धार में नरवाई जलाने वालों पर सैटेलाइट से निगरानी: 5 जनपदों में 83 केस दर्ज, कृषि विभाग की अपील- नरवाई जलाना बंद करें – Dhar News h3>
नरवाई जलाने पर लगेगा जुर्माना।
कृषि विभाग ने खेतों में नरवाई (फसल अवशेष) जलाने की घटनाओं पर सख्ती बरतने का निर्णय लिया है। विभाग ने सैटेलाइट तकनीक की मदद से नरवाई जलाने के 83 मामलों की पहचान की है। इन सभी प्रकरणों में दोषी किसानों पर अर्थदंड की कार्यवाही की जाएगी।
.
जागरूकता के बावजूद जारी है नरवाई जलाना
पिछले कई दिनों से कृषि विभाग गांव-गांव जाकर जागरूकता रथ और संगोष्ठियों के माध्यम से किसानों को नरवाई प्रबंधन के उपायों की जानकारी दे रहा है। फिर भी किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर खेतों में नरवाई जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिससे न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है, बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
सैटेलाइट से निगरानी, 5 जनपदों में 83 प्रकरण दर्ज
जिला कृषि अधिकारी जीएस मोहनिया ने बताया कि नरवाई जलाने की घटनाओं की निगरानी अब सैटेलाइट के माध्यम से की जा रही है। सैटेलाइट से प्रतिदिन तहसीलवार और ग्रामवार आंकड़े प्राप्त हो रहे हैं। धार अनुभाग के अंतर्गत धार, तिरला, नालछा, सरदारपुर और बदनावर विकासखंडों में अब तक कुल 83 प्रकरण चिन्हित किए गए हैं।
इन प्रकरणों में संबंधित किसानों के के खिलाफ कृषि व राजस्व विभाग की संयुक्त टीमों द्वारा पंचनामे तैयार कर नोटिस जारी किए जा रहे हैं। तहसीलदारों के माध्यम से अर्थदंड अधिरोपित करने की कार्रवाई की जाएगी।
किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
कलेक्टर के निर्देश पर चल रहा है जन-जागरूकता अभियान
कलेक्टर के मार्गदर्शन में कृषि विभाग की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत में कृषक संगोष्ठियों के माध्यम से किसानों को नरवाई न जलाने की सलाह दी जा रही है। ग्राम स्तर पर कृषि, राजस्व और पंचायत विभागों के समन्वय से किसानों को इस कार्य के दुष्परिणामों से अवगत कराया जा रहा है।
ये वैकल्पिक उपाय दिए जा रहे है
कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा स्ट्रॉरीपर, भूसामशीन, मल्चर मशीन, जुगाड़ु यंत्र ‘पाटा’, सुपर सीडर आदि यंत्रों के उपयोग की जानकारी दी जा रही है। किसानों को बताया जा रहा है कि किस प्रकार इन यंत्रों से फसल अवशेष को खेत में ही जैविक खाद में बदला जा सकता है और अगली फसल की बुआई बिना नरवाई जलाए की जा सकती है।
जिला कृषि अधिकारी ने किसानों से अपील की है कि वे मिट्टी की उर्वरता, जीव-जंतुओं की रक्षा और पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए नरवाई जलाना बंद करें और विभाग द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक उपायों को अपनाएं।