गोंडा की नितिका इसरो में साइंटिस्ट बनीं: कोरोना में छोड़ी जॉब, घर से की तैयारी; बोलीं- बाबा कहते थे तू कुछ बड़ा करेगी – Gonda News h3>
गोंडा24 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
गोंडा की 27 वर्षीय नितिका त्रिपाठी ने वो कर दिखाया, जो हजारों युवाओं का सपना होता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में असिस्टेंट पद पर उनका चयन हुआ है। अप्रैल में वे बेंगलुरु में अपनी जॉइनिंग देंगी। खास बात ये है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग, घर पर रहकर ही इस परीक्षा की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की।
कोरोना काल में छोड़ी नौकरी, परिवार ने दिया साथ नितिका ने इंजीनियरिंग के बाद एक निजी कंपनी में जॉब शुरू की थी, लेकिन कोरोना काल में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और घर लौट आईं। तब परिवार ने पूरा सहयोग दिया। उनके पिता देवेश मणि त्रिपाठी, जो बहराइच पोस्ट ऑफिस में क्लर्क हैं, ने बेटी की हर जरूरत पूरी की। मां नीलम त्रिपाठी, जो हाउसवाइफ हैं, ने भी हर कदम पर हौसला बढ़ाया। जुड़वा भाई नवनीत त्रिपाठी ने हर छोटी-बड़ी जरूरत को पूरा किया—चाहे किताबें हों, परीक्षा सेंटर तक ले जाना हो या मोटिवेट करना।
अपने परिवार के साथ निकिता।
बचपन से था कुछ बड़ा करने का सपना नितिका बताती हैं, “मेरे बाबा हमेशा कहते थे कि तू कुछ बड़ा करेगी। मैंने ठान लिया था कि मेहनत करके एक ऐसा मुकाम हासिल करूंगी, जिससे परिवार का नाम रोशन हो।” उन्होंने रवि चिल्ड्रेन एकेडमी, गोंडा से 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर पीएसआईटी कानपुर से ऑनर्स के साथ बीटेक पूरा किया।
निकिता ने कई प्रतियोगिताओं में अवार्ड जीते हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं नितिका की सफलता से गोंडा में जश्न का माहौल है। परिवार, रिश्तेदार, दोस्त—सभी उन्हें बधाई दे रहे हैं। उनकी सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। उनका मानना है कि मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
ये निकिता का घर है।
गीता का मंत्र बना सफलता की कुंजी
नितिका का कहना है कि उन्होंने गीता के इस उपदेश को हमेशा याद रखा—“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”यानी, बस कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो। यही वजह रही कि उन्होंने बिना किसी रिजल्ट की चिंता किए लगातार मेहनत की और आज इस मुकाम तक पहुंच गईं।
उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News
गोंडा24 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
गोंडा की 27 वर्षीय नितिका त्रिपाठी ने वो कर दिखाया, जो हजारों युवाओं का सपना होता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में असिस्टेंट पद पर उनका चयन हुआ है। अप्रैल में वे बेंगलुरु में अपनी जॉइनिंग देंगी। खास बात ये है कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग, घर पर रहकर ही इस परीक्षा की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल की।
कोरोना काल में छोड़ी नौकरी, परिवार ने दिया साथ नितिका ने इंजीनियरिंग के बाद एक निजी कंपनी में जॉब शुरू की थी, लेकिन कोरोना काल में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और घर लौट आईं। तब परिवार ने पूरा सहयोग दिया। उनके पिता देवेश मणि त्रिपाठी, जो बहराइच पोस्ट ऑफिस में क्लर्क हैं, ने बेटी की हर जरूरत पूरी की। मां नीलम त्रिपाठी, जो हाउसवाइफ हैं, ने भी हर कदम पर हौसला बढ़ाया। जुड़वा भाई नवनीत त्रिपाठी ने हर छोटी-बड़ी जरूरत को पूरा किया—चाहे किताबें हों, परीक्षा सेंटर तक ले जाना हो या मोटिवेट करना।
अपने परिवार के साथ निकिता।
बचपन से था कुछ बड़ा करने का सपना नितिका बताती हैं, “मेरे बाबा हमेशा कहते थे कि तू कुछ बड़ा करेगी। मैंने ठान लिया था कि मेहनत करके एक ऐसा मुकाम हासिल करूंगी, जिससे परिवार का नाम रोशन हो।” उन्होंने रवि चिल्ड्रेन एकेडमी, गोंडा से 12वीं तक की पढ़ाई की और फिर पीएसआईटी कानपुर से ऑनर्स के साथ बीटेक पूरा किया।
निकिता ने कई प्रतियोगिताओं में अवार्ड जीते हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा बनीं नितिका की सफलता से गोंडा में जश्न का माहौल है। परिवार, रिश्तेदार, दोस्त—सभी उन्हें बधाई दे रहे हैं। उनकी सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। उनका मानना है कि मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
ये निकिता का घर है।
गीता का मंत्र बना सफलता की कुंजी
नितिका का कहना है कि उन्होंने गीता के इस उपदेश को हमेशा याद रखा—“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”यानी, बस कर्म करते जाओ, फल की चिंता मत करो। यही वजह रही कि उन्होंने बिना किसी रिजल्ट की चिंता किए लगातार मेहनत की और आज इस मुकाम तक पहुंच गईं।