मंत्री के दरबार में नहीं ‘सरकार’ की फोटो: ‘सरकार’ का स्वागत करने खुद खड़े हो गए ‘मामा’; मंत्री के बयान पर अपने चुप – Bhopal News h3>
सूबे की सियासत में विपक्ष से ज्यादा सरकार की परेशानी अपने ही बढ़ाए रहते हैं। कभी बैठकों में विवाद तो कभी अंदर की खींचतान जगजाहिर हो जाती है। अब ‘सरकार’ के घर में इस बात की चर्चा है कि वे कौन से नेता हैं जिनके दरबार में ‘सरकार’ की तस्वीर नहीं हैं।
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चर्चा इस बात की है कि कबीना में एक सीनियर साथी के दरबार में एक तरफ अटल जी, संघ प्रमुख तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गर्वनर साहब की तस्वीरें तो लगी हैं। मगर ‘सरकार’ की तस्वीर नजर नहीं आती।
पार्टी की चुप्पी या चुप रहने में भलाई एक मंत्री के बयान के बाद से विपक्ष जहां हमलावर है, वहीं इस बात को लेकर राजनीतिक विश्लेषक मंथन कर रहे हैं कि आखिरकार मंत्री जी के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच पार्टी का क्या स्टैंड है? पार्टी की ओर से मंत्री जी के समर्थन या मुखालफत करने वाला कोई जिम्मेदार बयान क्यों नहीं दे रहा?
अंदरखाने की मानें तो मंत्री जी की सीनियोरिटी को देखते हुए कोई उन्हें सलाह नहीं देना चाहता और न ही उनकी मुखालफत या समर्थन करके पड़ी लकड़ी उठाना चाहता, इसलिए ‘जो हो रहा है चुपचाप देखो’ वाली स्थिति में ज्यादातर लीडर नजर आ रहे हैं।
मंच से उतारा, नेता जी को नीचे मिली चेयर हाल ही में ‘सरकार’ के घर में एक धार्मिक आयोजन हुआ। इस आयोजन में एक जिला अध्यक्ष जी ‘सरकार’ के साथ मंच पर बैठने के लिए कुर्सी पर डट गए। चूंकि, कार्यक्रम एक समाज का था, न कि पार्टी का, लिहाजा अध्यक्ष जी को अफसरों ने समझाया कि आप सामने की कुर्सी पर बैठ जाइए।
अध्यक्ष जी तो मन मसोस कर नीचे की कुर्सी पर बैठ गए। मगर नए नवेले अध्यक्ष जी के खास को बुरा लग गया। वे अधिकारियों से कहते सुने गए कि आप जानते नहीं हैं भाई साब अध्यक्ष हैं। अफसरों ने समझाया आप नहीं समझोगे। अध्यक्ष जी सब समझते हैं।
उनका वीआरएस, इन्हें होगा फायदा सरकार में प्रमुख पद पाने की उम्मीद लगाकर पिछली सरकार में सबसे ज्यादा एक्टिव रहने वाले अपर मुख्य सचिव स्तर के एक आईएएस को नई सरकार में कमतर जिम्मेदारी दिया जाना उन्हें रास नहीं आया। साहब को उम्मीद थी कि संभव है कि कुछ बदलाव की स्थिति बने और इसके लिए दायें-बायें से कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी।
आखिरकार साहब ने समय से पहले रिटायरमेंट का फैसला कर लिया। उन्होंने आवेदन किया और सरकार ने मंजूर भी कर लिया। इसी महीने से इन साहब की सेवाएं सरकार से समाप्त हो जाएंगी।
इसका फायदा एक आईएएस को जल्दी ही मिलने वाला है। दरअसल, साहब के रिटायर होते ही जून से एसीएस बनने वाले एक आईएएस को मार्च में ही एसीएस का पद मिल जाएगा। वहीं इनके पीछे वाले आईएएस को भी अगस्त के बजाय अब जून में ही प्रमोट होने का मौका मिल जाएगा।
स्वागत की लिस्ट से ‘मामा’ का नाम हटाया हाल ही में राजधानी से सटे एक जिले में नए और पुराने ‘सरकार’ का संयुक्त दौरा था। सरकारी कार्यक्रम में एक नए पायलेट प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग के मौके पर ‘सरकार’ का स्वागत करने वालों की लिस्ट में स्थानीय नेताओं के नाम पुकारे गए।
लेकिन, ‘मामा’ का नाम नहीं पुकारा गया। जिसके बाद उन्होंने खुद माइक संभाला और कहा कि मेरा नाम स्वागत करने वाली लिस्ट से हटा दिया, लेकिन मैं स्वयं स्वागत करूंगा और फिर उन्होंने ‘सरकार’ का स्वागत स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते से किया।
तबादले की आस में आईपीएस कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालने वाले आईपीएस अफसरों को इस महीने नई जिम्मेदारी मिलने वाली है। इसकी फाइल सरकार तक पहुंची है, जिस पर सरकार जल्दी ही फैसला करने वाली है।
इसमें जिलों के कप्तान और रेंज के एडीजी, आईजी स्तर के अफसर भी प्रभावित हो सकते हैं। कुछ एडीजी, स्पेशल डीजी के काम में भी बदलाव की सुगबुगाहटें हैं।
माना जा रहा है कि यह आदेश होली के आस-पास जारी हो सकते हैं। इस आदेश का इंतजार ऐसे आईपीएस कर रहे हैं जिन्हें पीएचक्यू से भेजी सूची में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने के संकेत मिले हैं।
और अंत में…
मंत्री को अपना जिला संभाग बनाना है विंध्य क्षेत्र के एक जिले से पहली बार विधायक बनने के बाद मंत्री बनने वाली महिला नेत्री को अपने जिले को संभाग बनाने की चिंता है। पिछले महीने में ‘सरकार’ के प्रवास के दौरान मंत्री ने उनके सामने यह मांग रखी थी। जिसके बाद ‘सरकार’ ने भी कह दिया था कि हां बना देंगे।
अब मंत्री जी को फिर चिंता हुई है कि काम हो रहा है या नहीं, लिहाजा मंत्री जी ने संभाग के गठन से जुड़े विभाग के प्रमुख को पत्र भी लिख दिया है। उनसे पूछा है कि सरकार ने जो कहा था उस पर कितना काम हुआ है, इसकी जानकारी उन्हें लिखित में दी जाए।
मंत्री ने अपने जिले को संभाग बनाने के लिए बुंदेलखंड के सागर संभाग में शामिल एक जिले को भी उसमें शामिल करने का सुझाव दिया है।
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