आज का एक्सप्लेनर: मंदिर तोड़ने के लिए मशहूर औरंगजेब ने क्या सच में मंदिर बनवाए, क्यों कहा जाता है सबसे क्रूर मुगल बादशाह h3>
मुगल बादशाह औरंगजेब की तारीफ कर सपा विधायक अबू आजमी घिर चुके हैं। उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के बजट सत्र से सस्पेंड कर दिया गया है। उनके खिलाफ FIR भी दर्ज हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा- यूपी बुलाइए, इलाज कर देंगे। आजमी का कहना है कि मेरे शब्दों को
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मंदिर तोड़ने के लिए मशहूर औरंगजेब ने क्या सच में मंदिर बनवाए, क्यों कहा जाता है सबसे क्रूर मुगल बादशाह, औरंगजेब की मराठा शासकों से असली दुश्मनी क्या थी; ऐसे 8 सवालों के जवाब जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…
सवाल-1: अबू आजमी ने औरंगजेब के बारे में ऐसा क्या कहा, जिस पर हंगामा मचा है? जवाब: 3 मार्च को अबू आजमी ने छत्रपति संभाजी महाराज पर बनी फिल्म ‘छावा’ के बारे में कहा था कि इसमें गलत इतिहास दिखाया जा रहा है।
आजमी ने कहा, ‘औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए हैं। मैं उसे क्रूर शासक नहीं मानता। छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता और संपत्ति के लिए लड़ाई थी। औरंगजेब ने मंदिरों के साथ मस्जिदों को भी नष्ट किया। अगर वह हिंदुओं के खिलाफ होता, तो 34% हिंदू उसके साथ नहीं होते।’
अबू आजमी ने कहा कि औरंगजेब के शासनकाल में भारत को स्वर्ण चिड़िया कहा जाता था।
बयान सामने आने के बाद 3 मार्च को ही ठाणे के वागले एस्टेट पुलिस स्टेशन में शिवसेना सांसद नरेश गणपत म्हास्के ने आजमी के खिलाफ FIR दर्ज करवाई। शिकायत में कहा गया कि आजमी ने औरंगजेब के शासन का महिमामंडन किया, जबकि उसके अत्याचारों को कम आंका।
विवाद बढ़ता देख 4 मार्च आजमी ने बयान वापस लेते हुए कहा,
मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़ कर दिखाया गया। लेकिन फिर भी मेरी बात से कोई आहत हुआ है तो मैं अपने शब्द, अपना स्टेटमेंट वापस लेता हूं। मैंने वही कहा है जो इतिहासकारों और लेखकों ने लिखा है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा,
अबू आजमी ने उस औरंगजेब की तारीफ की, जिसने छत्रपति संभाजी महाराज को 40 दिनों तक प्रताड़ित किया। ऐसे व्यक्ति को अच्छा कहना महापाप है।
सवाल-2: औरंगजेब ने पिता को कैद और भाई को मारकर सत्ता कैसे हथियाई थी? जवाबः पांचवें मुगल बादशाह शाहजहां के 4 बेटे थे- दारा शिकोह, शाहशुजा, औरंगजेब और मुराद बख्श। शाहजहां हमेशा से चाहते थे कि दारा शिकोह ही उनका उत्तराधिकारी बने।
इतिहासकार अवीक चंदा ने अपनी किताब ‘दारा शुकोह: द मैन हू वुड बी किंग’ में लिखा है, ‘शाहजहां को दारा इतने प्रिय थे कि वह उन्हें सैन्य अभियानों पर नहीं भेजते थे। वहीं अपने छोटे बेटे औरंगजेब को 16 साल की उम्र में ही सैन्य अभियान के लिए दक्षिण भारत भेज दिया था।’
1657 में शाहजहां के बीमार पड़ने के बाद मुगल साम्राज्य में उत्तराधिकार की जंग छिड़ गई। दारा को सबसे बड़ी चुनौती मिली छोटे भाई औरंगजेब से। 30 मई 1658 को दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच आगरा से 13 किलोमीटर दूर ‘समुगढ़ की जंग’ हुई। इसमें दारा की हार हुई।
जीत के बाद औरंगबेज ने आगरा के किले पर कब्जा जमा लिया और 8 जून 1658 को अपने पिता शाहजहां को गद्दी से हटाते हुए जेल में डाल दिया। मार्च 1659 में दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच फिर जंग हुई। अमजेर के पास हुई देवरई की जंग में दारा को फिर से शिकस्त मिली।
‘ट्रैवल्स इन द मुगल एंपायर’ में लिखा है- ‘औरंगजेब ने दारा को जंजीरों में जकड़कर एक हाथी पर बैठाकर दिल्ली की उन सड़कों पर घुमवाया था, जहां उनकी कभी तूती बोलती थी।’
फ्रेंच इतिहासकार फ्रांस्वा बर्नियर ने अपनी किताब ‘ट्रैवल्स इन द मुगल एंपायर’ में लिखा है, ‘औरंगजेब ने अपने भाई दारा को जंजीरों में जकड़कर एक हाथी पर बैठाकर दिल्ली की उन सड़कों पर घुमवाया था, जहां उनकी कभी तूती बोलती थी। दुनिया के सबसे अमीर राजपरिवार का वारिस फटेहाल कपड़ों में अपनी ही जनता के सामने बेइज्जत हो रहा था।’
30 अगस्त 1659 को औरंगजेब ने दारा का सिर धड़ से अलग कर एक थाली में सजाकर आगरा में कैद शाहजहां को कीमती तोहफा कहकर भिजवाया था। जब शाहजहां ने थाली से कपड़ा हटाया तो दारा का कटा सिर देखकर उनकी चीख निकल गई।
औरंगजेब ने करीब 50 सालों तक दिल्ली की गद्दी पर राज किया। वो सबसे लंबे समय तक शासन करने वाला मुगल बादशाह बना।
सवाल-3: क्या औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने के आदेश दिए, इसकी वजह क्या थी? जवाब: 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने हिंदुओं के मंदिरों को गिराने का आदेश दिया। ये आदेश औरंगजेब शासन वाले सभी 21 सूबों में लागू हुए। यहां हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं और त्योहारों को मनाने पर भी रोक लगा दी गई।
इसका जिक्र उनके दरबार से जुड़े लेखक साकी मुस्तैद खान ने अपनी किताब ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ के चैप्टर 12 में किया है। 1965 में प्रकाशित वाराणसी गजेटियर के पेज नंबर-57 पर भी इस आदेश का जिक्र है।
इतिहासकार मानते हैं कि इसी आदेश के बाद सोमनाथ, काशी विश्वनाथ समेत दर्जनों मंदिरों को गिराया गया।
‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ किताब के चैप्टर 12 की ये तस्वीर है, जिसके पेज नंबर- 51, 52 में औरंगजेब के आदेश का जिक्र है।
इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि औरंगजेब ने मंदिरों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे। उस वक्त के राजा-महाराजा मंदिर और मठ बनवाते थे। ऐसे में जब कोई दूसरा राजा उस साम्राज्य को जीतता था तो वह सबसे पहले उस साम्राज्य के प्रतीक को खत्म करना चाहता था।
ये तस्वीर 1870 में मैगजीन कलकत्ता रिव्यू में प्रकाशित हुई थी। इसमें देखा जा सकता है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की ऊपरी दो मंजिलों को तोड़कर उसके ऊपर मेहराब बना दिया गया था ताकि औरंगजेब वहां नमाज पढ़ सके।
औरंगजेब ही नहीं, बल्कि कई दूसरे राजाओं ने भी ऐसा किया। मंदिर गिराने वालों में हिंदू राजा भी थे।
- मौर्यों के बाद सत्ता संभालने वाले शुंग वंश के राजा पुष्यमित्र ने दर्जनों बौद्ध मठों को नष्ट किया था। इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में बौद्ध भिक्षुओं की हत्या भी की थी।
- सन 642 में पल्लव राजा नरसिंहवर्मन ने चालुक्यों की राजधानी वातापी में गणेश के मंदिर को लूटा और उसके बाद तोड़ दिया। ये सारी घटनाएं इतिहास के किताबों में दर्ज हैं।
सवाल-4: क्या जजिया और तलवार के दम से औरंगजेब ने हिंदुओं को मुस्लिम बनाया? जवाब: इतिहासकार राम पुनियानी का कहना है कि हिंदुओं पर जजिया टैक्स औरंगजेब ने अपने शासन के शुरुआती 20 साल में नहीं लगाए थे। जब खजाना खाली हो गया तो औरंगजेब ने मौलानाओं के आदेश के बाद इसे लगाने का फैसला लिया। औरंगजेब धर्म बदलने के लिए सिर्फ उसे मजबूर करता था जो उनके दुश्मन थे। मराठा सम्राट संभाजी महाराज और गुरु तेग बहादुर की हत्या इसके उदाहरण हैं।
औरंगजेब की दरबार का दृश्य।
JNU में इतिहास के प्रोफेसर नदीम रिजवी के मुताबिक, ‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि औरंगजेब सबसे क्रूर मुगल बादशाह था। हालांकि औरंगजेब ने मजहब के लिए नहीं, बल्कि अपनी ताकत दिखाने और पूरे देश में मुगल साम्राज्य का परचम लहराने के लिए लड़ी। दक्कन पर राज करना भी इसी उद्देश्य में शामिल था। इसीलिए छत्रपति शिवाजी और संभाजी महाराज से उसकी दुश्मनी थी।’
इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब कहते हैं,
तलवार की ताकत पर धर्म बदलवाने की बात होती तो सबसे पहले औरंगजेब के सैनिकों का धर्म बदलता, क्योंकि औरंगजेब की सेना और अधिकारियों मे सबसे ज्यादा हिंदू थे।
सवाल-5: क्या औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज को दरबार में अपमानित किया था? जवाब: 16वीं सदी में जब छत्रपति शिवाजी ने अहमदनगर का किला लूटा तो औरंगजेब ने शिवाजी से लड़ने के लिए जय सिंह को भेजा। जय सिंह 14 हजार सैनिकों की फौज लेकर 3 मार्च 1665 को दक्कन पहुंचे।
पुरंदर के किले और उस्मानाबाद जैसी कई जगहों पर शिवाजी और जय सिंह की सेनाओं में लड़ाई हुई। इसमें शिवाजी को समझौता करना पड़ा। इसके तहत उन्हें पुरंदर सहित अपने जीते हुए 25 में से 23 किले मुगलों को देने पड़े और साथ ही यह वादा करना पड़ा कि उनके बेटे संभाजी मुगलों की सेना में सेवा देंगे।
12 मई 1666 को छत्रपति शिवाजी को बेटे संभाजी के साथ औरंगजेब के दरबार में पेश होना पड़ा। जहां उन्हें अपमानित करने के बाद नजरबंद कर दिया गया। किसी तरह 20 अगस्त 1666 को फलों की टोकरी में बैठकर शिवाजी दक्कन भाग निकले।
औरंगजेब के दरबार में छत्रपति शिवाजी को छोटे अधिकारियों की लाइन में खड़ा कर दिया गया, गुस्साए शिवाजी सभा छोड़कर चले गए। इसके बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया।
सवाल-6: छत्रपति संभाजी महाराज से औरंगजेब को इतनी नफरत क्यों थी? जवाब: 5 अप्रैल 1680 को छत्रपति शिवाजी के निधन के बाद उनके बेटे संभाजी ने रायगढ़ की सत्ता संभाली। औरंगजेब को दक्कन चाहिए था और इस रास्ते में संभाजी महाराज खड़े हुए थे।
शिवाजी की मौत के 2 महीने बाद ही औरंगजेब ने मराठा साम्राज्य पर हमला करने के लिए 2 लाख सैनिकों की फौज भेजी। संभाजी ने छापामार युद्ध से औरंगजेब की सेना को बहुत नुकसान पहुंचाया। औरंगजेब भी दिल्ली छोड़कर दक्कन अभियान में निकल पड़ा।
फरवरी 1689 में कोंकण इलाके में एक जंग के दौरान संभाजी को पकड़ लिया। उन्हें अहमदनगर के बहादुरगढ़ ले जाकर औरंगजेब के सामने झुकने को कहा गया। उनकी जीभ काट दी गई और जिंदा रहने के लिए इस्लाम कबूलने की शर्त रखी गई।
स्केचः संदीप पाल
औरंगजेब ने 11 मार्च 1689 को पुणे के पास तुलापुर में उनका सिर कलम करवा दिया। बाद में मराठों ने उनके शरीर को सिलकर उसका अंतिम संस्कार किया।
कहा जाता है औरंगजेब ने हत्या से ठीक पहले संभाजी राजे से कहा था, ‘अगर मेरे चार बेटों में से एक भी तुम्हारे जैसा होता तो सारा हिंदुस्तान कब का मुगल सल्तनत में समा चुका होता।’
सवाल-7: क्या औरंगजेब ने हिंदुओं के लिए मंदिर बनवाए और दान किया? जवाब: आम लोगों के बीच औरंगजेब की छवि हिंदुओं से नफरत करने वाले धार्मिक उन्माद से भरे कट्टरपंथी बादशाह की रही है। अमेरिकी इतिहासकार ऑडरी ट्रस्चके किताब ‘औरंगजेब: द मैन एंड द मिथ’ में लिखती हैं कि औरंगजेब ने 15 करोड़ लोगों पर करीब 49 साल तक राज किया। औरंगजेब के शासन के दौरान मुगल साम्राज्य इतना फैला कि पहली बार उन्होंने करीब-करीब पूरे उपमहाद्वीप को अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया।
इतिहासकार प्रदीप केसरवानी का कहना है कि औरंगजेब ने मंदिर सिर्फ तोड़े नहीं, बल्कि बनवाए भी थे। उसके बनाए गए मंदिरों में बालाजी मंदिर चित्रकूट, उमानंद मंदिर गुवाहाटी शामिल हैं।
चित्रकूट का बालाजी मंदिर
इसी तरह कई मंदिरों जैसे महाकालेश्वर और सोमेश्वर मंदिर को उसने दान दिए थे। प्रदीप कहते हैं कि औरंगजेब और दूसरे मुगल शासकों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच भाईचारा बढ़ाने की भी कोशिश की।
हालांकि इरफान हबीब का कहना है कि औरंगजेब कभी नहीं बदला। औरंगजेब को लगता था कि उसे खुदा ने चुना है। इसी वजह से वह अंत तक खुदा के प्रति हमेशा वफादार रहा। उसने अपने शासन के दौरान ही हिंदुओं के मंदिर तोड़े थे और बनवाए भी थे। इसलिए ये कहना कि बाद के दिनों में वह बदल गया, सही नहीं है।
सवाल-8: क्या औरंगजेब को वाकई हिंदुओं से नफरत थी? जवाब: इतिहासकार इरफान हबीब का कहना है कि औरंगजेब ने पावर के लिए अपने पिता को बंदी बनाया था और भाई की हत्या कर दी थी। उन्होंने हिंदुओं से नफरत की वजह से नहीं बल्कि अपनी ताकत दिखाने के लिए मंदिरों को तोड़ा। उस समय हर राजा अपने साम्राज्य में मंदिर स्थापित कराते थे। ऐसे में दूसरा राजा इन मंदिरों को गिराकर अपनी ताकत का एहसास कराता था।
इतिहासकार राम पुनियानी ने एक इंटरव्यू में कहा कि औरंगजेब को हिंदू विरोधी माने जाने की 2 वजहें थीं- वह इस्लाम धर्म को मानने वाला कट्टर सुन्नी था और मौलानाओं के प्रभाव में फैसला लेता था। काशी विश्वनाथ मंदिर तुड़वाने का आदेश, हिंदुओं पर जजिया टैक्स और सिख गुरु तेग बहादुर की हत्या को लेकर भारतीय लोगों की नजर में औरंगजेब सबसे क्रूर और कट्टर मुगल शासक के तौर पर चर्चा में रहता है।
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