सागर में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती: मल्टीलेयर पद्धति से होगी खेती; इस प्रयोग को पीएम मोदी कर चुके सम्मानित – Sagar News h3>
सागर के किसान में 16 एकड़ के खेत में कई फसल लगाई हैं।
मध्यप्रदेश में किसान अब परंपरागत खेती से नई फसलों पर फोकस करने लगे हैं। सागर के युवा किसान आकाश चौरसिया जिले में पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं। यह फसल औषधीय लाभ के साथ ही किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया है। इससे सालाना ढाई से तीन लाख रु
.
शहर से सटे कपूरिया गांव में आकाश चौरसिया का 16 एकड़ का खेत है। जहां उन्होंने कई फसल लगाई हैं। साथ ही ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का निर्णय भी लिया है। वह मल्टी लेयर पद्धति से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने बीज की जांच भी लैब में कराई है। फसल लगाने के लिए उन्होंने खेत तैयार कर लिया है।
आकाश ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती सागर जिले में अब तक किसी ने नहीं की, लेकिन वह जिले की जलवायु में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू कर रहे हैं।
कपूरिया गांव के आकाश चौरसिया ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं।
डॉक्टर बनना था, ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की किसान आकाश चौरसिया ने 12वीं तक पढ़ाई की और 10 डिसमिल (आधा बीघा) जमीन पर खेती करना शुरू किया। उन्होंने बताया कि वह डॉक्टर बनने का सपना देख रहे थे। मन में आया डॉक्टर बनकर लोगों की सेहत अच्छी न कर पाऊंगा, क्योंकि आज की तारीख में जैसा खान-पान हो रहा है, उससे सेहत और बिगड़ने वाली है। इसलिए सेहत को सुधारने पर फोकस किया, जिसमें खान-पान का अहम रोल है। वह खेती से होता है। इसलिए पढ़ाई छोड़कर खेती शुरू की।
उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पानी की मारामारी रहती थी, जिसे देखकर नया प्रयोग किया और सफल रहा। इससे ही मल्टीलेयर खेती की नई पद्धति विकसित की।
प्रधानमंत्री मोदी कर चुके सम्मानित आकाश को जैविक खेती और मल्टीलेयर फार्मिंग के सफल होने के बाद उन्नत किसान के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पुरस्कृत कर चुके हैं। वर्ष 2018 में इस दौरान उन्हें ग्राम मित्र राष्ट्रीय युवा सम्मान मिला था। इसके अलावा कई राष्ट्रीय अवॉर्ड उन्हें मिल चुके हैं। साथ ही उन्होंने कपूरिया ग्राम में 16 एकड़ का फार्म बना लिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आकाश को वर्ष 2018 में ग्राम मित्र राष्ट्रीय युवा सम्मान दिया था।
एक बार खर्चा, 6 साल तक कमाई किसान आकाश ने बताया कि सागर में ड्रैगन फ्रूट की खेती नहीं होती थी, मैंने इस बार खेती करने की शुरुआत की है। इसके लिए खेत तैयार कर लिया है। खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले 100 किलो चूना और 50 किलो नीम के पाउडर का मिश्रण बनाकर छिड़काव किया। करीब 15 दिन तक खेत खाली छोड़ा। खेत की मिट्टी का उपचार होने के बाद ड्रैगन फ्रूट की बोवनी की जाएगी।
ड्रैगन फ्रूट की सफल खेती करने के बाद बुंदेलखंड के किसानों को इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। साथ ही उन्हें इस खेती को करने के लिए बीज व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। ताकि किसानों की आय को बढ़ाया जा सके।
कब और कैसे करें ड्रैगन फ्रूट की बोवनी किसान ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती पौधे और बीज दोनों तरह से की जा सकती है। अगर आप बीज से खेती करेंगे तो फल आने में 4-5 साल का समय लग सकता है। जबकि कलम से बनाए गए पौधे से खेती करते हैं तो करीब 2 साल में ही फल आना शुरू हो जाएगा। इसकी खेती कम पानी में भी हो सकती है। खेती के लिए बोवनी करने का सबसे अच्छा समय मार्च और अप्रैल का माह होता है। खेती से पहले खेत में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद जरूर डालें। ताकि पौधे को पोषक तत्व की कोई कमी न हो।
ड्रैगन फ्रूट की खेती की मुख्य बातें
- ड्रैगन फ्रूट अच्छी जल निकासी वाली रेतीली या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- पौधों के अच्छे विकास और फल उत्पादन के लिए इन्हें अच्छी रोशनी और धूप वाले क्षेत्र में लगाना चाहिए।
- ड्रैगन फ्रूट के लिए 30 से 40 डिग्री तक तापमान होना चाहिए।
- ड्रैगन फ्रूट को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती। सिर्फ नमी की जरूरत होती है।
- ड्रैगन फ्रूट में फंगस लगने का खतरा होता है। इसके अलावा कोई अन्य बीमारी न के बराबर होती है।
कलम से पौधे लगाने पर 2 साल में आने लगते हैं फल ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देने के लिए खेत में खंभा या बांस बल्ली लगानी होती है। पौधे 4 से 5 फीट की दूरी पर लगाए जाते हैं। बीज से खेती करने पर फल आने में 4-5 साल लग सकते हैं। लेकिन कलम से बनाए गए पौधे से खेती करने पर आपको 2 साल में ही फल मिलने शुरू हो जाते हैं।
मल्टी लेयर पद्धति से करेंगे ड्रैगन फ्रूट की खेती किसान आकाश ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती मल्टी लेयर पद्धति से की जाएगी। इसमें एक ही जमीन पर अलग-अलग ऊंचाई की फसलें एक साथ उगाई जाती हैं। मल्टी लेयर खेती करने में जब तक ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन शुरू होगा, तब तक अन्य फसलों से उत्पादन लिया जा सकता है। ऐसे में किसानों को पूरे साल आय होती रहती है।
फरवरी में जमीन के अंदर अदरक की रोपाई करते हैं। इसी माह अदरक के ऊपर चौलाई लगाते हैं। कुंदरू की बेल पांच से दस साल तक उपज देती है। यह बेल खेत के बीच-बीच में लगे बांस से सहारे बढ़ती है और मंडप पर फैल जाती हैं। इस तरह एक ही खेत में अदरक, चौलाई, कुंदरू की खेती हो जाती है। इसी में ड्रैगन फ्रूट की खेती भी की जाएगी ताकि पूरे साल किसान को कमाई होती रहे और मौसम का प्रभाव भी फसलों पर नहीं पड़े।
किसान आकाश चौरसिया ड्रैगन फ्रूट की खेती मल्टी लेयर पद्धति से कर रहे हैं।
डायबिटीज मरीजों के लिए है फायदेमंद ड्रैगन फ्रूट में विटामिन बी, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फाइबर, प्रोटीन, कैरोटीन, एंटीऑक्सीडेंट आदि तत्व पाए जाते हैं। यह फ्रूट डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है। साथ ही यह शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
यह भी पढ़ें…
राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान से सीखा गुलाब उगाना: इटारसी में रोजाना 800 घरों में फूलों की डिलीवरी, हर साल 20 लाख रुपए कमाई
सहालग में फूलों की मांग भी बढ़ जाती है। गुलाब का फूल हर किसी को पसंद होता है। वैसे, तो इसकी मांग सालभर रहती है, लेकिन शादियों के सीजन में इसकी डिमांड ज्यादा होती है। नकदी फसल होने से किसानों में भी गुलाब उगाने का चलन बढ़ा है। दैनिक भास्कर की स्मार्ट किसान सीरीज में इस बार नर्मदापुरम जिले के किसान सुधीर वर्मा से मिलवाते हैं। पढ़ें पूरी खबर…
आधा एकड़ में अश्वगंधा लगाया, 96 हजार मुनाफा: किसान ने अब 6 एकड़ में लगाई फसल; आयुर्वेद-यूनानी दवाइयों में होता है इस्तेमाल
सागर के युवा किसान परंपरागत खेती छोड़कर अश्वगंधा की औषधीय खेती कर रहे हैं। कारण, ये फसलें नकदी होती हैं, जो कम समय में मोटा मुनाफा दिलाती हैं। अश्वगंधा ऐसी ही औषधीय खेती है। इस बार एमपी के स्मार्ट किसान सीरीज में सागर जिले के रहली ब्लॉक के ग्राम रजवास के रहने वाले युवा किसान प्रशांत पटेल से मिलवाते हैं। प्रशांत परंपरागत खेती छोड़कर अश्वगंधा की खेती कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…