हाईकोर्ट ने फिर पूछा-सरकार पंचायतों के चुनाव कब तक कराएगी: सरकार ने जवाब में कहा था-वन स्टेट वन इलेक्शन प्रस्तावित, लेकिन शेड्यूल नहीं बताया था – Jaipur News

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हाईकोर्ट ने फिर पूछा-सरकार पंचायतों के चुनाव कब तक कराएगी: सरकार ने जवाब में कहा था-वन स्टेट वन इलेक्शन प्रस्तावित, लेकिन शेड्यूल नहीं बताया था – Jaipur News

राजस्थान की 6,759 ग्राम पंचायतों के चुनाव स्थगित करने के मामले में हाईकोर्ट ने एक बार फिर सरकार से पूछा है कि वह पंचायतों के चुनाव कब तक कराएगी। जस्टिस इंद्रजीत सिंह की खंडपीठ ने गिरिराज सिंह देवंदा की जनहित याचिका पर सुनवाई टालते हुए राज्य सरकार को

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दरअसल, हाईकोर्ट ने 4 फरवरी को सरकार से पूछा था कि जिन पंचायतों के चुनाव सरकार ने स्थगित किए है, वह इनके चुनाव कब तक कराएगी। इस पर राज्य सरकार ने अपना जवाब पेश किया था। सरकार के जवाब पर आपत्ति जताते हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा की ओर से कहा गया था कि सरकार ने अदालती आदेश की पालना नहीं की हैं।

अदालत ने सरकार से चुनाव शेड्यूल बताने के लिए कहा था, लेकिन सरकार के जवाब में इसका कोई उल्लेख ही नहीं है।

वन स्टेट वन इलेक्शन प्रस्तावित सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि प्रदेश में ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की अवधारणा का परीक्षण प्रस्तावित है। परीक्षण के लिए उच्चस्तरीय समिति का भी गठन किया जाना है।

समिति द्वारा धन, श्रम और समय की बचत के साथ ही नगरीय निकाय और पंचायतीराज संस्थाओं के सशक्तिकरण के लिए वन स्टेट वन इलेक्शन की अवधारणा का परीक्षण प्रस्तावित है। इसके साथ ही सरकार ने कहा कि पिछली सरकार ने कई नए जिले बना दिए थे। इनमें से हमने 9 जिलों को समाप्त कर दिया है।

ऐसे में जिलों की सीमाओं के निर्धारण के साथ ही प्रदेश मे पंचायतों के पुर्नगठन और नगर निकायों के परिसीमन का काम चल रहा हैं। इसलिए सरकार ने इन पंचायतों के चुनाव स्थगित किए हैं।

प्रशासक लगाना सरकार का अधिकार सरकार ने अपने जवाब में कहा कि जिन पंचायतों के चुनाव स्थगित किए गए हैं। उनमें सरकार को प्रशासक लगाने का अधिकार हैं। हमने राजस्थान पंचायत राज अधिनियम-1994 की धारा-95 के तहत प्रशासक लगाए हैं।

एक्ट हमें प्रशासक लगाने का अधिकार देता है। लेकिन एक्ट में कहीं भी यह नहीं बताया गया है कि किसे प्रशासक लगाया जाए और किसे नहीं।

चुनाव को एक दिन भी स्थगित नहीं किया जा सकता याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने कहा कि राज्य सरकार ने 16 जनवरी 2025 को अधिसूचना जारी करके इन पंचायतों के चुनावों को स्थगित कर दिया। जो संविधान के अनुच्छेद 243ई, 243के और राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 17 का उल्लंखन हैं।

सरकार ने प्रजातंत्र की सबसे छोटी इकाई और ग्रामीण संस्थाओं को अस्थिर करते हुए राज्य की तक़रीबन 6759 पंचायतों के आम चुनाव पर रोक लगाई है। जबकि संविधान एवं पंचायत राज के प्रावधानों के अनुसार पंचायत का 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो जाने पर चुनाव एक दिन भी स्थगित नहीं किया जा सकता है। साथ ही जिन निवर्तमान सरपंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और वे अब जनप्रतिनिधि नहीं हैं, केवल प्राइवेट व्यक्ति हैं। इसलिए प्राइवेट व्यक्ति को नियमानुसार पंचायतों में प्रशासक नहीं लगाया जा सकता है।

क्या था मामला राजस्थान की 6759 ग्राम पंचायतों में जनवरी में चुनाव कराने की जगह सरकार ने मौजूदा सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त कर दिया था। सरपंचों की सहायता के लिए हर ग्राम पंचायत लेवल पर एक प्रशासकीय कमेटी भी बनेगी। इसमें उप सरपंच और वार्ड पंच मेंबर होंगे। पंचायती राज विभाग ने सरपंचों को प्रशासक नियुक्त करने और प्रशासनिक समिति बनाने का नोटिफिकेशन 16 जनवरी को जारी किया था।

राजस्थान सरकार ने मध्य प्रदेश मॉडल पर यह फैसला किया है। पहले मध्य प्रदेश सहित कई भाजपा शासित राज्य भी इसी तरह सरपंचों को प्रशासक बना चुके हैं।

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