गोरखपुर में वक्फ की जमीनों पर कब्जा: दुकान-मकान बना रहे लोग, प्रशासन ने 153 पन्नों की रिपोर्ट की तैयार – Gorakhpur News

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गोरखपुर में वक्फ की जमीनों पर कब्जा:  दुकान-मकान बना रहे लोग, प्रशासन ने 153 पन्नों की रिपोर्ट की तैयार – Gorakhpur News

गोरखपुर में वक्फ की जमीनों पर कब्जा: दुकान-मकान बना रहे लोग, प्रशासन ने 153 पन्नों की रिपोर्ट की तैयार – Gorakhpur News

गोरखपुर में वक्फ की दर्जनों जमीनें निजी इस्तेमाल में ली जा रही हैं। वक्फ बोर्ड में पंजीकृत इन संपत्तियों पर न तो धार्मिक निर्माण हैं और न ही नियमानुसार उपयोग। कहीं दुकानें, कहीं मकान, तो कहीं बैंक्वेट हॉल बना दिए गए हैं। जिला प्रशासन ने अब इन पर निगर

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जमीन वक्फ की, कब्जा व्यावसायिक इस्तेमाल का

• अशफगंज में वक्फ मस्जिद की जमीन पर एक तल का मकान बना है।

• वक्फ जामा मस्जिद की जमीन पर 11 कोठरियां, 3 दुकानें और एक मकान बना हुआ है।

• मोलवी रज्जाक के नाम वक्फ पंजीकृत संपत्ति पर 4 मकान, 10 कोठरियां और एक मस्जिद मौजूद है।

• खूनीपुर में वक्फ मस्जिद की जमीन पर 4 दुकानें बनाई गई हैं।

• हजारीपुर में पंजीकृत वक्फ जमीन पर 5 दुकानें हैं।

• शिवपुर सहबाजगंज में वक्फ संपत्ति पर एक तल का बैंक्वेट हॉल बना दिया गया है।

70 से ज्यादा संपत्तियों पर निजी कब्जा

प्रशासन की सूची के मुताबिक जिले में 70 से अधिक ऐसी वक्फ संपत्तियां हैं, जिनका इस्तेमाल व्यक्तिगत या व्यावसायिक तौर पर किया जा रहा है। बिना नक्शा पास कराए भवन बनाए गए हैं और बिजली कनेक्शन भी निजी नामों से लिए गए हैं।

वक्फ संशोधन कानून लागू होने के बाद बढ़ेगी सख्ती

नए वक्फ संशोधन कानून के तहत अब इन संपत्तियों की निगरानी सीधे जिलाधिकारी स्तर से होगी। इसका असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिन्होंने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा कर भवन या दुकान बना ली हैं। अब ऐसे निर्माणों को हटाया जा सकेगा और संपत्तियों का उपयोग जनहित में किया जाएगा।

आराजी छावनी और नंदा नगर में बैनामा का मामला

आराजी छावनी और नंदा नगर सहित कुछ इलाकों में वक्फ संपत्तियों का बैनामा निजी फर्मों के नाम करवाया गया है। यह वक्फ एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है। अगर प्रशासन ने निष्पक्ष जांच की तो शहर के कई रसूखदारों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

वक्फ परिसरों पर अधिकतर बिजली कनेक्शन निजी लोगों के नाम पर हैं। घरेलू कनेक्शन लेकर व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। नक्शा पास कराए बिना मकान और दुकानें खड़ी कर दी गईं। जांच रिपोर्ट में यह भी शामिल है।

55 पेज की सर्वे रिपोर्ट और अलग आंकड़े तैयार

एक अन्य 55 पन्नों की रिपोर्ट में गोरखपुर, बांसगांव और फरेंदा की वक्फ संपत्तियों का क्षेत्रवार विश्लेषण किया गया है। मस्जिद, इमामबाड़ा, कर्बला और कब्रिस्तान जैसी संपत्तियों के वास्तविक उपयोग की पड़ताल की गई है।

तीन संपत्तियां शिया वक्फ में दर्ज

जिले में तीन संपत्तियां शिया वक्फ बोर्ड में पंजीकृत हैं—

1. वक्फ कनीज हसनैन मौसूमा इमामबाड़ा: एक मंजिला मकान

2. अशरफनिशां खानम बीबी की संपत्ति: मस्जिद

3. वक्फ इमामबाड़ा: बड़हलगंज में स्थित

गोरखपुर मंडल में वक्फ संपत्ति का आंकड़ा

• कुल वक्फ संपत्ति: 1499

• गोरखपुर जिले में: 964

• सरकारी भूमि पर पंजीकृत: 346

• निजी भूमि पर: 618

• शिया वक्फ में पंजीकृत: 3

• सुन्नी वक्फ में पंजीकृत: 961

कानून क्या कहता है?

वक्फ की संपत्ति न तो बेची जा सकती है, न गिफ्ट की जा सकती है, न विरासत में दी जा सकती है। एक बार वक्फ घोषित होने के बाद उसका मालिकाना हक वक्फ से हटकर ‘अल्लाह’ के नाम हो जाता है। उसका निजी इस्तेमाल कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है।

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