एन. रघुरामन का कॉलम: डाइट आपकी नींद को बेहतर बना सकती है या बिगाड़ सकती है!

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एन. रघुरामन का कॉलम:  डाइट आपकी नींद को बेहतर बना सकती है या बिगाड़ सकती है!

एन. रघुरामन का कॉलम: डाइट आपकी नींद को बेहतर बना सकती है या बिगाड़ सकती है!

12 घंटे पहले

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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु

1960 के दशक की बात रही होगी, तब नागपुर की धंतोली में हमारे फैमिली डॉक्टर हरिदास (अब दिवंगत) ने मेरी मां से पूछा कि वह पिछले एक महीने से एेसा क्या खा रही हैं कि उन्हें ठीक से नींद नहीं आ रही है और पूरी रात वह इधर से उधर उलटती-पलटती रहती हैं।

इसके बाद मां ने खानपान की सूची सौंपी। इसे देखकर डॉक्टर ने कहा कि इस खाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन कोई चिंता आपको रातों में जगाकर रखती है। हालांकि सब्जियों के चुनाव में उन्होंने कुछ बदलाव करवाए और वादा किया कि अगले दो हफ्तों में नींद बेहतर हो जाएगी। और ठीक वैसा ही हुआ, जैसा उन्होंने कहा था। तब मुझे पहली बार पता चला था कि खानपान से भी नींद बेहतर होती है।

मेरी मां अपने और पूरे परिवार के खानपान की सूची इसलिए बना सकती थीं क्योंकि उनकी डायरी लिखने की आदत थी, जिसमें वह रोज लिखा करतीं कि आज उन्होंने क्या किया और क्या खाया।आज इस क्षेत्र में बढ़ता शोध, खासकर स्लीप व सर्केडियन रिसर्च के लिए उत्कृष्टता केंद्र ने अपने निष्कर्षों में पाया है कि कुछ खाद्य पदार्थ अच्छे गुणवत्ता की नींद के लिए जरूरी हॉर्मोनों का अधिकतम उत्पादन करने में मदद कर सकते हैं, जबकि कुछ खाद्य पदार्थ इसके विपरीत ब्लड शुगर लेवल बिगाड़कर नींद में खलल डाल सकते हैं।

नींद और भोजन के बीच संबंध की जांच करने के लिए उन्होंने वर्षों तक कई अध्ययन किए। इसमें उन्होंने पाया कि नींद के अधिक अनुकूल खानपान वह है, जो ट्रिप्टोफैन से भरपूर है, जो कि हरी पत्तेदार सब्जियों, ब्रोकोली, ब्राउन राइस, वाइट बीन, चिया और मटर में प्रचुर मात्रा में होते हैं।

जबकि कुछ यह तर्क कर सकते हैं कि मीट में भी ट्रिप्टोफैन की उच्च मात्रा होती है, जबकि तथ्य यह है कि शरीर को इसे सेरोटोनिन में बदलने में कठिनाई होती है।ट्रिप्टोफैन क्या है और सेरोटोनिन से क्या संबंध है? ट्रिप्टोफैन अमीनो एसिड है जो कि प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों में होता है।

दरअसल अमीनो एसिड से ही प्रोटीन बनता है, लेकिन इसकी शरीर में और भी भूमिका है। इसका एक अन्य काम अणु पैदा करना है, जो शरीर को सिग्नल भेजने में मदद करता है। ट्रिप्टोफैन, खासकर अणु में परिवर्तित कर सकते हैं, जिसे 5-एचटीपी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल सेरोटोनिन व मेलाटोनिन बनाने में होता है।

इसलिए सेरोटोनिन स्तर को बढ़ाने के लिए, आपको ट्रिप्टोफैन की जरूरत है।बढ़े सेरोटोनिन के क्या लाभ हो सकते हैं? ‘हैप्पी हॉर्मोन/मॉलिक्यूल’ के रूप में जाने जाना वाला सेरोटोनिन मूड नियंत्रित करने और वैलबीइंग व सकारात्मकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सेरोटोनिन का इसलिए भी महत्व है क्योंकि ये मस्तिष्क व आंतों सहित कई अंगों को प्रभावित करता है। अन्य शारीरिक प्रक्रियाएं भी सेरोटोनिन से लाभान्वित होती हैं, जैसे सामाजिक व्यवहार, अच्छा स्लीप शेड्यूल, सीखना और स्मृति।सेरोटोनिन की कमी से क्या होता है? इससे गुस्सा, पाचन विकार (कब्ज भी), दर्द के प्रति संवेदनशीलता, अलगाव की चिंता या निर्भरता, व स्लीप शेड्यूल में व्यवधान हो सकता है।

आत्म-सम्मान से जुड़ी समस्याएं और खाने की आदतों में बदलाव, जिसमें बिंज ईटिंग के दौरे और कार्बोहाइड्रेट्स की बढ़ती इच्छा शामिल हैं। सेरोटोनिन की कमी पुरुषों और महिलाओं में अलग-अलग तरीके से सामने आती है।

जिन महिलाओं में सेरोटोनिन कम होता है, उनमें अक्सर तनाव और चिंता की सामान्य प्रवृत्ति दिखेगी। जबकि पुरुषों में आवेग नियंत्रण विकारों की प्रवृत्ति अधिक होती है, जिससे वे शराब पीने और संभावित रूप से अन्य व्यसन संबंधी बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।आपको ये कहां मिलेगा?

ट्रिप्टोफैन ओट्स, ब्राउन राइस, सनफ्लॉवर सीड्स, सोयाबीन, कद्दू के बीज, मशरूम व फ्लैक्स में होता है। सेरोटोनिन अधिकतर अदरक, अखरोट, कई फलों, वाइल्ड राइस, प्लम और कोको में होता है। मेलाटोनिन दूध, सेब, संतरे, बेरी, केले, आम, गोभी, खीरा, मूली, टमाटर, लहसुन और प्याज में होता है।

फंडा यह है कि दिनभर का अच्छा खानपान रात में आपकी अच्छी नींद की चाबी हो सकती है। इसलिए आप रोज क्या खाते हैं, उस पर नजर रखें।

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