भोंगर्या-मेले में 25 से अधिक गांवों के हजारों आदिवासी पहुंचे: बड़वानी सांसद पटेल मादल-ढोल की थाप पर थिरके; हाट में खरीददारी भी की – Barwani News

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भोंगर्या-मेले में 25 से अधिक गांवों के हजारों आदिवासी पहुंचे:  बड़वानी सांसद पटेल मादल-ढोल की थाप पर थिरके; हाट में खरीददारी भी की – Barwani News

भोंगर्या-मेले में 25 से अधिक गांवों के हजारों आदिवासी पहुंचे: बड़वानी सांसद पटेल मादल-ढोल की थाप पर थिरके; हाट में खरीददारी भी की – Barwani News

भोंगर्या पर्व में सांसद गजेंद्र सिंह पटेल, राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी भी मौजूद रहे।

बड़वानी में शुक्रवार को होली से पहले आदिवासी समाज ने भोंगर्या पर्व को बड़े धूमधाम के साथ मनाया। मादलों की थाप और ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच युवतियों ने रंगीन रुमाल लेकर गोल घेरा बनाकर पारंपरिक नृत्य किया। चांदी के आभूषण और घुंघरू पहने रहीं।

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मेले में बीजेपी सांसद गजेंद्र सिंह पटेल, राज्यसभा सांसद सुमेरसिंह सोलंकी और अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य भी समाज के लोगों के साथ थिरकते नजर आए। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष बलवंत सिंह पटेल और भाजपा जिला अध्यक्ष अजय यादव भी मौजूद रहे।

ढोल की थाप पर जमकर नाचे आदिवासी समाज के लोग।

भगोरिया हाट में लोगों ने खरीददारी की

भोंगर्या पर्व के मौके पर आज मेणीमाता, बोकराटा, वरला, राखिबुजुर्ग, मेहतगाव, मोयदा और तलवाड़ा डेब में पहला भगोरिया हाट लगा। यहां पर 25 से अधिक गांवों के हजारों आदिवासी पहुंचे। लोगों ने जमकर खरीददारी की। लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।

बुजुर्गों ने भी पारंपरिक नृत्य किया

मेले में बड़े-बुजुर्ग और युवक-युवतियां एक जैसे परिधानों में नजर आए। कुछ लोग खाने पानी के साथ सेल्फी लेने में भी मस्त दिखाई दिए। बांसुरी की धुन और ढोल-मांदल की थाप पर आदिवासी परंपरा में बुजुर्गों ने भी नृत्य किया। महिलाएं पारंपरिक गहनों से सजी थीं। पुरुषों ने साफा और पगड़ी पहन रखी थी।

मेले में लगे झूलों का भी सभी ने आनंद लिया। बच्चों ने खाने-पीने की चीजें और खिलौने खरीदे।

आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक नृत्य करते हुए।

भोंगर्या का बदलता स्वरूप

समय के साथ भोंगर्या का स्वरूप एकदम बदल रहा है। पहले जहां पारंपरिक वेशभूषा का बोलबाला था, वहीं अब युवाओं में जींस, टी-शर्ट और डिजाइनर टैटू का क्रेज बढ़ा है। अब युवा मोबाइल से फोटो-वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने लगे हैं।

भोंगर्या में अब झूले, खाने-पीने की दुकानें, गोदना (टैटू) और इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकानें भी सजने लगी हैं। प्रशासन ने भी CCTV कैमरों से निगरानी शुरू कर दी है, जिससे मेले में कोई अव्यवस्था न हो।

सभी दल के नेता भोंगर्या में शामिल होते

भोंगर्या अब सिर्फ आदिवासियों का त्योहार नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए भी जनता से जुड़ने का अवसर बन चुका है। भाजपा और कांग्रेस के नेता अपने समर्थकों के साथ भोंगर्या में गेर निकालते हैं, झंडे लहराते हैं और अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। वहीं, प्रशासनिक अधिकारी भी ड्यूटी के साथ-साथ भोंगर्या का आनंद लेते नजर आते हैं।

मेले में पारंपरिक वेशभूषा में चांदी के आभूषण और घुंघरू पहने रहीं युवतियां।

हाट में पुलिस-प्रशासन भी तैनात रहा

हाट में पारम्परिक पोशाक पहनकर समाज के लोगों ने आदिवासी संस्कृति की छटा बिखेरी। कई युवा हाथों में गोदना गुदवाते नजर आए। एक अनुमान के अनुसार, मेणीमाता में भोंगर्या हाट को देखने लगभग 40 हजार हजार से अधिक लोग पहुंचे थे।

दुकानदारों ने बताया कि पहला हाट होने से औसतन ग्राहकी अच्छी रही। खासी भीड़ रही। इस दौरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह सुरक्षा व्यवस्था में मुस्तैद रहा।

जानिए भोंगर्या मेले के बारे में

दरअसल, भोंगर्या मेला होली के एक हफ्ते पहले लगता है। भोंगर्या हाट में आदिवासी समाज के लोग मांदल की थाप, थाली की खनक और बांसुरी की धुन पर नृत्य करते हैं। भोंगर्या आदिवासियों का त्योहार न केवल हाट बाजार मात्र होता है। इसमें समाज के लोग होलिका दहन से पहले होलिका पूजन की सामग्री भुंगड़ा, गुड़, दाली, हार कंगन, खजूर, मीठी सेंव समेत अन्य सामग्री खरीदते हैं।

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