Bihar: पटना के बापू सभागार में आयोजित होगी रामधारी सिंह दिनकर की 51वीं पुण्यतिथि, अश्विनी चौबे ने दी जानकारी

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Bihar: पटना के बापू सभागार में आयोजित होगी रामधारी सिंह दिनकर की 51वीं पुण्यतिथि, अश्विनी चौबे ने दी जानकारी

Bihar: पटना के बापू सभागार में आयोजित होगी रामधारी सिंह दिनकर की 51वीं पुण्यतिथि, अश्विनी चौबे ने दी जानकारी

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की 51वीं पुण्यतिथि के मौके पर 24 अप्रैल 2025 को पटना के बापू सभागार में एक भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा। इसी कड़ी में आज दिनकर जी के पटना स्थित आवास ‘उदयाचल’ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई। इस प्रेस वार्ता में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, दिनकर जी की पुत्रवधू कल्पना सिंह, पौत्र ऋत्विक उदयन, स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार, सचिव परीक्षित नारायण सुरेश, डॉ. श्रीकृष्णा सिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार, दिनकर सोसाइटी (नई दिल्ली) के अध्यक्ष रमेश जी, विधि विशेषज्ञ  शैलेश कुमार, शिक्षाविद संजय कुमार, साहित्यकार विनोद कुमार सिंह, मगही कवि नरेंद्र नेपुरिया, प्रशांत कुमार, मानव सुदर्शन, रूपेश कुमार सहित कई साहित्यिक और सांस्कृतिक हस्तियां मौजूद रहीं।

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इस दौरान अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि इस साल का रश्मिरथी समारोह ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत खास होगा। उन्होंने बताया कि दिनकर जी की प्रसिद्ध कृति ‘रश्मिरथी’ पर आधारित नाटक का मंचन किया जाएगा, जिसका निर्देशन लिम्का बुक और वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स से सम्मानित मुजीब खान करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि 13 अप्रैल को ‘उदयाचल’ में एक विचार-विमर्श बैठक भी हुई, जिसमें देशभर से साहित्यकार और दिनकर-प्रेमी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री मोदी से दो मांगें रखीं: चौबे

अश्निनी चौबे ने बताया कि राष्ट्रकवि दिनकर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए, ये मांग पीएम मोदी से रखी गईं है। इसके साथ ही सिमरिया घाट पर बने पुल का नाम ‘दिनकर सेतु रखा जाए। वहीं दिनकर परिवार ने भी प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि वे 24 अप्रैल को पटना में होने वाले इस कार्यक्रम में शामिल हों। इसके अलावा, दिनकर परिवार चाहता है कि प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को ‘राष्ट्रकवि दिनकर सम्मान भी दिया जाए।

इस दौरान दिनकर जी के पौत्र ऋत्विक उदयन ने कहा कि “दिनकर जी केवल कवि नहीं, बल्कि लेखक, विचारक, दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी भी थे। वे असल में ‘भारत’ के जीवंत प्रतीक थे। भारत रत्न सम्मान उनके लिए सबसे उचित है, क्योंकि ये सम्मान उनकी उस चेतना को मिलेगा जो भारत की आत्मा से जुड़ी है।

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स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा कि दिनकर जी ने 60 से ज्यादा किताबें लिखीं। उनकी कविताएं जैसे ‘रश्मिरथी’, ‘कुरुक्षेत्र’, और ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ में वीरता और संस्कृति की झलक मिलती है। वहीं ‘संस्कृति के चार अध्याय’ जैसी गद्य-रचना उनकी सोच और गहराई को दर्शाती है। वे वीर रस और श्रृंगार रस दोनों में माहिर थे।” ‘रश्मिरथी पर्व’ की शुरुआत दिनकर जी की 50वीं पुण्यतिथि पर दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम से हुई थी।

इसका मकसद दिनकर साहित्य के जरिए हिंदी और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देना है। साल भर में यह सपना हकीकत बन गया है। दिनकर स्मृति न्यास के तहत देशभर में कई आयोजन हुए हैं। खासकर बिहार सरकार के सहयोग से राज्य के 20 से ज्यादा जिलों में दिनकर साहित्य पर आधारित कार्यक्रम हो रहे हैं, जो युवाओं और आम लोगों को हिंदी और संस्कृति से जोड़ रहे हैं। यह सिर्फ आयोजन नहीं, एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की यात्रा है, जो तब तक जारी रहेगी जब तक दिनकर जी की चेतना जन-जन में ना पहुँच जाए।

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