चंडीगढ़ महफिल बिल्डिंग गिरने का मामला: जांच में खुलासा- बिना सर्टिफिकेट करवाई रेनोवेशन; मालिक-लीजधारक जिम्मेदार, अब पुलिस को देंगे रिपोर्ट – Chandigarh News

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चंडीगढ़ महफिल बिल्डिंग गिरने का मामला:  जांच में खुलासा- बिना सर्टिफिकेट करवाई रेनोवेशन; मालिक-लीजधारक जिम्मेदार, अब पुलिस को देंगे रिपोर्ट – Chandigarh News

चंडीगढ़ महफिल बिल्डिंग गिरने का मामला: जांच में खुलासा- बिना सर्टिफिकेट करवाई रेनोवेशन; मालिक-लीजधारक जिम्मेदार, अब पुलिस को देंगे रिपोर्ट – Chandigarh News

चंडीगढ़ सेक्टर-17 में महफिल बिल्डिंग गिरती हुई।

चंडीगढ़ सेक्टर-17 में महफिल बिल्डिंग गिरने के मामले में चंडीगढ़ प्रशासन की फैक्ट फाइंडिंग जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, बिल्डिंग के मालिक और लीजधारक (पट्टेदार) दोनों को हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।

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चंडीगढ़ प्रशासन के सेंट्रल डिवीजन के एसडीएम ने जांच रिपोर्ट में बताया है कि दोनों पक्षों को यह पता था कि बिल्डिंग की स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी (संरचनात्मक स्थिरता) का सर्टिफिकेट नहीं लिया गया था, इसके बावजूद उन्होंने मरम्मत और बदलाव का काम शुरू कर दिया। इस दौरान संभावित जोखिमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।

अब प्रशासन इस विस्तृत रिपोर्ट को चंडीगढ़ पुलिस को सौंपेगा, ताकि पुलिस आपराधिक एंगल से जांच कर आगे की कार्रवाई कर सके। महफिल बिल्डिंग हादसे में मालिक और लीजधारक की लापरवाही ऐसे सामने आई

लीजधारक की लापरवाही

लीज दस्तावेज में स्पष्ट था कि स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी है, फिर भी बिना इसे प्राप्त किए भवन में रेनोवेशन और परिवर्तन कार्य शुरू कर दिया गया। लीज के तहत परिसर का कब्जा लीजधारक के पास था और उनकी जानकारी के बिना कोई काम नहीं हो सकता था।

बिल्डिंग गिरने के बाद बिखरा पड़ा मलबा।

मरम्मत के समय संरचना को मजबूती देने के लिए कोई सेफ्टी उपाय (जैसे क्लेपिंग) नहीं किए गए। काम कर रहे कॉन्ट्रैक्ट्स को हटाने के लिए कई बार चेतावनी दी गई, लेकिन लीजधारक ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया और न ही पुलिस में कोई शिकायत दर्ज करवाई।

मालिक की लापरवाही

  • लीज एग्रीमेंट में स्पष्ट निर्देश के बावजूद स्ट्रक्चरल स्टेबिलिटी सर्टिफिकेट पहली बार में ही नहीं लिया गया।
  • बिल्डिंग के संशोधित नक्शे एस्टेट ऑफिस से पास नहीं कराए गए थे, इसके बावजूद निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।
  • दावा किया गया कि भवन पर पूरा कब्जा लीजधारक का था, लेकिन वॉट्सऐप चैट से पता चला कि हादसे से पहले के दिनों में मालिक के ठेकेदार भी रेनोवेशन कार्य में लगे हुए थे।
  • बिल्डिंग गिरने के बाद भी मालिक ने पुलिस में औपचारिक शिकायत 13 जनवरी 2025 को, यानी हादसे के एक हफ्ते बाद की। इस देरी पर भी सवाल उठ रहे हैं।

बिल्डिंग गिरने के बाद चारों तरफ धूल ही धूल।

बिल्डिंग की सुरक्षा की नजरअंदाज

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मरम्मत कार्य के दौरान भी किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी। इसके अलावा एस्टेट ऑफिस द्वारा संशोधित नक्शों पर आपत्ति जताई गई थी, फिर भी मालिक और लीजधारक ने उसे दरकिनार करते हुए निर्माण कार्य जारी रखा। सूत्रों के मुताबिक, अब चंडीगढ़ पुलिस इस मामले में बिल्डिंग के आर्किटेक्ट, ठेकेदार और अन्य तकनीकी लोगों की भूमिका की भी आपराधिक एंगल से जांच करेगी।

यूटी के डिप्टी कमिश्नर को सौंपी गई इस फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में कहा गया है कि हादसे से पहले तमाम स्तरों पर भारी लापरवाही और नियमों की अवहेलना की गई थी।

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