बिजली काटकर किया था पुलिस पर हमला: मऊगंज में भाई बोला- सनी को करंट से मारा; एसडीओपी ने कहा- हमें जिंदा जलाने की धमकी दी – Madhya Pradesh News

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बिजली काटकर किया था पुलिस पर हमला:  मऊगंज में भाई बोला- सनी को करंट से मारा; एसडीओपी ने कहा- हमें जिंदा जलाने की धमकी दी – Madhya Pradesh News

बिजली काटकर किया था पुलिस पर हमला: मऊगंज में भाई बोला- सनी को करंट से मारा; एसडीओपी ने कहा- हमें जिंदा जलाने की धमकी दी – Madhya Pradesh News

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प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए ये बातें सनी द्विवेदी के भाई रोहन ने कहीं। मऊगंज जिले के गड़रा गांव में रहने वाले रोहन के भाई सनी की हत्या 15 मार्च को गांव के ही आदिवासी परिवार ने कर दी थी। सनी को छुड़ाने गई पुलिस टीम पर भी हमलावरों ने गांव की लाइट काटकर अंधेरे में हमला बोला। इस हमले में एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई थी। अन्य 12 घायल हो गए थे।

वारदात के तीन दिन बाद भी गांव में तनाव पसरा है। दैनिक NEWS4SOCIALटीम ने गड़रा पहुंचकर वारदात के सभी पक्षों से बातचीत की। हमने ये समझने की कोशिश की कि आखिर एक छोटे से गांव में ऐसा क्या विवाद था, जो इतना बड़ा हो गया…पढ़िए, पूरी रिपोर्ट

गांव की आबादी 475, 260 पुलिसकर्मी तैनात मऊगंज जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर है गड़रा गांव। इस गांव की आबादी महज 475 लोगों की है। सोमवार को हम जब पहुंचे तो गांव के मुहाने पर ही दो पुलिस वैन और वज्र वाहन सहित प्रशासन की कई गाड़ियां खड़ी नजर आईं।

दैनिक NEWS4SOCIALकी टीम गांव के अंदर उस घर तक पहुंची, जहां 32 वर्षीय सनी द्विवेदी को बंधक बनाकर उसकी हत्या कर दी गई थी। गांव में पुलिस के 260 जवान तैनात नजर आए। इन जवानों में जिला पुलिस बल के 40, विशेष सशस्त्र बल के 40, क्विक रिस्पांस फोर्स के 30-30 जवानों की दो टुकड़ियां, भोपाल की 25वीं बटालियन के 30 और पीटीएस कंपनी के 60 जवान हैं।

गांव में घुसते ही पुलिस की गाड़ियों का काफिला नजर आया।

आदिवासी घरों में पुरुष नजर नहीं आए गड़रा गांव में आदिवासियों के करीब 50 घर एक साथ बने हैं। इनमें एक भी पुरुष दिखाई नहीं दिया। एक-दो घरों में महिलाएं मिलीं। हमने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन वो सिर्फ इतना बोलीं- उस वक्त हम यहां नहीं थे। खेत में थे।

गांव में पुलिस लगातार दबिश दे रही है। अब तक करीब 20 आदिवासियों को हिरासत में ले लिया गया है। हमने कुछ ग्रामीणों से भी बात करने की कोशिश की। सभी ने कैमरे पर आने से मना कर दिया।

कुछ ग्रामीण नाम सामने न लाने की शर्त पर बोले- पूरी घटना दो महीने पहले हुए अशोक आदिवासी के मर्डर की प्रतिक्रिया में हुई है। कुछ लोगों का कहना था कि वो मर्डर नहीं बल्कि एक्सीडेंट था। आदिवासियों के मन में संदेह था कि ये एक मर्डर था या फिर कह लें कि किसी ने उनके मन में ये बात बैठाई थी। कुछ लोगों द्वारा उन्हें भड़काया गया था। किसने भड़काया था, ये सवाल पूछने पर ग्रामीणों ने फिर चुप्पी ओढ़ ली।

घरों के बाहर सन्नाटा पसरा नजर आया। पुरुष नहीं दिखे।

लाठी, डंडे, पत्थर, कुल्हाड़ी और हंसिया से हमला किया एक ग्रामीण ने कहा- मैं शिक्षक हूं, इसलिए मेरा नाम मत लिखिएगा। 15 मार्च को गांव में जो घटना हुई, वो दिल दहलाने वाली थी। ऐसी घटना हमने जीवन में देखना तो दूर सोचा भी नहीं था। पुलिस पर हमला करने से पहले ही गांव की लाइट काट दी गई थी।

हमला करने वालों में 90 परसेंट महिलाएं और बच्चे शामिल थे। उनके हाथों में लाठी, डंडे, पत्थर, कुल्हाड़ी, नारियल छीलने वाली टांगी और हंसिया जैसे हथियार थे। उस वक्त इस गांव में अंधेरे में जो शोर हुआ, वो आस-पास के कई गांववालों ने सुना था।

भाई बोला- बचाने गए तो हमारे पूरे परिवार को मारा रोहन द्विवेदी घर पर घायल हालत में बैठे दिखे। वारदात में जिस सनी की हत्या हुई, रोहन उसके बड़े भाई हैं। उनके घर के बाहर बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात है।

रोहन ने NEWS4SOCIALसे बात करते हुए कहा- मैं सोसाइटी में कंप्यूटर ऑपरेटर हूं। होली के एक दिन बाद किसानों का पंजीयन करना था तो मैं ऑफिस गया था। वहां पहुंचते ही कुछ देर बाद मेरे पास पिताजी का कॉल आया। उन्होंने कहा कि सनी का फोन स्विच ऑफ आ रहा है। इसके बाद मैंने भी सनी को कॉल किया। उसका फोन स्विच ऑफ ही आया।

इसके बाद मैं वहां से अपना बैग उठाकर घर आ गया। उसके दोस्तों को फोन लगाया। दोस्तों ने सनी की कोई भी जानकारी होने से मना कर दिया। हमने दोस्तों से सनी की जानकारी निकालने को कहा।

सनी को बंद कर दरवाजे के बाहर महिलाएं बैठी थीं रोहन ने बताया- जानकारी लगते ही दोपहर डेढ़ बजे मैं, मेरी बहन, मेरी मां और पापा दो बाइक से अशोक कोल के बेटे के घर पहुंचे। उन लोगों ने मेरे भाई को जिस घर में बंद कर रखा था, उसके बाहर 20 से ज्यादा महिलाएं बैठी हुई थीं। हम आगे बढ़े तो उन्होंने हमें रोक दिया।

उन्होंने कहा- जब तक कलेक्टर, एसपी नहीं आएंगे, तब तक हम दरवाजा नहीं खोलेंगे। इसके बावजूद हमने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की तो उन्होंने हम पर हमला कर दिया। मेरे बाद वहां पापा पहुंचे तो वो लोग और ज्यादा हिंसक हो गए। उन्होंने पापा पर हमला कर दिया। हमने पापा को आदिवासियों से दूर किया और उन्हें भागने के लिए कहा। पापा भागकर कुछ ही दूरी पर बने गांव के ही एक परिचित के घर में घुस गए और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया।

इसके बाद उन लोगों ने मुझे, मेरी मां और बहन को मारा। रॉड और डंडों से हमला किया। मोबाइल छीन लिया। हमने जैसे-तैसे जान बचाई।

रोहन ने मारपीट से शरीर पर पड़े निशान दिखाए।

3 जवान सनी को छुड़ा नहीं पाए, फिर 30 और पहुंचे रोहन ने बताया- जब हम अपने घर से शनि को लेने निकले थे, तभी हमारी भांजी ने डायल 100 पर कॉल कर घटना की जानकारी पुलिस को दे दी थी। करीब 3 बजे पुलिस के कुछ जवान वहां पहुंचे, लेकिन वो मेरे भाई को छुड़ा नहीं पाए। आदिवासियों ने उन्हें डरा-धमकाकर वापस भेज दिया। उनसे भी यही कहा कि कलेक्टर-एसपी को बुलाकर लाओ। फिर शाम करीब 6 बजे एसडीओपी के साथ पुलिस के 30 जवान वहां पहुंचे।

1 घंटा कैद रहीं SDOP, बोलीं- आग लगाने की धमकी दे रहे थे शाम 6 बजे एसडीओपी अंकिता शूल्या समेत पुलिस के करीब 30 जवान घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें गांव के बाहर खड़ी वैन तक ले गई। पुलिस के जवान आरोपियों को लेकर उनके साथ गांव के बाहर चले गए थे।

इसी बीच एसडीओपी ने दरवाजा खुलवाया और कमरे के अंदर पहुंचीं। वहां देखा तो सनी की डेडबॉडी पड़ी थी। कमरे में एसडीओपी के साथ एएसआई आरती वर्मा थीं। जैसे ही वो कमरे के अंदर पहुंचीं, आदिवासियों ने उन पर भी हमला बोल दिया।

एसडीओपी ने एएसआई के साथ खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। अशोक कोल की बेटी ने घर के बाहर से अंदर कमरे में बंद एसडीओपी से कहा- जिन लोगों को हिरासत में लिया है, उन्हें छोड़ दो नहीं तो पूरे घर में आग लगा देंगे।

एसडीओपी अंकिता शूल्या ने बताया कि हम वहां करीब एक घंटा 10 मिनट तक कैद रहे। इस दौरान खिड़की और दरवाजों से लगातार गालियां और जान से मारने की धमकी दी जा रही थी।

2-3 घंटे पहले ही सनी मर चुका था एसडीओपी शूल्या ने कहा- जब मैं कमरे में घुसी तो ये देखकर चौंक गई कि जिसको छोड़ने के एवज में आदिवासी कलेक्टर-एसपी को बुलाने की मांग कर रहे थे, वो कमरे में मृत पड़ा हुआ था। उसकी डेडबॉडी देखकर ही लग रहा था कि वो 2 से 3 घंटे पहले ही मर चुका था।

एसडीओपी के कमरे में बंद होने की जानकारी लगते ही पुलिस गांव के बाहर से फायरिंग करते हुए घर तक पहुंची। एसडीओपी को छुड़ाया और फिर डेडबॉडी को लेकर जाने लगी। इसी बीच आदिवासियों ने गांव की लाइट काट दी और महिला, बच्चों समेत वहां मौजूद सभी पुरुषों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। इसी हमले में तहसीलदार समेत 13 पुलिस जवान घायल हो गए। एएसआई रामचरण गौतम को अपनी जान गंवानी पड़ी।

पुलिस अपनी सुरक्षा के तमाम उपकरणों के साथ वहां पहुंचती तो शायद इतनी बड़ी घटना नहीं हो पाती। उन्हें फायरिंग के आदेश भी देरी से दिए गए थे।

रामचरण गौतम का एक साल पहले ही एएसआई के पद पर प्रमोशन हुआ था। अक्टूबर 2025 में रिटायरमेंट होना था।

आदिवासी जिसकी जमीन पर रह रहे थे, उसी को मारा सनी के पिता डॉ. रजनीश कुमार द्विवेदी ने कहा- मेरा बेटा घर का लाड़ला था। उसे क्यों मारा? मेरी उन आदिवासियों से कोई दुश्मनी नहीं थी। उनको तो मैंने घर बनाने के लिए अपनी जमीन भी दी थी। अपनी जमीन दान देकर उनके लिए सीसी रोड बनवाई थी। रोड के दोनों तरफ जो आदिवासियों के घर बने हैं, वो मेरी और मेरे भाई की जमीन पर बने थे। हमने जमीन उनके नाम करवाई थी।

एक्सीडेंट को मर्डर बताकर आदिवासियों का ब्रेनवॉश किया सनी के भाई रोहन द्विवेदी ने कहा- एक साल पहले की बात है। अशोक कोल और अन्य आदिवासियों को हमारे पिताजी ने जमीन दान दी थी। उन्होंने पिताजी से उसकी रजिस्ट्री कराने के लिए कहा। कुछ आदिवासियों के नाम पर पिताजी पहले ही जमीन की रजिस्ट्री कर चुके थे। अशोक कोल ने भी पिताजी से अपनी जमीन की रजिस्ट्री कराने की बात कही।

पिताजी ने कहा- जब चलना हो बताना। उसने एक दिन पिताजी से जमीन की रजिस्ट्री कराने के लिए चलने को कहा। पिताजी ने तहसील जाकर रजिस्ट्री कराई और अपने घर वापस आ गए।

रात करीब 10 बजे पिता जी के पास फोन आया कि अशोक कोल का एक्सीडेंट हो गया है। अशोक के परिवार के लोगों से किसी ने कहा कि अशोक का मर्डर हुआ है। अशोक के परिजन ने शक के आधार पर दमनगिरि ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक और पूर्व सरपंच के लड़कों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके बाद पुलिस की कार्रवाई चली।

एक महीने बाद हमारे परिवार के ही कुछ जलने वाले लोगों ने आदिवासियों के कान भरे और उन्हें कहा कि अशोक कोल का मर्डर सनी द्विवेदी और पूर्व सरपंच कैलाश के लड़कों ने किया है। पुलिस जांच में साफ हो गया था कि अशोक का मर्डर नहीं बल्कि एक्सीडेंट हुआ था।

पुलिस ने अब तक 20 लोगों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के बाद इतनी ही गिरफ्तारी और हो सकती हैं।

ऑडियो वायरल, दावा- घटना को कोई और ऑपरेट कर रहा था घटना से जुड़ा एक ऑडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि नई गढ़ी जनपद अध्यक्ष के पति कुंजबिहारी तिवारी घटना के मुख्य आरोपी अशोक कोल के बेटे विनोद कोल से बात कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये ऑडियो तब का है, जब विनोद कोल ने सनी को बंधक बनाकर रखा था।

इसमें कुंज बिहारी विनोद से कहते हैं- हमें कानून के दायरे में रहकर काम करना है। वो हमारे घर में घुसा और हमने उसे बंद कर दिया। ये ठीक है। लेकिन अगर पुलिस उसे मांग रही है और हम उसे पुलिस के हवाले नहीं कर रहे हैं तो ये बात सामने आ जाएगी कि हमने उसे बंधक बनाया है।

जो मैं कह रहा हूं उसे रिकॉर्ड कर अपने रिश्तेदारों को भी भेजो। हम कानून हाथ में नहीं लेंगे। हम न्याय के लिए लड़ेंगे।

कई लोगों का दावा है कि कुंज बिहारी उस रात विनोद कोल को ऑपरेट कर रहे थे। वहीं बातचीत सुनकर कुछ लोग ये कह रहे हैं कि कुंज बिहारी, विनोद कोल को शांत रहने और कानून के दायरे में रहकर अपनी लड़ाई लड़ने को कह रहे हैं।

20 हमलावर गिरफ्तार, ज्यादातर महिलाएं डीआईजी एसपी पांडेय ने कहा- अब तक 20 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। मामले में और भी गिरफ्तारियां की जा सकती हैं। हिरासत में लिए गए लोगों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है।

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