‘बेहिसाब शराब और अनफिल्टर्ड गालियां’, एक्टर ने जवानी के दिनों में खुद लगाई आग – News4Social

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‘बेहिसाब शराब और अनफिल्टर्ड गालियां’, एक्टर ने जवानी के दिनों में खुद लगाई आग  – News4Social


‘बेहिसाब शराब और अनफिल्टर्ड गालियां’, एक्टर ने जवानी के दिनों में खुद लगाई आग – News4Social

Image Source : INSTAGRAM
पियूष मिश्रा

साल 2012 में जब सिनेमाघरों में अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’  रिलीज हुई तो लोगों को इतनी पसंद आई कि सारे एक्टर्स की रातों-रात स्टार बन गए। इसी फिल्म से बॉलीवुड को पंकज त्रिपाठी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विनीत कुमार सिंह, और जयदीप अहलावत समेत कई बड़े चेहरे मिले। इन्ही कलाकारों में एक और महारथी भी शामिल थे जिनका नाम है पियूष मिश्रा। इस फिल्म ने पियूष मिश्रा को रातों-रात स्टार बना दिया और उनके किरदार की खूब तारीफें हुईं। इस फिल्म के बाद पियूष मिश्रा को बॉलीवुड में फिल्मों की झड़ी लग गई। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वासेपुर से पहले पियूष मिश्रा ने संघर्षों का एक समुंदर लांघकर यहां अपनी जमीन तैयार की थी। अपनी जवानी के दिनों में बेहिसाब शराब और अनफिल्टर्ड गालियों ने उनकी जिंदगी के सुनहरे 10 सालों में आग लगा दी थी। ये किस्सा खुद पियूष मिश्रा ने अपने एक इंटरव्यू में सुनाया था। 

नेशनल स्कूल ड्रामा में खूब कमाया नाम

पियूष मिश्रा अपने कई इंटरव्यूज में 80 और 90 के दशक के समय की अपनी जिंदगी की कहानी शेयर कर चुके हैं। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पासआउट होने के बाद पियूष मिश्रा ने दिल्ली में थियेटर करना शुरू कर दिया। यहां दिनभर काम करते और रोज रात को बेहिसाब शराब के आगोश में डूब जाते। ये क्रम करीब 2 दशक तक चलता रहा और जवानी के सुनहरे दिन हाथ से फिसल गए। एक नौजवान हैंडसम, टैलेंटेड कलाकार शराबबंदी की भेंट चढ़ गया। हालांकि दिन में पियूष मन लगाकर काम करते और अपने पैशन के चलते खूब नाम भी कमाते। लेकिन कम्यूनिज्म की विचारधार से प्रभावित पियूष मिश्रा क्रांति करने पर आमादा रहते थे। अदंर की आग और छटपटाहट ने कला के कई बेमिसाल नमूने पियूष के जहीन दिमाग से निकले। पियूष ने 2003 में आई फिल्म ‘मकबूल’ में भी अपनी एक्टिंग से लोगों का दिल जीता। लेकिन फिर भी बॉलीवुड में अपनी जगह नहीं बना पाए। 

गैंग्स ऑफ वासेपुर ने बनाया स्टार

पियूष मिश्रा करीब 2 दशक तक दिल्ली में संघर्ष करते रहे और जवानी के सुनहरे दिन गंवा दिए। इसके बाद 2000 के दशक में पियूष मुंबई पहुंचे और यहां काम की तलाश करते रहे। साल 2009 में अनुराग कश्यप ने एक फिल्म ‘गुलाल’ बनाई। इस फिल्म में पियूष ने एक्टिंग के साथ गाने भी गाए और हिट रहे। हालांकि असल पहचान पियूष मिश्रा को गैंग्स ऑफ वासेपुर ने दिलाई थी। इस फिल्म में भी पियूष मिश्रा ने कमाल के गाने गाए थे जो सुपरहिट रहे थे। बस इसी फिल्म के बाद पियूष स्टारडम की सीढ़ियां चढ़ने लगे। शराब के काले दिनों को पीछे छोड़ पियूष मिश्रा ने संघर्ष और सफलता की नई इबारत लिखी और आज भी उनकी तरह का कोई दूसरा कलाकार बॉलीवुड में नहीं है। अपनी बेवाकी, धारदार गानों और जहीन लेखनी के साथ एक्टिंग के भी महारथी माने जाते हैं। 

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