तराई की सुपरमॉम! पेट में शिकारियों का फंदा: पीलीभीत में तीन शावकों को दिया जन्म, सफलतापूर्वक कर रही पालन-पोषण – Pilibhit News h3>
पीलीभीत10 मिनट पहले
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पीलीभीत की पूर्वी तराई में एक मार्मिक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। एक बाघिन, जिसके पेट में शिकारियों का फंदा फंसा है, पिछले डेढ़ साल से उस फंदे के साथ जी रही है। इसके बावजूद उसने तीन शावकों को जन्म दिया और आज भी उन्हें अपनी जान की बाजी लगाकर पाल रही है।
जनवरी 2023 में अभिनेता रणदीप हुड्डा ने इस बाघिन की तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की थी, जिसमें उसके पेट में शिकारी का फंदा साफ नजर आ रहा था। रणदीप ने उत्तराखंड सरकार से बाघिन की मदद की अपील की थी। इस पर वन विभाग सक्रिय हुआ और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने की तैयारी की गई।
रेस्क्यू से पहले दिखा शावक जैसे ही वन विभाग ने रेस्क्यू शुरू किया, एक्सपर्ट्स की नजर बाघिन के पास मौजूद एक शावक पर पड़ी। शावक की मौजूदगी को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन तत्काल रोक दिया गया ताकि मां और बच्चों के बीच कोई अनहोनी न हो। इसके बाद से बाघिन की सतत निगरानी की जा रही है।
तराई पर शिकारियों की नजर तराई का इलाका नेपाल की खुली सीमा से जुड़ा है, जिससे यहां शिकार की घटनाएं आम हो गई हैं। यह बाघिन उसी शिकारी जाल का शिकार बनी। वन विभाग मानता है कि इस बाघिन का अब तक जीवित रहना और शावकों की परवरिश करना जंगल की दुर्लभ घटनाओं में से एक है।
बच्चों की परवरिश को मिली प्राथमिकता बाघिन को शावकों के साथ देखने के बाद वन अधिकारियों ने तय किया कि जब तक शावक पूर्ण वयस्क होकर आत्मनिर्भर न हो जाएं, तब तक बाघिन को रेस्क्यू करना ठीक नहीं होगा। जंगल के नियमों के अनुसार, शावकों को सर्वाइवल के गुर सिखाने का जिम्मा मां का ही होता है, जो करीब 2.5 साल तक चलता है।
‘तारवाली’ शावकों के साथ फिर दिखी अप्रैल में वन्यजीव प्रेमी अम्बिका मिश्रा अपने साथियों के साथ सुरई रेंज में सफारी पर थे, जहां उन्हें बाघिन और उसका लगभग 14 महीने का शावक दिखाई दिया। इससे साबित होता है कि बाघिन ने न सिर्फ बच्चों को जन्म दिया बल्कि उन्हें ठीक से बड़ा भी कर रही है।
डिप्टी डायरेक्टर बोले—वन विभाग सतर्क पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि तराई क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में निगरानी लगातार चलती है। शिकार जैसी घटनाएं रोकने के लिए विभाग का मजबूत तंत्र सक्रिय है। ‘तारवाली’ जैसी कहानियां वन्यजीव संरक्षण की सबसे बड़ी प्रेरणा बन रही हैं।
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पीलीभीत10 मिनट पहले
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पीलीभीत की पूर्वी तराई में एक मार्मिक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। एक बाघिन, जिसके पेट में शिकारियों का फंदा फंसा है, पिछले डेढ़ साल से उस फंदे के साथ जी रही है। इसके बावजूद उसने तीन शावकों को जन्म दिया और आज भी उन्हें अपनी जान की बाजी लगाकर पाल रही है।
जनवरी 2023 में अभिनेता रणदीप हुड्डा ने इस बाघिन की तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की थी, जिसमें उसके पेट में शिकारी का फंदा साफ नजर आ रहा था। रणदीप ने उत्तराखंड सरकार से बाघिन की मदद की अपील की थी। इस पर वन विभाग सक्रिय हुआ और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू करने की तैयारी की गई।
रेस्क्यू से पहले दिखा शावक जैसे ही वन विभाग ने रेस्क्यू शुरू किया, एक्सपर्ट्स की नजर बाघिन के पास मौजूद एक शावक पर पड़ी। शावक की मौजूदगी को देखते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन तत्काल रोक दिया गया ताकि मां और बच्चों के बीच कोई अनहोनी न हो। इसके बाद से बाघिन की सतत निगरानी की जा रही है।
तराई पर शिकारियों की नजर तराई का इलाका नेपाल की खुली सीमा से जुड़ा है, जिससे यहां शिकार की घटनाएं आम हो गई हैं। यह बाघिन उसी शिकारी जाल का शिकार बनी। वन विभाग मानता है कि इस बाघिन का अब तक जीवित रहना और शावकों की परवरिश करना जंगल की दुर्लभ घटनाओं में से एक है।
बच्चों की परवरिश को मिली प्राथमिकता बाघिन को शावकों के साथ देखने के बाद वन अधिकारियों ने तय किया कि जब तक शावक पूर्ण वयस्क होकर आत्मनिर्भर न हो जाएं, तब तक बाघिन को रेस्क्यू करना ठीक नहीं होगा। जंगल के नियमों के अनुसार, शावकों को सर्वाइवल के गुर सिखाने का जिम्मा मां का ही होता है, जो करीब 2.5 साल तक चलता है।
‘तारवाली’ शावकों के साथ फिर दिखी अप्रैल में वन्यजीव प्रेमी अम्बिका मिश्रा अपने साथियों के साथ सुरई रेंज में सफारी पर थे, जहां उन्हें बाघिन और उसका लगभग 14 महीने का शावक दिखाई दिया। इससे साबित होता है कि बाघिन ने न सिर्फ बच्चों को जन्म दिया बल्कि उन्हें ठीक से बड़ा भी कर रही है।
डिप्टी डायरेक्टर बोले—वन विभाग सतर्क पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि तराई क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में निगरानी लगातार चलती है। शिकार जैसी घटनाएं रोकने के लिए विभाग का मजबूत तंत्र सक्रिय है। ‘तारवाली’ जैसी कहानियां वन्यजीव संरक्षण की सबसे बड़ी प्रेरणा बन रही हैं।