बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2025 के परिणामों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सफलता संसाधनों की मोहताज नहीं होती, बल्कि मेहनत और दृढ़ निश्चय से ही ऊंचाइयों को छुआ जा सकता है। बिहार के दो प्रतिभाशाली छात्रों मोतिहारी के आदित्य कुमार और मधेपुरा के सुशांत कुमार ने अपने संघर्ष और संकल्प से यह सिद्ध कर दिखाया। दोनों ने 486 अंक प्राप्त कर प्रदेशभर में चौथा स्थान हासिल किया और अपने-अपने जिले के साथ-साथ पूरे राज्य का मान बढ़ाया।
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मोतिहारी के आदित्य ने गांव में रहकर रचा इतिहास
मोतिहारी जिले के उच्च माध्यमिक विद्यालय, जिहुली के छात्र आदित्य कुमार ने बिहार मैट्रिक परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त कर अपने गांव और जिले का नाम रोशन किया है। संसाधनों की कमी के बावजूद, उन्होंने यह सिद्ध किया कि अगर लगन और मेहनत हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
आदित्य के पिता धर्मेंद्र कुमार सुगौली उच्च माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। जबकि उनकी माता भारती कुमारी गोनाही मध्य विद्यालय में शिक्षिका हैं। घर में शिक्षा का माहौल होने के बावजूद, आदित्य की असली प्रेरणा उनके चाचा और गुरु अमरेंद्र कुमार बने, जो उनके विद्यालय जिहुली के प्राचार्य भी हैं। उन्होंने आदित्य का मार्गदर्शन किया और पढ़ाई में उनकी मदद की।
आदित्य का सपना डॉक्टर बनने का है। उन्होंने कहा कि मुझे डॉक्टर बनना है और इसके लिए मैं पूरी मेहनत करूंगा। उनके दादा और गोनाही पंचायत के मुखिया रामसहाय राय ने कहा कि गांव में रहकर इतनी बड़ी सफलता हासिल करना न केवल हमारे परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व की बात है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा।
मधेपुरा के सुशांत कुमार ने भी किया कमाल
बिहार बोर्ड के नतीजे घोषित होते ही मधेपुरा जिले के गम्हरिया प्रखंड के कौरिहार तरावे पंचायत में जश्न का माहौल बन गया। यहां के वार्ड आठ निवासी सुशांत कुमार ने 486 अंक प्राप्त कर चौथा स्थान हासिल किया। सुशांत के पिता मनोज कुमार किसान हैं और उनकी मां कल्पना देवी गृहिणी हैं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद, सुशांत ने अपने सपनों के आगे कभी हालात को बाधा नहीं बनने दिया।
संघर्ष और सेल्फ-स्टडी से पाई सफलता
सुशांत कुमार का कहना है कि उन्होंने खुद से पढ़ाई करने (सेल्फ-स्टडी) पर ज्यादा ध्यान दिया। पहले वे दिन में चार घंटे पढ़ाई करते थे, लेकिन परीक्षा नजदीक आते ही उन्होंने 10-12 घंटे पढ़ाई शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि मेरे पिता की मेहनत और संघर्ष ने ही मुझे यहां तक पहुंचाया है। जब भी मैं थक जाता था, वे मुझे कहते थे कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। यही बात मुझे प्रेरित करती थी।
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अब लक्ष्य UPSC परीक्षा पास करना
सुशांत के बड़े भाई प्रशांत कुमार दिल्ली में एलएलबी की पढ़ाई कर रहे हैं। सुशांत का भी सपना बड़ा है कि वे UPSC परीक्षा पास कर देश की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे सामाजिक विज्ञान में विशेष रुचि है और मैं एक दिन बड़ा अधिकारी बनकर समाज में बदलाव लाना चाहता हूं। उनके पिता मनोज कुमार ने गर्व से कहा कि मेरे बेटे ने मुझे और पूरे परिवार को गौरवान्वित किया है।
उनकी सफलता से गांव में जश्न का माहौल है। मिठाइयां बांटी जा रही हैं, बधाइयों का तांता लगा हुआ है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सुशांत की यह सफलता आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी और अब गांव के और भी बच्चे बड़े सपने देखने की हिम्मत जुटाएंगे।