गंगा पर बिहार का पहला स्टे केबल सिक्सलेन पुल तैयार: प्रधानमंत्री मोदी 24 अप्रैल को मधुबनी से उद्घाटन कर सकते हैं, 1161 करोड़ है लागत – Begusarai News

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गंगा पर बिहार का पहला स्टे केबल सिक्सलेन पुल तैयार:  प्रधानमंत्री मोदी 24 अप्रैल को मधुबनी से उद्घाटन कर सकते हैं, 1161 करोड़ है लागत – Begusarai News

गंगा पर बिहार का पहला स्टे केबल सिक्सलेन पुल तैयार: प्रधानमंत्री मोदी 24 अप्रैल को मधुबनी से उद्घाटन कर सकते हैं, 1161 करोड़ है लागत – Begusarai News

बिहार में गंगा नदी पर बेगूसराय के सिमरिया और पटना के औंटा के बीच राज्य का सबसे पहला और एशिया का सबसे चौड़ा एक्स्ट्रा डोजेज स्टे केबल सिक्सलेन सड़क पुल बनकर तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 अप्रैल को प्रस्तावित मधुबनी दौरे के दौरान वर्चुअ

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इसके मद्देनजर फिनिशिंग और शेष काम तेजी से चल रहा है। NHAI और कार्यकारी एजेंसी के अधिकारी लगातार जायजा लेकर अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। उद्घाटन कार्यक्रम की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री इस पुल के साथ बख्तियार-मोकामा ग्रीनफील्ड सड़क का भी उद्घाटन करेंगे।

पुल पर पर्याप्त रोशनी के अलावा जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं, जिससे मॉनिटरिंग किया जा सके।

1161 करोड़ की लागत से बना है पुल

करीब 1161 करोड़ की लागत से बने 1.865 किलोमीटर लंबे ब्रिज तथा इसके दोनों ओर औंटा एवं सिमरिया साइड में एप्रोच पथ मिलाकर कुल 8.15 किलोमीटर लंबे ब्रिज का काम पूरा हो गया है।

हाथीदह स्टेशन के नजदीक बन रहा इस पुल के आरओबी का एक साइड तैयार हो गया है। जबकि, दूसरे साइड के शेष काम को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नवनिर्मित रेल लाइन के नीचे भी काम पूरा कर लिया गया है। अब पूरे पुल और एप्रोच रोड में साइनेज और रिफ्लेक्टर टेप लगाया जा रहा है। जिससे इमरजेंसी में बिजली गायब होने पर भी हादसे से बचा जा सके।

सिक्सलेन सड़क पुल के दोनों ओर औंटा से हाथीदह एवं सिमरिया बिंदटोली से राजेन्द्र पुल स्टेशन के समीप एनएच-31 तक 1 रेल ओवर ब्रिज (आरओबी), 2 रेल अंडर ब्रिज (आरयूबी) एवं 6 वेकल अंडर ब्रिज (वीयूवी) बनाया गया है। हाथीदह जंक्शन के पास एनएच-80 के ऊपर से एनएच-31 गुजरा है। वहीं, औंटा के समीप दो आरयूबी बनाया गया है।

नई तकनीकी से बने इस पुल की चौड़ाई 34 मीटर रहने से आवाजाही में सुविधा होगी।

ब्रिज का पूरा लोड केबल पर ही रहेगा

एशिया के सबसे अधिक चौड़ा यह पुल एक्स्ट्रा डोजेज स्टे केबल ब्रिज का पूरा लोड केबल पर ही रहेगा। पुल पर दोनों साइड 13-13 मीटर चौड़ी तीन-तीन लेन की सड़क है। जबकि दोनों साइड डेढ़ मीटर चौड़ा फुटपाथ बना है। जिस पर पैदल, साईकिल या बाइक चल सकेंगे।

सिमरिया छोर पर गोलंबर का भी का चल रहा है। यहां पुराने और नए पुल के कनेक्टिव प्वाइंट पर हादसा नहीं हो तथा देखने में भी आकर्षक दिखे। पुल का निर्माण हो जाने के बाद उद्घाटन भले ही नहीं हुआ है। लेकिन बड़ी संख्या में बाइक चालक और लोकल फोर व्हीलर वाले भी चलने लगे हैं। गुजरने वाले लोग शार्ट वीडियो और रील्स भी बनाने से नहीं चूकते हैं।

उत्तर और दक्षिणी एवं पश्चिमी बिहार की दूरी कम करेगा ब्रिज

केवल उत्तर और दक्षिणी एवं पश्चिम बिहार की दूरी को ही कम नहीं करेगा। बल्कि, सामरिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण होगा। देश की आजादी के बाद जब गंगा नदी पर पुल बनने की बात आई थी तो सबसे पहला पुल सिमरिया में ही बना था। डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के प्रयास से राजेंद्र सेतु पर सड़क और रेल दोनों मार्ग बनाया गया था। जिसके कारण पूर्वोत्तर भारत पूरे देश से जुड़ गया, यातायात सुगम हुई। लेकिन वह डबल लेन का ही था।

उस पुल की जर्जरता और लगातार मरम्मत में जब समय लगने लगा तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नजर इस पर गई। उन्होंने 2017 में इस सिक्स लेन पुल का शिलान्यास किया। पटना से खगड़िया तक फोरलेन सड़क बन गई है, लेकिन पुराना पुल दो लेन का था। जिससे होने वाली परेशानी को देखते हुए इस सिक्सलेन पुल का निर्माण किया गया है। इस पर जब परिचालन शुरू हो जाएगा तो बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के यातायात के लिए एक सार्थक कदम साबित होगा।

बेगूसराय सांसद ने जारी किया वीडियो

बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि विपक्ष के लोग कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार ने क्या किया। बेगूसराय से पटना जाने में 3 घंटा समय लगता था, आज बरौनी थर्मल से नए पुल होते हुए पटना पहुंचने में मात्र डेढ़ घंटा लगा। यह है नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार का काम। कोई माने या नहीं माने, विकास हो रहा है, लोग महसूस कर रहे हैं।

6 लेन ब्रिज के बनने से क्या फायदा?

ब्रिज के बनने से उत्तर बिहार (दरभंगा समस्तीपुर, सहरसा, मधुबनी), दक्षिणी बिहार (लखीसराय, शेखपुर, जमुई, नवादा, गया) और पश्चिम बिहार (पटना, आरा, बक्सर) के बीच की दूरी कम हो जाएगी।

देश की आजादी के बाद जब गंगा नदी पर पुल बनने की बात आई थी, तो सबसे पहला पुल सिमरिया में ही बना था। डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के प्रयास से राजेंद्र सेतु पर सड़क और रेल दोनों मार्ग बनाया गया था, जिसके कारण पूर्वोत्तर भारत पूरे देश से जुड़ गया। लेकिन, वह डबल लेन का ही था।

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