राहत मांगी, कल आएगा फैसला – Jaipur News

पूर्व मंत्री महेश जोशी आज रात जेल में बिताएंगे: पत्नी के अंतिम संस्कार से जुड़े रीति रिवाज निभाने के लिए 9 दिन की राहत मांगी, कल आएगा फैसला – Jaipur News

900 करोड़ के जल जीवन मिशन घोटाले के मामले में आरोपी पूर्व मंत्री महेश जोशी की अंतरिम जमानत याचिका पर आज ईडी कोर्ट में सुनवाई हुई। लेकिन इस पर फैसला शुक्रवार को आएगा। वहीं, दूसरी तरफ अंतरिम जमानत की मियाद खत्म होने पर महेश जोशी जयपुर सेंट्रल जेल पहुंचे

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दरअसल, आज महेश जोशी की ओर 9 दिन की अंतिम जमानत मांगी गई। महेश जोशी के वकील दीपक चौहान ने कहा जोशी को अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार से जुड़े रीति रिवाज निभाने हैं। इस दुख की घड़ी में बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर पहुंच रहे हैं। ऐसे में महेश जोशी का मौजूद रहना जरूरी है। वहीं, पत्नी की 13वीं से पहले और उस दिन के अन्य रीति-रिवाज महेश जोशी के हाथों से ही संपन्न होना जरूरी है। ऐसे में उन्हें 9 दिन की अंतरिम जमानत और दी जाए।

बता दें कि कोर्ट ने 28 अप्रैल को पत्नी की मौत के चलते महेश जोशी को 4 दिन की अंतरिम जमानत दी थी। महेश जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। सोमवार को रिमांड खत्म होने पर कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। उनकी पत्नी की मौत होने पर उन्हें चार दिन की अंतरिम जमानत मिल गई थी। आज महेश जोशी की ओर से कोर्ट में जमानत याचिका लगाई गई हैं। अगर महेश जोशी को आज बेल नहीं मिलती है तो उन्हें जेल जाना होगा।

ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी सर्टिफिकेट से हासिल किए थे टेंडर

जेजेएम घोटाले में अब तक पीयूष जैन, पदम चंद जैन, महेश मित्तल और संजय बड़ाया की गिरफ्तारी हो चुकी है। जेजेएम घोटाला केंद्र सरकार की हर घर नल पहुंचाने वाली ‘जल जीवन मिशन योजना’ से जुड़ा है। साल 2021 में श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी और मैसर्स श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी के ठेकेदार पदमचंद जैन और महेश मित्तल ने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र दिखाकर जलदाय विभाग (PHED) से करोड़ों रुपए के 4 टेंडर हासिल किए थे।

श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी ने फर्जी कार्य प्रमाण पत्रों से पीएचईडी की 68 निविदाओं में भाग लिया था। उनमें से 31 टेंडर में एल-1 के रूप में 859.2 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे।

श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी ने 169 निविदाओं में भाग लिया और 73 निविदाओं में एल -1 के रूप में भाग लेकर 120.25 करोड़ के टेंडर हासिल किए थे।

घोटाले का खुलासा होने पर एसीबी ने जांच शुरू की। कई भ्रष्ट अधिकारियों को दबोचा। फिर ईडी ने केस दर्ज कर महेश जोशी और उनके सहयोगी संजय बड़ाया सहित अन्य के ठिकानों पर दबिश दी थी।

इसके बाद सीबीआई ने 3 मई 2024 को केस दर्ज किया। ईडी ने अपनी जांच पूरी कर 4 मई को सबूत और दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए थे।

पांच पॉइंट में समझें, क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?

पहला: ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी। जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था। इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी। इसकी जगह पर HDPE की पाइपलाइन डाली गई।

दूसरा: पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर पैसा लिया गया, जबकि पाइपलाइन डाली ही नहीं गई।

तीसरा: कई किलोमीटर तक आज भी पानी की पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर उसका पैसा उठा लिया।

चौथा: ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उन्हें नए पाइप बता कर बिछा दिया। सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए।

पांचवां: ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी थी। इसके बाद भी उसे टेंडर दिया गया, क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था।

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राजस्थान की पिछली सरकार में हुए 980 करोड़ के जल जीवन मिशन (जेजेएम) घोटाले के बाद अब और भी ठेकेदारों को किए लेन-देन की परतें उधड़ रही हैं। राजस्थान में पिछले विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लगने से ठीक तीन दिन पहले ठेकेदारों को देने के लिए करीब 381 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई। फाइल चंद घंटों में ऐसे दौड़ी कि नीचे से ऊपर तक सभी पड़ाव पार कर डाले। (पूरी खबर पढ़ें)

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