पहली बार में BPSC क्रैक, सादिया ने बताईं दो ट्रिक: पिता गुजरे, तीन महीने तक रूम से नहीं निकलीं; डिप्रेशन में चली गईं थीं – Bihar News h3>
‘पापा तकरीबन 4 साल तक रोज रात को 9 बजे फोन करते थे और 35 मिनट तक पूरे दिन की जरूरी खबरें एनालिसिस के साथ समझाते थे। मैंने अखबार पढ़े बिना मेंस दिया, इंटरव्यू दिया। एक दिन जब वो अचानक चले गए।’
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पंचायत विजिट करके लौटीं बिहार सरकार की ऑडिट ऑफिसर सादिया ने डिप्रेशन के दौर में BPSC एग्जाम क्रैक किया। फिलहाल पूर्णिया में ऑडिट ऑफिसर के पद पर हैं।
NEWS4SOCIALकी स्पेशल सीरीज ‘BPSC सक्सेस स्टोरी’ में आज अररिया की सादिया फातिमा की कहानी। इस सीरीज में हम BPSC एग्जाम को क्रैक करने वाले लोगों की कहानी साझा कर रहे हैं।
आगे की कहानी पढ़िए और देखिए…सादिया की जुबानी…
दो भाई- दो बहन के साथ बड़ी हुईं सादिया के पिता हेडमास्टर थे और मां अध्यापिका हैं। सादिया 10वीं तक अररिया में पढ़ने के बाद दिल्ली चली गईं। वहां जामिया मिलिया इस्लामिया के हायर सेकेंडरी सेक्शन में 12वीं पास करने के बाद इकोनॉमिक्स में जामिया से ही बीए किया।
वो कहती हैं, ‘मैंने 12वीं से ग्रेजुएशन तक हर बार यूनिवर्सिटी में टॉप किया। 12वीं में तो पूरे दशक भर का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसके बाद मैंने नौकरी ज्वाइन कर ली। सैलरी ठीक-ठाक थी। मगर घर वालों का दबाव था कि UPSC देना चाहिए।’
अब्बा के इंतकाल ने झकझोर दिया
सादिया ने ग्रेजुएशन के बाद दो साल नौकरी की। उनकी सैलरी लाखों में थी। लेकिन घरवालों–दोस्तों के कहने पर UPSC की तैयारी शुरू कर दी। दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में रूम लिया। वहीं तैयारी शुरू की। UPSC के लिए कोचिंग में एडमिशन लेने के एक महीने बाद ही पिता का निधन हो गया।
वो कहती हैं, ‘मुझे एक दिन फोन आया कि जल्दी घर आ जाओ। मैं भागकर आई को पता चला पिता नहीं रहे। रोजे चल रहे थे और उन्हें डायबिटीज था। हालांकि, वो सारे रोजे नहीं रखते थे, मगर मना करने के बाद भी उस दिन उन्होंने ये किया और फिर वॉशरूम में फेडआउट हो गए।’
सादिया अब्बा के इंतकाल के बाद तीन महीने कमरे से बाहर नहीं निकली। कुछ समय बाद दिल्ली गईं तो वहां भी मन नहीं लगा।
सादिया अपनी सफलता का श्रेय परिवार के खुशनुमा माहौल और दोस्तों को देती हैं।
वो कहती हैं, ‘जब दोबारा दिल्ली गई तो सोच कर गई थी कि सबकुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन वहां शाम के सात बजते ही सबकुछ पहले जैसा हो जाता था। कुछ समझ नहीं आता था और ना ही किसी बात का आइडिया लगता था।
वो कहती हैं, ‘लोग फोन करते थे तो ऐसे बात करते थे कि मेरे पास अब कुछ बचा ही नहीं है। हर दूसरा इंसान मेरी शादी कराने पर तुला था। खैर, मेरे दोस्तों ने BPSC ऑडिटर का फॉर्म मुझसे बिना बताए भर दिया था।
दोस्तों के कहने पर ऑडिटर की भर्ती परीक्षा दी। एक ही बार में परीक्षा पास कर ली और रैंक भी बेहतर आई। मेरा मन भी दिल्ली में नहीं लग रहा था, इसलिए बिहार लौट आई।’
लोगों की मदद करने से ज्यादा अभी नहीं सोच पाई
सादिया को खुद के गृह जिला अररिया के ही बगल वाला पूर्णिया जिला मिल गया। कहती हैं, मैं आज ऑडिट करने जिस गांव में गई थीं, वहां तीन लोग मुझसे मिलने आए। मेरे पिता का नाम लेकर कहने लगे- हम आपके पापा के साथ पढ़े हैं, और उनका बहुत साथ निभाए हैं। साइकिल पर वो बच्चों के लिए किताबें लाते थे और हम लोग बांटते थे।
मैं जब ये सब सुनती हूं तो सोचती हूं कि मेरे पास तो एक हेडमास्टर से ज्यादा मौके हैं कि लोगों की मदद की जाए और ये फिलॉसफी काफी काम की भी है।
सादिया बतातीं हैं- हरसंभव लोगों की सेवा और मदद करना ही जीवन का उद्देश्य।
मैं लोगों से उनकी बातें सुनती हूं और आखिरी व्यक्ति की मदद हो जाए, इसकी कोशिश करती हूं। अभी तक मैं इससे ज्यादा नहीं सोच पाई हूं।
वो कहती हैं, ‘तैयारी करने वालों को इमोशनली थोड़ा स्ट्रांग होना होगा। खासकर जिनके अभी एग्जाम हैं, वो तो एकदम पत्थर की तरह सोचना शुरू कर दें।’
निबंध लिखने में फैक्ट का ध्यान रखें, बातें बनाने से नंबर कटेंगे
सादिया बताती हैं, ‘BPSC में निबंध में क्रिएटिव लेखन नहीं, बल्कि तथ्यों और तर्कों पर आधारित कंटेंट की उम्मीद की जाती है।। जांचने वाले उन निबंधों को ज्यादा पसंद करते हैं जिनमें सच्ची और ठोस बातें होती हैं। अगर आप बिना किसी आधार की बातें बनाते हैं, तो इससे आपके नंबर कट सकते हैं। इसलिए कोशिश करें कि आप अपने निबंध में सही आंकड़े, उदाहरण और रिपोर्ट्स का जिक्र करें।
इससे यह दिखता है कि आपको विषय की अच्छी समझ है और आपने तैयारी की है। निबंध का मकसद होता है किसी विषय पर सोच-समझकर और संतुलित तरीके से अपने विचार रखना-ना कि कोई कहानी सुनाना। इसलिए BPSC की तैयारी करने वाले छात्रों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि वे जो भी लिखें, वह सही जानकारी पर आधारित हो।’
आंसर लिखने में स्टूडेंट्स को हमेशा फैक्ट पर जोर देना चाहिए। इससे नंबर अच्छे आते हैं।
आखिरी के कुछ दिनों में जो भी पढ़ा है उसके शॉर्ट नोट्स बनाएं, उस पर ही फोकस रहें। वो कहती हैं,
‘अब सप्ताह भर में आप कुछ खास पढ़ नहीं पाएंगे। ऐसे में, आपने जो पढ़ा है उसका शॉट नोट्स बनाएं और उसे याद करें। ये आपकी बहुत मदद करेगा। चीजें याद करने की बजाय डॉट्स कनेक्ट करके दिमाग में बनाए रखने से एग्जाम में हड़बड़ी नहीं होती है।’
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