हरियाणा-पंजाब का खनौरी बॉर्डर भी खुला: किसान आंदोलन के चलते 13 महीने से बंद था; पंजाब सरकार की मीटिंग में नहीं गए किसान – Patiala News h3>
पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर से शुक्रवार शाम गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई। यह फरवरी 2024 से बंद था।
किसान आंदोलन की वजह से 13 महीने से बंद हरियाणा-पंजाब का खनौरी बॉर्डर भी शुक्रवार से खुल गया। यहां से दिल्ली-पटियाला हाईवे पर आवाजाही शुरू हो गई। हरियाणा पुलिस ने 20 मार्च को ही यहां से सीमेंट की बैरिकेडिंग हटा दी थी। पंजाब की तरफ से ट्रालियां हटाने म
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पंजाब पुलिस ने अंबाला और पटियाला के बीच शंभू बॉर्डर को 20 मार्च को ट्रैफिक के लिए खोल दिया था। इसके बाद दिल्ली-अमृतसर-जम्मू हाईवे पर आवाजाही शुरू हो गई है। पंजाब पुलिस ने 19 मार्च को ये दोनों बॉर्डर किसानों से खाली कराए थे।
वहीं, पंजाब के 2 किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के पंजाब चैप्टर और भारतीय किसान यूनियन ( BKU) (उगराहां) ने राज्य सरकार की बुलाई मीटिंग का बायकॉट कर दिया। कृषि मंत्री ने चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में यह मीटिंग बुलाई थी।
दोनों संगठनों ने सरकार से बातचीत करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले शंभू-खनौरी बॉर्डर से हिरासत में लिए नेता रिहा किए जाएं, उसके बाद सरकार से कोई बात होगी।
वहीं, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल व अन्य किसानों को हिरासत में लेने का मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच गया है। इस मामले में उच्च अदालत में इमरजेंसी सुनवाई हुई है। अदालत ने डीजीपी से सोमवार (24 मार्च) तक इस बारे में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के संयोजक सरवण सिंह पंधेर समेत 101 किसानों को पटियाला की सेंट्रल जेल भेजा गया है। जबकि संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) के नेता जगजीत डल्लेवाल ने इलाज लेने से इनकार कर दिया। डॉक्टरों की टीम आर्मी कंट्रोल वाले एरिया जालंधर कैंट के रेस्ट हाउस में उनकी निगरानी कर रही है।
शंभू-खनौरी बॉर्डर बंद होने और खुलने की 13 महीने की पूरी कहानी…
किसानों को दिल्ली नहीं जाने दिया तो शंभू बॉर्डर पर रुके
- 12 फरवरी 2024: फसलों की MSP की कानूनी गारंटी को लेकर पंजाब के किसान दिल्ली जाने के लिए निकले थे। हरियाणा पुलिस ने उन्हें अंबाला-पटियाला के बीच शंभू बॉर्डर और संगरूर-जींद के बीच खनौरी बॉर्डर पर ही रोक लिया। किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। इससे नाराज किसान वहीं धरना लगाकर दिल्ली जाने की जिद पर अड़ गए। यह देख हरियाणा पुलिस ने दोनों बॉर्डर पर सीमेंट की पक्की बैरिकेडिंग कर दी। किसान पंजाब वाली साइड शेड बनाकर बैठ गए। इधर, बैरिकेडिंग पर हरियाणा पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई।
ये फोटो फरवरी 2024 की है। पंजाब से किसान ट्रैक्टर ट्रॉलियां लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुए थे, लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें शंभू बॉर्डर पर रोक लिया था।
किसानों ने 4 बार दिल्ली मार्च की कोशिश की
- 8 फरवरी 2024 को किसान और केंद्र सरकार की पहली मीटिंग: किसान MSP पर गारंटी कानून की मांग पर अड़े रहे। 4 दिन बाद 12 फरवरी को फिर मीटिंग हुई। इसके बाद 15 और 18 फरवरी यानी 10 दिन में 4 बार वार्ता हुई लेकिन हल नहीं निकला। तब तक किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना लगा दिया। जिसके बाद केंद्र से वार्ता बंद हो गई। इसी बीच किसानों ने दिसंबर महीने में 4 बार दिल्ली कूच की कोशिश की लेकिन चारों बार हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागकर उन्हें रोक लिया।
ये तस्वीर 6 दिसंबर 2024 की है। दिल्ली के लिए रवाना हुए किसानों पर शंभू बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले दागे गए, जिसमें कई किसान घायल हुए थे।
हाईकोर्ट से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, डल्लेवाल के अनशन पर वार्ता शुरू केंद्र के वार्ता न करने से शंभू बॉर्डर खुलवाने को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। हाईकोर्ट ने एक महीने में शंभू बॉर्डर खोलने को कहा। हरियाणा सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-किसानों के बीच मध्यस्थता के लिए कमेटी बना दी। इसी बीच 26 नवंबर से किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने अनशन शुरू कर दिया। जिसके बाद केंद्र फिर वार्ता के लिए राजी हुआ।
14 फरवरी 2025 को चंडीगढ़ में वार्ता हुई लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला। 22 फरवरी को फिर मीटिंग हुई लेकिन किसानों ने MSP पर गारंटी कानून बनने तक आंदोलन खत्म करने से इनकार कर दिया।
ये तस्वीर 6 जनवरी की है। आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। वे करीब एक घंटे तक बेहोश रहे थे।
पंजाब सरकार का आंदोलन हटाने का फैसला, 72 घंटे पहले प्लानिंग किसान आंदोलन के चलते शंभू बॉर्डर बंद होने से पंजाब के कारोबारियों को नुकसान हो रहा था। इससे पंजाब सरकार पर बॉर्डर खुलवाने का दबाव बन रहा था। सरकार ने केंद्र-किसानों के बीच मध्यस्थता की। किसानों को भी मनाने की कोशिश की लेकिन वह धरना हटाने पर राजी नहीं हुए। इसके बाद पंजाब सरकार ने 72 घंटे पहले तैयार कर ली कि आंदोलन को पुलिस के जरिए बलपूर्वक हटाया जाएगा। इसके लिए 19 मार्च का दिन चुना गया।
उस दिन केंद्रीय मंत्रियों की चंडीगढ़ में किसान नेताओं से मीटिंग थी। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन की अगुआई करने वाले ज्यादातर किसान नेता मीटिंग में शामिल होने पहुंचे।
19 मार्च को मीटिंग के बाद पुलिस ने किसान नेताओं को हिरासत में लिया और दोनों बॉर्डर खाली करा लिए।
मीटिंग शुरू होने से पहले फोर्स भेजी, खत्म होने के बाद पंधेर-डल्लेवाल हिरासत में लिए केंद्र-किसानों की मीटिंग 11 से 3 बजे तक यानी 4 घंटे चली। यहां से शंभू बॉर्डर लौट रहे सरवण पंधेर को मोहाली की एयरपोर्ट रोड से हिरासत में ले लिया गया। अनशन पर बैठे डल्लेवाल एम्बुलेंस में खनौरी बॉर्डर लौट रहे थे, उन्हें संगरूर में घेर लिया गया। पुलिस एम्बुलेंस समेत डल्लेवाल को लेकर चली गई। इसके बाद तुरंत पंजाब पुलिस ने खनौरी और शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाना शुरू कर दिया। जो अड़े, उन्हें हिरासत में ले लिया गया।
19 मार्च को शंभू बॉर्डर पर किसानों के शेडों पर बुलडोजर चलाया गया था। यहां बैठे किसानों को पंजाब पुलिस उठाकर ले गई थी।
हरियाणा पुलिस ने 10 घंटे में शंभू बॉर्डर खोला पंजाब पुलिस के किसानों को हटाते ही गुरुवार (20 मार्च) को हरियाणा पुलिस भी एक्शन में आई। सुबह करीब साढ़े 8 बजे पुलिस बुलडोजर लेकर बैरिकेडिंग तोड़ने के लिए पहुंच गई। दोपहर डेढ़ बजे तक पुलिस ने पटियाला से अंबाला जाने वाला हिस्सा खोल दिया। फिर शाम साढ़े 6 बजे बॉर्डर के दोनों हिस्से खोल दिए गए।
शंभू, खनौरी और कुंडली बॉर्डर पर की बैरिकेडिंग को हरियाणा पुलिस ने तोड़ दिया।
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