एडवांस स्टेज कैंसर का इलाज इम्युनोथैरेपी से संभव: कैंसर सेल्स नष्ट कर नॉर्मल सेल्स को रखती है सुरक्षित, लेकिन हर मरीज के लिए नहीं – Bhopal News h3>
कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ने के साथ बीते 5 सालों में बेहतर और सुरक्षित इलाज से सर्वाइवल रेट में भी सुधार आया है। ऐसी ही नई इलाज की विधि को लेकर भोपाल के होटल कोर्टयार्ड बाय मैरियट में शनिवार और रविवार को दो दिवसीय लीडर इम्युनो ऑन्कोलॉजी नेटवर्क (लॉयन
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जिसमें मुंबई से आए मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. पूर्विश महेंद्र पारिख ने बताया कि कैंसर के मरीजों के नए इलाज के रूप में इम्युनोथैरेपी एक अहम रोल निभा रही है। यह सिर्फ कैंसर सेल्स पर टारगेट करती है। जबकि, कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स के साथ नॉर्मल सेल्स पर भी असर डालती है। यही कारण है कि इम्युनोथैरेपी में साइडइफेक्ट का खतरा बेहद कम होता है। टॉक्सिसिटी भी कम होती है। इससे बीमारी पर तो असर पड़ता है लेकिन बीमार स्वस्थ होता है।
डॉ. पारिख ने आगे कहा कि इम्युनोथैरेपी हर मरीज के लिए नहीं होती है। किस मरीज में इस विधि से इलाज किया जा सकता है, इसकी जांच के लिए कई स्पेशल टेस्ट हैं। इसमें कुछ ब्लड टेस्ट से लेकर ट्यूमर बायोप्सी, मॉलीक्यूलर टेस्ट, लिक्विड बायोप्सी तक शामिल है। इनसे यह भी पता चलता है कि यदि मरीज पर इम्युनोथैरेपी लागू होती है तो भी कौनसी दवा देनी चाहिए। जिससे बेहतर रिजल्ट मिल सकें। यह कारण है कि इम्युनोथैरेपी कैंसर के इलाज में कीमोथेरेपी से 3 गुना बेहतर है।
एआई तैयार करेगी रोग का डिटेल डिस्क्रिपशन दिल्ली से आए मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट एक्सपर्ट डॉ. अतुल शर्मा ने बताया, जिन रोग की पहचान में एक सप्ताह लगता था, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से अब वो एक दिन में आइडेंटिफाई हो जाती हैं। अब एआई के ऐसे मॉडल तैयार हो रहे हैं जो सिटी स्कैन व एमआरआई जैसी रिपोर्ट की चंद सेकेंड में डिटेल डिस्क्रिप्शन बना देगा। जिससे रोगी के ट्रीटमेंट में मदद मिलेगी। इसके साथ पुराने मरीजों की हिस्ट्री एआई के पास होगी। जिनकी मदद से किस तरह के कैंसर में कौनसा ड्रग ज्यादा एफेक्टिव रहा, यह जानकारी भी मिल सकेगी।
नई विधि से बढ़ेगा सर्वाइवल रेट विशेषज्ञों ने बताया कि हर 10 लोगों में से एक व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में एक बार कैंसर सेल को विकसित करता है। यही नहीं 15 में से एक व्यक्ति की मृत्यु का कारण कैंसर ही होता है। दो दशक पहले तक कैंसर को लगभग लाइलाज ही माना जाता था। लेकिन इसके बाद कीमोथैरेपी तकनीक ईजाद हुई, जिससे कैंसर के मामले पहले से कहीं ज्यादा ठीक होने लगे। कीमोथेरेपी के कई सारे गंभीर साइडइफेक्ट भी हैं। इन साइड इफेक्ट से बचाने के लिए अब इम्युनोथैरेपी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तकनीक से फोर्थ स्टेज के कैंसर को भी ठीक किया जा सकता है।
एक्टर सुशांत की आत्महत्या के बाद बढ़े सुसाइड केस जब कोई चर्चित शख्सियत आत्महत्या करती है, उसका असर समाज पर गहरा और खतरनाक पड़ता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ऐसे मामलों के बाद आत्महत्या के केस 14 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद देशभर में ‘सुसाइड कैसे करें’ जैसे सर्च टर्म्स गूगल पर 19 प्रतिशत तक बढ़ गए थे। यह ट्रेंड तब और भयावह हो जाता है जब कोई मामला सामाजिक चर्चा का केंद्र बन जाए। पढ़ें पूरी खबर